आसाराम को सजा बहुत कम है
डॉ. वेद प्रताप वैदिक
आसाराम को उम्र—कैद की सजा और उसके दो साथियों को 20—20 साल की सजा हुई। एक नाबालिग शिष्या के साथ बलात्कार की है, यह सजा! बलात्कार के खिलाफ जो कानून अभी देश में है, उसके हिसाब से तो यह सजा ठीक है लेकिन मैं समझता हूं कि यह सजा बहुत कम है। बलात्कार के लिए ऐसी सजा तो किसी को भी दी जा सकती है। आसाराम जैसे आदमी को जो अपने आप को संत कहलवाता है, जिसने लाखों लोगों को उल्लू बनाया, जो नेताओं और अभिनेताओं की तरह नौटकियां रचाता है, जिसने अरबों रुपयों की संपत्तियां खड़ी कर लीं, ऐसे धूर्तराज को सिर्फ उम्र—कैद! उसने बलात्कार भी किया तो किसके साथ? अपनी एक अबोध शिष्या के साथ! उसने सारे गुरु—शिष्य संबंधों की मर्यादा मटियामेट कर दी। खुद की उम्र 70 के पार और शिष्या की उम्र 16 भी नहीं। उसके वकील जजों से कह रहे थे कि आप सजा सुनाते वक्त आसाराम जी की उम्र का ख्याल जरुर रखें। मैं उन वकीलों से पूछता हूं कि क्या आसाराम ने अपनी उम्र का खुद ख्याल रखा ? अपनी पोती की उम्रवाली शिष्या के साथ कुकर्म करनेवाले आदमी का अदालत ख्याल रखे , यह भी अजीब बात है। ऐसी बेजा मांग करनेवाले वकीलों को भी कोड़े लगाए जाने चाहिए और उन पर जुर्माना भी थोपना चाहिए। आसाराम ने बलात्कार ही नहीं किया है बल्कि उसके दो चश्मदीद गवाहों की हत्या और एक पर जानलेवा हमला भी हुआ है। ये हत्याएं किसने करवाई हैं ? झूठे दस्तावेज़ पेश करके सर्वोच्च न्यायालय को धोखा देने की भी कोशिश की गई। झूठे बहाने बनाकर जमानत पर छूटने की भी कोशिश की गई। आसाराम का बेटा भी जेल की हवा खा रहा है। लगभग आधा दर्जन धूर्त साधु—संत इस समय जेल में हैं। इन कुख्यात संतों की सारी संपत्ति सबसे पहले जब्त की जानी चाहिए। फिर इन्हें असाधारण सजा दी जानी चाहिए क्योंकि ये अपने आपको असाधारण व्यक्ति बताते है। ये हिंदुत्व के कलंक हैं। इन्हें उम्र—कैद होगी तो ये जेल की रोटियां तोड़ेगे और मुफ्त की दवाइयां खाएंगे। ये अपनी राक्षसी वासना को तृप्त करने के लिए पता नही वहां रहकर क्या क्या हथकंडे अपनाएंगे ? बेहतर तो यह होगा कि इन्हें मौत की सजा दी जाए और पूरी सज—धज के साथ दिल्ली के लाल किले या विजय चौक पर लटकाया जाए। यदि आसाराम—जैसे लोगों में ज़रा भी संतई होती तो वे अपना जुर्म खुद कुबूल करते और अपने लिए फांसी की सजा खुद मांगते या जेल में ही आत्महत्या कर लेते।
कांग्रेस-राज में तवलीन सिंह की “निर्वाचित अपराधियों की भूमि” (The land of elected criminals, by Tavleen Singh. Indian Express, February 26, 2006) पर २०१३ में पंजीकृत आसाराम बापू द्वारा कथित बलात्कार के आरोप को लेकर जोधपुर न्यायालय द्वारा दिए निर्णय से मुझे कोई अचम्भा नहीं| जोधपुर न्यायलय द्वारा अभियुक्त कैसे और क्योंकर दोषी पाया गया तथा उसे दी गई सजा कम या अधिक है कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिनका उत्तर उच्च अथवा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अभियोग पर पुनर्विचार करने पर ही मिल पाएगा| स्वयं मेरे लिए यह अभियोग हम सभी भारतीयों के लिए एक ऐसी चुनौती है जो आज केंद्र में राष्ट्रीय शासन द्वारा भारत पुनर्निर्माण में न्याय व विधि व्यवस्था को सर्वोपरि राष्ट्रीय उद्देश्य मानते हैं|