सरकारी कार्यालयों, संपत्तियों में नहीं हैं रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था!

अखिलेश दुबे
मॉनसून का आगाज हो चुका है और बरसने वाले पानी को सहेजने के प्रयास नहीं किये जाने से इस साल भी यह पानी जमीन शायद ही सोख पाये। आने वाले साल में भूमिगत जलस्तर और नीचे चला जाये तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिये। जिला प्रशासन के साथ ही साथ स्थानीय निकाय भी इस दिशा में संजीदा नहीं दिख रहे हैं।
जिले में भूमिगत जल स्तर तेजी से गिर रहा है यह बात किसी से छुपी नहीं है। गिरते भूमिगत जल स्तर और रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर सोशल मीडिया में चर्चाएं तो जमकर होती हैं पर ये चर्चाएं मोबाईल तक ही सीमित रह जाती हैं। इसका कारण यह है कि इसे अमली जामा पहनाने का काम जिन एजेंसीज का है वे इस मामले में पूरी तरह मौन ही साधे रहती हैं।
लगातार नीचे खिसक रहे भू-जल को थामने के लिये और पानी की किल्लत से बचाव के लिये प्रत्येक भवन के लिये वाटर हार्वेस्टिंग प्लान अनिवार्य अवश्य कर दिया गया है, लेकिन नगरीय एवं ग्राम निकायों की निष्क्रियता एवं आमजनों की उदासीनता से जिले में कहीं भी वर्षा जल के संरक्षण के लिये कोई ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे हैं। नगरीय निकायों में अनिवार्य तौर पर लागू किये गये वाटर रिहार्वेस्टिंग प्लान की धज्जियां उड़ा दी गयी हैं।
कहीं किसी भी नगरीय क्षेत्र में वाटर रिहार्वेस्टिंग के इक्के-दुक्के उदाहरण भी देखने को नहीं मिलेंगे। जिले में साल दर साल नीचे खिसक रहे भूजल स्तर और हर साल जमीन की छाती पर होलकर बनाये जा रहे सैकड़ों बोरवेल, नलकूप, ट्यूबवेल से उलीचे जा रहे पानी से जल की समस्या धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। जिले के आठों विकासखण्डों में कमोबेश यही आलम बना हुआ है।
जिले की लगभग एक दर्जन से ज्यादा छोटी बड़ी नदियां अकाल काल कवलित होने के लिये छटपटा रही हैं। कहीं किसी भी नदी पर उचित तरीके से बनाया गया चौक डेम, स्टॉप डेम, बोरी बंधान आदि नहीं हैं, जबकि हर साल जलाभिषेक अभियान के नाम पर जिला प्रशासन तीन – तीन, चार – चार करोड़ रुपये खर्च करता है लेकिन कहीं भी वर्षा जल के संग्रहण के कार्य नहीं हो पा रहे हैं।
नगरीय क्षेत्रों में वर्षा के जल को संरक्षण करने के उद्देश्य से मघ्य प्रदेश भूमि विकास निगम की धारा 78(4) के अनुसार भवन अनुज्ञा के लिये वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य किया गया है पर थोड़ी सी शिथिलता से कहीं भी इस दिशा में कोई कार्य नहीं हो सके हैं। नगर पालिका सिवनी के अलावा लखनादौन एवं बरघाट नगर परिषद समेत अन्य नगरीय निकायों में भी कमोबेश यही स्थिति है। कुछ स्थानों पर तो वाटर हार्वेस्टिंग के नाम पर राशि भी जमा नहीं करायी गयी।
ये हैं नियम
मध्य प्रदेश भूमि विकास निगम की धारा 78(4) के अनुसार भवन अनुज्ञा के लिये वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य किया गया है। यह वर्ष 2009 से लागू है। इसके तहत 00 से 15 वर्ग फुट तक 2500 रुपये की संयुक्त सावधि जमा (एफडीआर) होती है। यह राशि बतौर अमानत होती है।
नगरीय निकाय यह सुनिश्चित कर लेता है कि भवन अनुज्ञा लेने वाले व्यक्ति ने बताये नक्शे के अनुसार वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बना लिया है, तो उसे यह राशि तीन वर्षों के अंतराल में वापस कर दी जाती है और अगर व्यक्ति वह सिस्टम नहीं बनाता है, तो यह राशि नगरीय निकाय राजसात कर लेता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

15,481 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress