यूपी विद्युत नियामक आयोग ने मांगी स्टेटस रिपोर्ट ‘स्मार्ट’ के नाम पर आउट डेट््ड मीटर लगाने का खेल!

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व-ुनवजर्याों पहले अपने घरों में लगे बिजली के पुराने मीटर
अब अतीत बनकर रह गए हैं। इस मीटर में एक लोहे की प्लेट लगी
रहती थी वह प्लेट घूमती ओर उसी की रीडिंग के अनुसार
आपका बिजली बिल निर्धारित किया जाता था। इस मीटर ने दशको
‘राज’ किया। हर आदमी आसानी से रीडिंग ले और देख सकता
था। जमाना बदला और उसके बाद उन मीटरों का स्थान
डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक मीटर ने लिया। इसको लेकर बड़े-ंउचयबड़े
दावे किए गए,लेकिन दो-ंउचयतीन सालों के भीतर ही बिजली
विभाग को यह डिजिटल मीटर बेकार नजर आने लगे। अब इसे फिर
एक बार बदला जा रहा है। अब मोदी सरकार आने वाले तीन सालो
में दे-रु39याभर में बिजली के सभी मीटरों को स्मार्ट प्रीपेड
में बदलने जा रही है, दे-रु39या भर में इसकी -रु39याुरुआत भी हो
चुकी है. इससे उत्तर प्रदेश भी अछूता नहीं है।

प्रदेश का बिजली महकमा आजकल घर-ंउचयघर ‘स्मार्ट मीटर’
लगाने का काम कर रहा है। इस मीटर की खूबियों का तो खूब
प्रचार हो रहा है,लेकिन इस मीटर की खामियों और पुरानी
तकनीक की बातों को छुपाया जा रहा है। दरअसल,बिजली विभाग
स्मार्ट मीटर बताकर घर-ंउचयघर जो टू-ंउचयजी और थ्री-ंउचयजी
टेक्नालाॅजी वाले मीटर लगा रहा है। वह पुराने यानी आउट
डेट््ड हो चुके हैं। यूपी में कथित स्मार्ट मीटर

लगाने का जिम्मा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ईईएसएल को
सौंपा गया है। यह सम-हजयना जरूरी है कि विद्युत मंत्रालय ने
एनटीपीसी लिमिटेड, पीएफसी, आरईसी और पावरग्रिड के साथ
मिलकर एक संयुक्त उद्यम बनाया था, जिसे ईईएसएल कहा जाता है।
बल्ब-ंउचयपंखे आदि बेचने के बाद इस कम्पनी के द्वारा थोक में
खरीदे गए स्मार्ट मीटर को लगाने का काम उत्तर प्रदे-रु39या के
-रु39याहरी क्षेत्रों मे चल रहा है। बिजली विभाग का दावा है कि
इससे बिजली चोरी रुकेगी, वितरण कंपनियों की कार्यकु-रु39यालता
ब-सजय़ेगी और उपभोक्ताओं को वास्तविक समय पर बिजली खपत की
जानकारी मिलेगी।
वहीं राज्य विद्युत नियामक आयोग इन स्मार्ट मीटरों की
विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़ा कर रहे हैं,जिसके चले उत्तर प्रदे-रु39या
में स्मार्ट मीटर लगाने की पावर कॉरपोरे-रु39यान की योजना अधर
में नजर आ रही है। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने प्रदे-रु39या में
2जी और 3जी टेक्नॉलजी के लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर पर स्टेटस
रिपोर्ट पावर कॉरपोरे-रु39यान से मांगी थी। आयोग के चेयरमैन
के निर्दे-रु39या पर सचिव संजय कुमार सिंह ने पावर कॉरपोरे-रु39यान के एमडी
से यह बताने को कहा है कि जब टू-ंउचयजी और थ्री-ंउचय जी
टेक्नॉलजी बंद हो जाएगी, तब मीटर को अडवांस टेक्नॉलजी
में बदलने पर कितना खर्च आएगा। आयोग ने पावर कॉरपोरे-रु39यान
द्वारा खरीदे जा रहे मीटर मॉडम पर भी रिपोर्ट तलब की है।
पावर कॉरपोरे-रु39यान द्वारा लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर पर राज्य विद्युत
उपभोक्ता परि-ुनवजयाद ने सवाल तो प्रत्यावेदन के आधार पर आयोग
ने रिपोर्ट मांगी है। परि-ुनवजयाद अध्यक्ष अवधे-रु39या कुमार वर्मा ने
सवाल उठाया था कि जो तकनीक बंद हो रही है, उसके 40
लाख मीटर प्रदे-रु39या में क्यों लगवाए जा रहे हैं।
उधर, ईईएसएल के अधिकारियों के अनुसार कंपनी ने उत्तर
प्रदेश में लगाने के लिए पिछले साल सार्वजनिक निविदा के जरिये

ऐसे 40 लाख बिजली के स्मार्ट मीटर खरीदे थे,लेकिन
ग्राहकों की संख्या इससे कहीं अधिक है। इस लिए अगले चरण में
कंपनी जल्द ही ऐसे 50 लाख और मीटर खरीदने की योजना बना
रही है। उत्तर प्रदे-रु39या के लखनऊ, कानपुर, इलाहबाद, वाराणसी,
गोरखपुर, आगरा जैसे -रु39याहरों में स्मार्ट मीटर लगाने का काम
आजकल तेजी से चल है।
सूत्र बताते हैं कि ईईएसएल बिजली वितरण कंपनियों से प्रति
मीटर प्रति महीने 70 रुपए लेगी। वहीं वितरण कंपनियों को
औसतन प्रति मीटर 200 रुपए का लाभ होने का अनुमान है।
उत्तर प्रदे-रु39या में बिजली ‘रीडिंग’ पर 40 रुपए प्रति मीटर का खर्च
आता है। वहीं बिल की कु-रु39यालता 75 से 80 प्रति-रु39यात है।
वि-रु39यले-ुनवजयाण से पता चलता है कि 30 प्रति-रु39यात बिल गलत होते हैं। इससे
उपभोक्ता और वितरण कंपनियों में विवाद होता है। एक
अनुमान के अनुसार इसके कारण वितरण कंपनियों को प्रति मीटर
200 रुपए की लागत आती है। स्मार्ट मीटर लगने से बिजली वितरण
कंपनियों को यह बचत होगी।
कम्पनी का दावा है कि ‘स्मार्ट मीटर लगने से
उपभोक्ताओं को वास्तविक समय पर पता चलेगा कि वे कितनी
बिजली की खपत कर रहे हैं। इसके अनुसार वे बिजली खपत को
नियंत्रित कर सकते हैं। इससे कम बिजली खपत करने वाले उत्पादों
की मांग ब-सजय़ेगी और एक बहुत बड़ा बदलाव आएगा।
गौरतलब हो, ईईएसएल को स्मार्ट मीटर रा-ुनवजयट्रीय कार्यक्रम
(एसएमएनपी) के तहत दे-रु39या में 25 करोड़ परंपरागत मीटरों को
स्मार्ट मीटर से बदला जाना है।एक और बात स्मार्ट मीटर
लगाते समय यह दावा किया जा रहा है कि इस मीटर को लगाने की एवज
में उपभोक्ताओं से कोई पैसा नहीं लिया जा रहा है,
उपभोक्ता का पुराना मीटर हटाकर स्मार्ट मीटर फ्री में लगाया
जा रहा है, साथ ही पांच साल तक मीटर में कोई गड़बड़ी

होती है तो भी मीटर बिना किसी -रु39याुल्क के बदला जाएगा।
बताते चलें ईईएसएल ने ऐसे ही दावे एलईडी बल्ब बेचते समय
भी किए थे।
इस कम्पनी के माध्यम से पिछले तीन-ंउचयचार सालों में पूरे देश
में जो एलईडी बल्ब बेचे गए गए थे, वह कुछ महीनों बाद
ही खराब होना -रु39याुरू हो गए। जब उपभोक्ता इन्हें बदलने के
लिए पुहंचे तो इन्हें बेचने वाले नदारद थे। सभी जगहों
पर ऐसी घटनाएं घटी। बहुत विवाद भी हुए लेकिन इस कम्पनी
पर कुछ भी कार्यवाही नही हुई। इस कंपनी को दे-रु39या भर
में स्ट्रीट लाइट को एलईडी से बदलने का ठेका भी दिया
गया जिसके सब कांट्रेक्ट उन्होंने ऐसे लोगो को दिए जो
एक साल में ही -रु39याहर छोड़ कर भाग गए। यह कम्पनी सिर्फ
एलईडी बल्ब तक ही सीमित नही है। लाखो पंखे इन्होंने
खरीदे हैं और यहाँ तक कि डे-सजय़ टन के एसी भी हजारों की
संख्या में इन्होंने खरीदे है लेकिन कही भी देखने मे
नही आया कि बल्ब-ंउचयपंखें आदि खरीद के बाद सर्विस की कोई
व्यवस्था इस कम्पनी के पास रही हो। क्योंकि यह कम्पनी किसी
तरह का उत्पादन ही नही करती है।
वैसे सच तो यह है कि कोई चीज फ्री में नही लगाई जाती,
फ्री में लगाने से पहले ही सारा केलकुले-रु39यान बैठा लिया गया है
कि पहले 6 महीने में ही आपका जो बिल ब-सजय़ा हुआ आएगा उसी
में यह रा-िरु39या समायोजित कर दी जाएगी, ओर जिन घरों में यह
मीटर लगाए गए हैं उन सभी घरों में जो बिल आए हैं
उसमें सवा से डे-सजय़ गुनी अधिक खपत दिखाई दे रही है.
खुले बाजार में फिलहाल सबसे सस्ता सिंगल फेज प्रीपेड बिजली
मीटर अभी 8 हजार रुपये का मिल रहा है। हालांकि अच्छी
गुणवत्ता वाला मीटर खरीदने के लिए लोगों को 25 हजार
रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं अब ये कम्पनी जो स्मार्ट मीटर

लगा रही हैं उसमें किस तरह से आपसे पैसा वसूला जाएगा आप खुद
ही सोच लीजिए.
दूसरी ओर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आखिरकार यह मीटर
सप्लाई कौन कर रहा है? कही न कही तो इनका उत्पादन किया जा
रहा होगा? क्या विद्युत नियामक आयोग स्वतंत्र रूप से इन स्मार्ट
मीटरों की जाँच करवा चुका है? क्योंकि सारा -हजयोल-हजयाल तो
यही है. दे-रु39या भर में इन स्मार्ट मीटर की आपूर्ति एनर्जी
एफि-िरु39यायेंसी सर्विसेज लिमिटेड ईईएसएल कर रहा है।

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संजय सक्‍सेना
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ निवासी संजय कुमार सक्सेना ने पत्रकारिता में परास्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद मिशन के रूप में पत्रकारिता की शुरूआत 1990 में लखनऊ से ही प्रकाशित हिन्दी समाचार पत्र 'नवजीवन' से की।यह सफर आगे बढ़ा तो 'दैनिक जागरण' बरेली और मुरादाबाद में बतौर उप-संपादक/रिपोर्टर अगले पड़ाव पर पहुंचा। इसके पश्चात एक बार फिर लेखक को अपनी जन्मस्थली लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र 'स्वतंत्र चेतना' और 'राष्ट्रीय स्वरूप' में काम करने का मौका मिला। इस दौरान विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं जैसे दैनिक 'आज' 'पंजाब केसरी' 'मिलाप' 'सहारा समय' ' इंडिया न्यूज''नई सदी' 'प्रवक्ता' आदि में समय-समय पर राजनीतिक लेखों के अलावा क्राइम रिपोर्ट पर आधारित पत्रिकाओं 'सत्यकथा ' 'मनोहर कहानियां' 'महानगर कहानियां' में भी स्वतंत्र लेखन का कार्य करता रहा तो ई न्यूज पोर्टल 'प्रभासाक्षी' से जुड़ने का अवसर भी मिला।

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