महानगरों में भी लगता है,
हफ्ते का हाट,
मौलों की चकाचौंध और
एयर कंडीशन्ड बड़े बडे शो रूमों
नये से नये रैस्टोरैंट के बीच
ज़िन्दा है अभी भी हफ्ते का हाट!
हमारा वीर बाजार!
यहाँ सब कुछ मिलता है….
सब्ज़ी फल के लियें लोग यहाँ आते है
बड़ी बड़ी गाड़ियों वाले भी भर के ले जाते है
सब्ज़ी फल ।
यहाँ सब कुछ मिलता है….
सेफ्टी पिन नाड़ा हो या नारियल
जीन्स टी शर्ट हो या साड़ी हो
प्रसाधन या श्रृंगाँर की सामग्री हो
यहाँ सब मिलता है।
घर के बर्तन लेलो स्टील के,
या काँच के गिलास,
पूजा के लिये अगरबत्ती लेलो
या लेलो मिट्टी की मूरत
यहाँ सब बिकता है।
गिने चुने पैसों में घर चलाना हो
तो घर की सजावट का सामान
भी मिल जाता है।
घर सजाना सिर्फ अमीरों का शौक तो नहीं,
सजा घर गरीबों को भी अच्छा लगता है।
खाने पीने की चीज़े भी खोमचों पर बिकती हैं,
कार वाले भी गोलगप्पों का मज़ा लेते है।
कुछ जो कहते हैं,
वो इन सस्ते बाज़ारों में नहीं जाते,
कभी दूर से दिख भी जायें तो
मुह छुपा के,
अनदेखा करके निकल लेते हैं।