—विनय कुमार विनायक
हमें तो ऐसा युवाजन चाहिए
जो पर नारी को दिल से मां कह दे!
हमें तो ऐसा मुलाजिम चाहिए
जो रिश्वत देने वाले को ना कह दे!
हमें तो ऐसा जनसेवक चाहिए
जो भारतवर्ष से भ्रष्टाचार मिटा दे!
हमें तो ऐसा देशभक्त चाहिए
जो सीमा पर शत्रु को धूल चटा दे!
हमें तो ऐसा शिक्षक चाहिए
जो हर घर में शिक्षा को फैला दे!
हमें तो ऐसा पड़ोसी चाहिए
जो समग्र विश्व में अमन ला दे!
हमें तो ऐसा अनजान चाहिए
जो हर राह को आसान बना दे!
हमें तो ऐसा मेहमान चाहिए
जो परिणीता का मान बढ़ा दे!
हमें तो ऐसा आत्मज चाहिए
जो राम सा सत्यवान बन जाए!
हमें तो ऐसी गृह वधू चाहिए
जो सीता सी सावित्री बन आए!
हमें तो ऐसी जनता चाहिए
जो तिरंगा झंडे का सम्मान करे!
हमें ऐसे शरणार्थी नहीं चाहिए
जो भारत माता का अपमान करे!
हमें ना ऐसा राजनेता चाहिए
जो राष्ट्रीय धर्म को कमजोर करे!
हमें नहीं धर्मनिरपेक्ष चाहिए
ऐसा जो तुष्टिकरण अपनाया करे!
हमें तो जयचंद नहीं चाहिए
जो आक्रांताओं को देश में शरण दे!
हमें तो मीरजाफर नहीं चाहिए
जो आतंकियों को घर में पनाह दे!
हमें तो ऐसा मतदाता चाहिए
जो जाति के नाम वोट नहीं करे!
हमें ऐसे वासिंदे नहीं चाहिए
जो देश धर्म का हित नहीं करे!
हमें ऐसा युग चारण चाहिए
जो देश के महाजनों का गुणगान करे!
हमें ऐसी आगामी पीढ़ी चाहिए
जो क्रांतिकारियों का यश बखान करे!
—विनय कुमार विनायक
मुंगेरी लाल के सपने।
सपने ही साकार होते हैं, रमश सिंह जी!