उपचुनावों से सभी दलों को राहत

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मृत्युंजय दीक्षित

केंद्र सरकार की ओर से नोटबंदी पर उठाये गये ऐतिहासिक कदम के बाद सात राज्यों की चार लोकसभा और कुछ विधानसभा सीटों के उपचुनावों के बाद सबसे बड़ी राहत जहां भाजपा के मिली है वहीं कुछ क्षेत्रीय दलों की स्थिति भी कमोबेश वैसी ही बनी हुयी है। नोटबंदी के बाद पूरे देश की निगसहें उपचुनावों पर टिकी हुयी थी जिसमें विशेषकर भाजपा शासित मध्य प्रदेश व असोम की सीटें सर्वाधिक महत्वपूर्ण थीं। मीडिया में इस बात का खूब प्रचार किया जारहा था कि यह उपचुनाव नोटबंदी का पहला लिटमस टेस्ट साबित हो सकता है। जिसमें भाजपा लगभग पास हो गयी है। वहीं बंगाल में लोकसभा उपचुनावों मं ममता दीदी का जादू बरकरार तो हैं लेकिन वहां पर अब विपक्ष की हैसियत में भाजपा बढ़त बना रही है। वामपंथियों का वहां की राजनीति पर असर समाप्त हो रहा है। तमिलनाडु की राजनीति में फिलहाल अम्मा का जादू अभी चलता रहेगा।

भाजपा के लिए मध्यप्रदेश और असम की लोकसभा व विधानसभा सीटों पर मिली विजय विशेष महत्व रखती है। शहडोल लोकसभा व नेपानगर में भाजपा की जीत से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को विशेष राहत मिल गयी है। इन सीटों पर जीत के बाद जो लोग भोपाल जेलब्रेक कांड पर अपनी तुष्टीकरण की सियासत को गरमाने में जुटे हुये थे तथा व्यापम घोटाल की आढ़ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरने का प्रयास कर रहे थे उन्हें अब गहरा आघात तो लग ही चुका है। उपचुनावों के परिणामों के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उत्साह में भी दिखे और उनका मनोबल भी बढ़ा हुआ दिखा। परिणामों के तत्काल बाद उन्होनें दावा भी किया की जनमानस ने पीएम मोदी के कामकाज व उनके द्वारा लिये जा रहे निर्णयों पर जनता की मुहर लग गयी है। भाजपा की सफलता के पीछे उन्होनें प्रदेश सरकार की ओर से किये जा रहे विकास के कामों का भी उल्लेख किया। उन्होने दावा किया कि जनता पूरी तरह से पीएम मोदी के फैसलों के साथ है।इसी प्रकार असम की एकमात्र लोकसभा व विधानसभा सीट जीतकर मुख्यमंत्री सर्वांनद सेानोवाल की सीट अपने पास रखने में एक बार फिर कामयाब रही। भाजपा की असम जीत से वहां पर भाजपा की लोकप्रियता बरकरार रहने का संकेत मिल गया है।

भाजपा की उल्लेखनीय सफलता अरूणांचल प्रदेश में मिली है जहां पर हायुलियांग विधानसभा उपचुनाव में एनडीए गठबंधन की उम्मीदवार व पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी दसांगलु पुल ने 942 वोटों से ऐतिहासिक जीत हासिल करने में सफलता हासिल की है। उपचनावों की सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि भाजपा ने बंगाल के कूचबिहार व तमलुक लोकसभा सीट पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा ली है। कूचबिहार लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले 20 वार्डो में भाजपा को जीत मिल गयी जबकि लोकसभा में वह दूसरे स्थान पर रही।दूसरी लोकसभा सीट पर भी भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा है।

वहीं दूसरी ओर  तमिलनाडु में अम्मा का जादू कायम है। वहां की जनता ने अम्मा की बीमारी व वहां की सरकार की लोकलुभावन नीतियों को अपना वोट देकर मजबूत किया है। त्रिपुरा में अभी भी वामपंथ का जादू बरकरार है।

एक प्रकार से देखा जाय तो इन चुनावों से सभी दलों को बड़ी राहत मिली है। जनमानस ने सभी दलों व उनके मुख्यमंत्रियों के कामकाज पर अपनी मुहर लगा दी है। अब भाजपा नोटबंदी पर विपक्ष के खिलाफ और अधिक हमलावर हो रही है। अपनी सीटों को भाजपा ने जीतकर विरोधियों को कुछ सीमा तक शांत कर लिया है। अन्यथा अभी कहीं भाजपा यह उपचुनाव हार जाती तो मीडिया के एक बहुत बड़े वर्ग व सोशल मीडिया में पक्ष व विपक्ष में भाजपा व मोदी के खिलाफ जंग छिड़ जाती। भाजपा, ममता व जया की जीत से कुछ शांति कायम है। अब यह सभी दल दन चुनाव परिणामों को अपने हिसाब से भुनायेंगे। इन चुनाव परिणामों से सबसे अधिक दबाव एक बार फिर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर आना तय माना जा रहा है। सोशल मीडिया में राहुल गांधी पर तंज भी कसे जा रहे हैं। जो लोग भेापाल जेलबैरक पर अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने का प्रयास कर रहे थे अब उनको भी कुछ समय के लिए शांत बैठना चाहिये। जिन प्रांतों में चुनाव होने जा रहे हैं वहां पर भी भाजपा की तैयारी अब आसान हो गयी है।

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