हरेक के जेब में मानव
हरेक के पेट में मानव
पेट से निकला है मानव
पेट से परेशान है मानव
अन्तरिक्ष में क्रीड़ा कर रहा है मानव
सड़क पर लेटा है मानव
जोड़ – घटाव में व्यस्त है मानव
वैरागी बन रहा है मानव
मशीन बन रहा है मानव
समुद्र की लहरें गिन रहा है मानव
महामानव बनाने में जुटा है मानव
न्यूट्रान बम बना रहा है मानव
विश्व शांति की बात कर रहा है मानव
अपने ही घर में रोज लड़ रहा है मानव
अच्छी-अच्छी बातें कर रहा है मानव
बुरे-बुरे काम कर रहा है मानव
सचमुच,
मानव के अस्तित्व के लिए आज
परेशानी का सबब बन रहा है मानव !
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