ये कहानी है तीन तीन अर्जुन की

—विनय कुमार विनायक
ये कहानी है तीन तीन अर्जुन की,
ये जवांदानी तीन तीन अर्जुन की!

पहले अर्जुन थे हैहय राज वंश के,
विष्णु शक्ति सुदर्शनचक्र अंश से!

रामपूर्व दशानन विजेता स्वामी थे,
सप्तद्वीप नौखण्ड भूमि भारत के!

परम तपस्वी योगी प्रजावत्सल वे,
दान पुण्य सभी सद्गुण युक्त थे!

पचासी सतयुग वर्ष तक शासक थे,
विलीन हुए महाकाल के ज्योति में!

लाखों स्वर्ण गोधन दानी अर्जुन के
नाम स्मरण से विस्मृत धन मिले!

ऐसे योगी दानी तपी पर गो हरण
आरोप लगाकर किया चरित्र हनन!

भार्गव परशुराम के हाथों अकारण,
वृद्ध राजा का मिथ्या वध प्रकरण!

आखिर कैसे कोई मातृहंता ब्राह्मण,
कैसे हो सकते हैं भारत के भगवान!

परशुराम हैं कपोल कल्पित कल्पना,
वे जातिवाद के सूत्रधार की जल्पना!

वर्णगत वर्चस्व दिखाने के चलते ही
कुछ पुराणों में ब्राह्मणी तुष्टिकरण!

ये तो सच है कि ब्राह्मण क्षत्रियों में
वर्णगत वर्चस्व की ढेरों लड़ाईयां हुई!

वैदिक कर्मकाण्डी ब्राह्मण के खिलाफ,
चौबीस तीर्थंकर उठे थे जो क्षत्रिय थे!

ब्राह्मणवाद विरोध की परम्परा चली
हैहय अर्जुन से शाक्यवंशी बुद्ध तक!

ये ब्राह्मण-क्षत्रिय युद्ध शस्त्र से शुरू
शास्त्र से खत्म आगम त्रिपिटक तक!

ये मांग शक मिटाने सच जताने का,
हकवंचित युगपुरुषों के हक पाने का!

मातृहंता मातृकुलघाती कैसे हैं महान?
ये शास्त्र प्रक्षेपण झूठी महिमा बखान!

समय की मांग है छटे शास्त्र प्रक्षेपण,
अंत:साक्ष्य से हो, इतिहास पुनर्लेखन!

दूसरे अर्जुन थे, धनुर्धारियों में श्रेष्ठ,
मंझले पाण्डव, कौन्तेयों में कनिष्ठ!

नरावतार वे नारायण कृष्ण के सखा,
गीता उपदेश के पहले श्रोता अनोखा!

वीर नहीं महावीर पर आम सी शंका,
तार्किकता जिज्ञासा गुण सुमानव का!

अगर नहीं कोई अधीर वीर पार्थ होता,
तो कृष्ण से धरा पे कैसे आती गीता!

पृथा पुत्र अद्भुत, गुरुजनों का प्यारा,
कुछ आक्षेपों के बावजूद जग न्यारा!

तीसरे अर्जुन सिखों के पंचम गुरु थे,
गुरुग्रंथ के संपादक शहीद सद्गुरु वे!

गुरु रामदास के पुत्र सोढ़ी कुल खत्री,
जहांगीर ने गर्म तवे में तपा मारे थे!

महान संत समा गए अकाल पुरुष में,
बिना दुश्मन से शिकवा शिकायत के!

सभी अर्जुन थे, महातपस्वी व त्यागी,
अर्जुन के विरासती हम सब बड़भागी!
—विनय कुमार विनायक

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