आदिवासी नहीं कोई जाति यह एक अवस्था है

—विनय कुमार विनायक
आदिवासी नहीं कोई जाति यह एक अवस्था है,
आदिवासी जनजातिकीअवस्था से
हर नस्लवर्णजातिवर्गकोगुजरना होता है!

आज की वर्तमानवर्णाश्रमी जाति
कल कबिलाईआर्यआदिवासी जनजातिथी!

एक समय में अनेक आदिवासी जनजाति होसकती,
वर्णाश्रमी जातियों जैसीसमकालीन
आदिवासी जनजातियों मेंसमानता नहीं होती!

आज भारतीय आदिवासी हैं
संथाल,पहाड़िया, मुंडा, उरांव,हो,कोल,भील,
किरात,खरबार, मीना आदिजनजाति,
जो आपस में तनिक मेल नहीं खाती!

खरबार,मीना, मुंडा जनजाति का रीति रिवाज
मिलता है वर्णाश्रमीहिन्दू समाज से
वो छठ आदि सारे हिन्दू के व्रत पालन करते!

संथाल और पहाड़िया आदिवासी में मेल नहीं,
एकआदिवासी की बोली दूसरे से मिलती नहीं!

हर आदिवासी का अपना अलग संगठन होता,
कुछ आदिवासियों का अपना आदिम धर्मभीहोता,
अधिकांशआदिवासियों काधर्महिन्दू हीहोता!

मीनाअपना उद्भव मीनावतार भगवान विष्णु से मानते,
मीना जनजाति की कद काठी आर्य क्षत्रियों जैसी आकर्षक होती
मीनाब्राह्मणसे अधिक शुद्ध, शाकाहारी, सात्विकहोते!
मीना का निवासप्राचीनमत्स्यदेश संप्रति भरतपुर राजस्थान है,
अभिमन्यु केश्वसुरमत्स्यराज विराट मीना जाति के पूर्वज थे!

एक आदिवासीको दूसरे आदिवासी से सहानुभूति नहीं होती,
आजभिन्न भिन्नआदिवासियों में अगर एकता है
तो उनके अनुसूचित जनजातियों मेंआरक्षित होने की वजह से!

पूर्व मेंविदेशी शासकों द्वारा क्रूरतापूर्वकप्रताड़ित जातियों को
सरकार द्वाराचिन्हित करजनजातिकीदर्जा दी जाती
अस्तु आदिवासी नहीं कोई जाति, वहजनजातिअवस्था है!

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