उन्नाव पीड़िता को भी मिले हैदराबाद पीड़िता जैसा ‘इंसाफ’

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                                          संजय सक्सेना

 लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था और महिला उत्पीड़न की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है,कहीं कोई गैंगरेप पीड़िता इंसाफ नहीं मिल पाने के कारण इच्छा मृत्यु मांग रही है तो कहीं पुलिस सहायता केन्द्र में रेप पीड़िता के साथ बलात्कार की घटना को अंजाम देकर रक्षक ही भक्षक बन गए हैं। इससे शर्मनाक घटना उन्नाव में घटी। जहां दो माह पूर्व रेप की शिकार हुई युवती को जिंदा जला दिया गया। इसी प्रकार बांदा और मिर्जापुर में भी इसी तरह की वारदाते सामने आई है। राजधानी लखनऊ और औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले कानपुर के बीच में बसे छोटे से जिले उन्नाव में हाल ही में भाजपा के एक विधायक द्वारा रेप की एक घटना को अंजाम दिए जाने और उसके बाद आरोपियों द्वारा लगातार पीड़िता को धमकी और हत्या के प्रयास की कोशिशों का मामला ठंडा भी नहीं हो पाया था कि एक बार फिर उन्नाव ही नहीं पूरा समाज ठीक वैसे ही शर्मसार हो गया जैसे कुछ दिनों पूर्व हैदराबाद में पशु चिकित्सक से गैंगरेप और उसके बाद उसको जलाकर मार डालने की घटना से हुआ था। जनता में नाराजगी का आलम यह है कि हैदराबाद में गैंगरेप की घटना को अंजाम देने वाले आरोपियों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया  तो इस पर कहीं कोई विपरीत प्रतिक्रिया नहीं हुई। बल्कि लोगों ने पटाखे बजाकर और पुलिस वालों को मिठाई खिलाकर खुशियां मनाई। कई महिला ही नहीं पुरूष सांसद, विधायक और तमाम नेता भी अपनी खुशी का इजहार करते दिखे।
गैंगरेप के आरोपियों ने एक युवती को जिला जला दिया। वजह पूरा सिस्टम सोया हुआ था। र्गैगरेप की पीड़िता इंसाफ के लिए दर-दर भटकती रही,किसी ने उसकी नहीं सुनी। कहीं भी पुलिस ने ईमानदारी नहीं दिखाई। अपराध की गंभीरता को कम करके दिखाया गया,इतना ही नहीं राज्य महिला आयोग भी पूरे घटनाक्रम में पुलिस की हिलाहवाली से असहाय नजर आया। सिस्टम की आधी आंख तब खुली जब लड़की को दरिंदों ने आग के हवाले करके मौत के मुंह के करीब पहुंचा दिया। आधी आंख इस लिए कहा जा रहा है क्योंकि पीड़िता ने पांच लोगों के नाम बताए थे,जिन्होंने उन्हें जलाया था,लेकिन पुलिस ने सिर्फ दो लोगों के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज किया। तमाम नेता और संगठन खुले आम उन्नाव रेप पीड़िता को भी हैदराबाद की तरह इंसाफ दिलाए जाने की मांग कर रहे हैं,जहां चारों आरोपियों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया है।
  उन्नाव जिले के बिहार थाना क्षेत्र में जब दो माह पूर्व गैंगरेप की शिकार पीड़िता को  आज  सुबह पांच लोगों ने जिंदा जला दिया, तब इस जाकर पुलिस नींद से जागी,लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। अब पुलिस दावा कर रही है कि उसने मामले में सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है,लेकिन समाज यह सवाल पूछ रहा है कि अभी तक गैंगरेप पीड़िता को न्याय क्यों नहीं मिल पाया था। क्या पुलिस तब तक नहीं जागती है जब तक पानी सिर से ऊपर नहीं हो जाता है। पुलिस का कहना है कि यह घटना बिहार थानाक्षेत्र के सिंदुपुर गांव की है। पीड़िता 90 फीसदी तक जल गई है। उसे लखनऊ के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है। यहां बता देना जरूरी है कि मेडिकल सांइस यही कहती है कि अगर कोई इंसान पचास फीसदी से अधिक जल जाता है तो उसके बचने की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं।

अब पुलिस अपनी नाक बचाने के लिए बड़े-बड़े दावे कर रही है, उधर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पीड़िता का इलाज सरकारी खर्च पर कराए जाने और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कह रहे हैं,लेकिन लगता नहीं है कि इतने भर से मामला शांत हो जाएगा। बहरहाल,हमेशा की तरह इस बार भी सामूहिक दुष्कर्म की शिकार उन्नाव की युवती को जलाकर मारने के प्रयास पर सीएम योगी आदित्यनाथ बेहद गंभीर हैं। झारखंड दौरे पर गए सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस घटना की शाम तक रिपोर्ट तलब की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज ही लखनऊ के कमिश्नर और आईजी को तत्काल घटनास्थल का निरीक्षण कर शाम तक आख्या उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
बात गैंगरेप पीड़िता के इलाज की कि जाए तो उन्नाव के थाना बिहार क्षेत्र में सामूहिक दुष्कर्म पीडिता को जिंदा जलाने की घटना का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि पीडिता को सरकारी खर्च पर हर संभव चिकित्सा दी जाए। इसके साथ ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने उन्नाव जिला और पुलिस प्रशासन को निर्देश दिया है कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर कोर्ट से प्रभावी दंड दिलाने के लिए हर संभव कार्रवाई की जाए।
यहां सरकारी खर्च पर इलाज कराए जाने की भी व्याख्या करना जरूरी हैे। होता यह है कि जब सीएम सरकारी खर्च पर इलाज की बात कहते हैं तो अस्पताल में इलाज तो फ्री में शुरू हो जाता है,लेकिन डाक्टरों का ध्यान इस बात पर ज्यादा होता है कि कैसे मामला शांत होते ही भुक्तभोगी को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाए। अस्पताल से छुट्टी देने के बाद भुक्तभोगी का न कोई हालचाल पूछता है, कहीं से किसी तरह की कोई मदद मिलती है। कैसे एक परिवार हैं जो सीएम के मुफ्त इलाज की घोषणा के बाद भी दर-दर के लिए भटक रहे हैं। कई का तो गहने,मकान,जमीन तक पीड़ितों का इलाज करवाने में बिक जाते हैं । तब न तो सरकार सामने आती है, न इस तरह की घटनाओं पर सियासत करके रोटियां संेकने वाले नेता और कथित समाज सेवी कहीं दिखाई देते हैं। अंत में पीड़िता परिवार को ही सब भुगतना पड़ता है। इस बात के एक नहीं कई उदाहरण मौजूद हैं।
बताया जा रहा है कि उन्नाव की पीडिता लखनऊ के श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल (सिविल) में भर्ती है। करीब 90 प्रतिशत तक जली पीडिता मौत से संघर्ष कर रही है। यहां पर प्लास्टिक सर्जन की देखरेख में पीडिता का इलाज हो रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश सिंह ने तो योगी सरकार से सामूहिक इस्तीफा ही मांग लिया है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी डीजपी ओपी सिंह से एफआईआर क्यों नहीं लिखी है,इसका जबाव तलब किया है है।
पुलिस किस तरह से अपना दामन बचाती है। यहां यह भी समझना जरूरी है। उन्नाव के पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर कह रहे हैं कि मार्च में रायबरेली के लालगंज थाना क्षेत्र में एक केस दर्ज हुआ था। इसमें लड़की की तरफ से आरोप था कि शादी का झांसा देकर दो लोगों द्वारा गैंगरेप किया गया। इन दोनों आरोपियों का नाम पेट्रोल डालकर जलाने की घटना में भी शामिल है। इधर, पीड़िता के परिवार का कहना है कि जेल से छूटकर आए आरोपी पिछले दो दिनों से उन्हें धमकी दे रहे थे।
पीड़िता ने बयान दिया है कि वह आज सुबह 4 बजे वह रायबरेली जाने के लिए ट्रेन पकड़ने बैसवारा बिहार रेलवे स्टेशन जा रही थी। गौरा मोड़ पर गांव के हरिशंकर त्रिवेदी, किशोर, शुभम, शिवम और उमेश ने उसे घेर लिया और सिर पर डंडे से और गले पर चाकू से वार किया। इस बीच वह चक्कर आने से गिरी तो आरोपियों ने पेट्रोल डालकर आग लगा दी। बता दें कि इस केस की जांच रायबरेली पुलिस ने की थी। इस केस में दोनों आरोपी जेल से जमानत पर बाहर आए थे।
बात रायबरेली की कि जाए तो गैंगरेप की शिकार एक युवती तो इंसाफ नहीं मिल पाने से दुखी होकर इच्छा मृत्यु की गुहार लेकर परिवार सहित मुख्यमंत्री आवास पहुंच गई। आरोप है कि लगभग साल भर पहले पीड़िता के साथ गैंगरेप हुआ था। रिपोर्ट लिखने के बावजूद भी उसे न्याय नहीं मिला, जिसकी वजह से परिवार निराश है और सरकार से इच्छामृत्यु की मांग की है।
दुखी पीड़िता और उसका परिवार न्याय के लिए रायबरेली से पैदल ही राजधानी लखनऊ पहुंच गया। पीड़िता के पति का आरोप है कि 2018 में उसकी पत्नी के साथ गांव के ही दबंगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था। दबंगों ने बंदूक की नोंक पर गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया था। परिवार रायबरेली से पैदल चलकर पांच कालिदास मार्ग पहुंचा था तो हड़कम्प मच गया। परिवार ने आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग की। वहीं पीड़िता का कहना है कि अगर योगी सरकार न्याय नहीं दे सकती है तो इच्छा मृत्यु का अधिकार दे दे।
लगभग एक साल पहले महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना हुई थी, जिसके बाद आज तक पुलिस ने कोई गिरफ्तारी नहीं की। परिवार डीएम से लेकर एसपी से न्याय के लिए भटकता रहा, लेकिन साल भर में भी पुलिस ने किसी की भी गिरफ्तार नहीं की। वहीं हजरतगंज पुलिस की सूचना पर रायबरेली से पुलिस महिला थाना पहुंची। परिवार को अपने साथ लेकर रायबरेली पुलिस रवाना हो गई।
इसी प्रकार बांदा के झांसी-मीरजापुर हाई-वे पर स्थित बरगढ़ घाटी के पुलिस सहायता केंद्र में 22 साल की युवती की गोली मारकर हत्या कर दी गई। पहचान छिपाने के लिए उसका सिर और चेहरा भी ईंट से कुचल दिया गया। युवती के साथ रेप की आशंका भी जताई जा रही है। हालांकि, पुलिस का कहना है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही रेप की पुष्टि हो सकेगी। इस घटना के बाद प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया है। पुलिस केस के हर पहलू की जांच कर रही है। युवती के शव को सबसे पहले देखने वालों ने बताया कि उसके कपड़े अस्त-व्यस्त थे। घटनास्थल के पास ही 112 सेवा का पॉइंट भी था। पुलिस का कहना है कि युवती के सिर में दो गोलियां मारी गई हैं। सहायता केंद्र और उसके आसपास ऐसे कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं, जो रेप की ओर इशारा करते हों। फिलहाल युवती की शिनाख्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
दूसरा मामला उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जिले से सामने आया है। यहां हलिया इलाके के एक गांव में रहने वाली हाईस्कूल की छात्रा के साथ गैंगरेप के आरोप में पुलिस ने सीआरपीएफ जवान समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो ऐक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।
वाराणसी में रहने वाले रिटायर्ड जेलर बृजलाल का बेटा जयप्रकाश को 02 दिसंबर को पुलिस का ‘लोगो’ और लाल-नीली बत्ती लगी कार में अपने तीन दोस्तों को लेकर गांव पहुंचा। वहां उसने हाईस्कूल की एक छात्रा को फोन कर बुलाया। आरोप है कि जब छात्रा बताई जगह पर पहुंची तो चारों युवकों ने उसे कार में बिठा लिया और गांव से दूर ले जाकर गैंगरेप किया। आरोपियों में शामिल महेंद्र यादव सीआरपीएफ में जवान है। उसकी तैनाती सुलतानपुर में है।
आलम यह है कि हैदराबाद की घटना के बाद ही उत्तर प्रदेश में दुष्कर्म की 44 घटनाएं सामने आईं हैं। ये घटनाएं पिछले एक सप्ताह में 26 जिलों में हुईं। पिछले दिनों उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह का प्रयास करने के बाद मामले ने तूल पकड़ा तो सीबीआई जांच शुरू हुई थी। इसमें विधायक कुलदीप सिंह सेंगर समेत नौ लोग अभी भी जेल में है। इस केस में उन्नाव पुलिस की काफी किरकिरी हुई थी,फिर भी वह नहीं सुधरी। अगर सुधर गई होती तो दुष्कर्मी किसी लड़की को जिंदा जलाने की हिम्मत नहीं करते।
कहने को महिलाओं की मदद के लिए देश में 100, 112,1090 जैसे हेल्पलाइन हैं। लेकिन देखने में यही आता है कि अक्सर हेल्पलाइन का फोन ही जल्दी नहीं उठता। फिर उन्हें मदद या न्याय कैसे जल्दी मिलेगी। महिलाओं संग यौन हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं। यूपी महिला हेल्पलाइन 1090 के आंकड़ें बता रहे हैं कि सोशल मीडिया के जरिए भी छेड़छाड़ के मामले पिछले दो साल में सात गुना बढ़े हैं। बढ़ते मामलों को लेकर एडीजी अंजू गुप्ता दावा करती हैं कि त्वरित कार्रवाई से 1090 के प्रति महिलाओं का भरोसा बढ़ा है और साफ्टवेयर सरल बनाया गया है जिससे अधिकतम पीड़ित संपर्क करने लगी हैं।
बात सिलसिलेवार दुष्कर्म की घटनाओं की कि जाए तो अम्बेडकरनगर जलालपुर थाना क्षेत्र में नाबालिग लड़की को डरा धमका कर दुराचार करने का मामला प्रकाश में आया है। काफी हीलाहवाली के बाद 04 दिसंबर को पीड़िता के पिता की तहरीर पर तीन लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है।
इसी दिन कानपुर के बिठूर क्षेत्र की एक सोसाइटी में कक्षा नौ की छात्रा को घर में अकेला पाकर आईटीआई छात्र ने दुष्कर्म किया। छात्रा ने मां की तहरीर पर बिठूर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की। 30 नवंबर को थाना सेक्टर-49 स्थित बरौला गांव से युवती को अगवा कर उसे मुंबई ले जाकर गैंगरेप करने की शिकायत पिता ने दर्ज कराई थी।
मुरादाबाद के मूंढापांडे थाना क्षेत्र में 04 दिसंबर की शाम तमंचे के बल पर युवती से सामूहिक बलात्कार किया गया। वह गन्ना काटने के लिए खेत गई थी। पीड़िता की तहरीर पर दो के खिलाफ केस दर्ज किया गया। एक सप्ताह में गाजियाबाद में गैंगरेप का एक मात्र मामला मोदीनगर थाने में दर्ज हुआ है। सुहाना की किशोरी के साथ गांव के ही चार युवकों ने रेप किया।

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