—विनय कुमार विनायक
जब हमारे देश का नाम भारतवर्ष था
तब सिंधु रावी चिनाव झेलम सतलज ये पंच नद से
हिन्दुकुश के आगे कैश्पियन सागर यानि कश्यप सागर तक
संपूर्ण जम्बूद्वीप एशिया स्वायंभुव मनु के प्रपौत्र आदिनाथ
प्रथम जैन तीर्थंकर ऋषभदेव पुत्र भरत के साम्राज्य का हिस्सा था
मोहनजोदड़ो औ’ हड़प्पा की सिंधु सभ्यता भारतवर्ष का किस्सा था!
वेदोदय के पूर्व ऋषभदेव चिह्न वृषभ की मूर्ति धन धान्य कृषि
अन्न कोठार अहिंसक जैन धर्म की अवैदिक मनुर्भरती संस्कृति थी!
तबसे वेदोदय होने के बाद वर्तमान सातवें वैवस्वत मन्वन्तर में
सूर्यपुत्र वैवस्वत मनु के पुत्र-पुत्री से सूर्यकुल और चंद्रकुल चला
तबसे भारतवर्ष ही आर्यावर्त और ईलावर्त नाम से मकबूल हुआ
लाहौर को सूर्यवंशी रामपुत्र लव ने बसाया कई पुश्त राज किया
चंद्रवंशी दुष्यंत-शकुन्तला के पुत्र भरत से भारतवर्ष भारत बना!
जब देश का नाम जम्बूद्वीप आर्यावर्त भारतवर्ष था
तब रामानुज भरत का पुत्र तक्ष ने निर्माण किया था
तक्षशिला जो भारत के गांधार राज्य का एक नगर था
गांधार माँ गांधारी का मायका कौरवों का मामा घर था
जब भारत इंडिया हुआ तब तक्षशिला एक खंडहर था!
जब देश का नाम भारत था और इंडिया नहीं बना था
तब तक्षशिला नगर में एक तक्षशिला विश्वविद्यालय खुला था
राजवैद्य जीवक ,वैयाकरण पाणिनी, पतंजलि, डाकू अंगुलीमाल
आचार्य चाणक्य, सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने वहीं पाई थी शिक्षा
जब भारत में यूनानी आक्रमण हुआ मेगास्थनीज ने लिखी इंडिका
तबसे ही भारत यूनानी का दिया नाम इंडिया कहलाने लगा
तक्षशिला विश्वविद्यालय विदेशी हूण आक्रमण से ध्वस्त हो गया!
जब भारत हम भारती की माता सोने की चिड़िया कहलाती थी
तब भारत के मगध साम्राज्य पर गुप्त राजवंश की राजगद्दी थी
तब कुमारगुप्त ने बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय किया निर्मित
जो पूरे विश्व कोरिया चीन जापान तिब्बत ईरान तुर्की इंडोनेशिया को
अमूल्य शिक्षा देनेवाला राज्याश्रित शिक्षा विहार काफी विस्तृत था!
जहाँ चीनीयात्री ह्वेनसांग इत्सिंग गणितज्ञ आर्यभट्ट सम्राट हर्षवर्द्धन
धर्मपाल सहित दस हजार देशी विदेशी छात्रगण वेद वेदांग योग धर्म दर्शन
भाषा साहित्य गणित विज्ञान ज्योतिष आयुर्वेद एकसाथ करते थे अध्ययन!
जब देश हमारा भारत था, गोपाल और धर्मपाल की राजसत्ता थी
तब बिहार में उदंतपुरी और विक्रमशिला विश्वविद्यालय हुआ स्थापित
जो नालंदा विश्वविद्यालय के तर्ज पर निर्मित विश्वस्तरीय विद्यापीठ था
जो वसुधैव कुटुम्बकम जगतगुरु भाव से दुनिया को ज्ञान बांटता था!
जब भारत पर ईरानी अरबी इस्लामी आक्रमण हुआ
तब देश का नाम भारत से हिन्द या हिन्दुस्तान बना
बख्तियार खिलजी ने नालंदा उदंतपुरी विक्रमशिला के
लाखों-लाख धर्मग्रंथों और पांडुलिपियों को दिया जला!
जब भारत में अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी आई
भारत को गुलाम किया इंडिया नाम पर मुहर लगाई
मोहनजोदड़ो हडप्पा गांधार बंगाल भूमि गई, हो गई
पाकिस्तान की रावलपिंडी और ढाकेश्वरी बंग्लादेश की!
भारत जबसे गुलामी की संज्ञा इंडिया कहलाने लगा था
तबसे काबुल गांधार तिब्बत वर्मा आक्साईचीन पंजाब सिंध
कश्मीर नेपाल भूटान बंगाल हमारे हाथ से जाने लगा था!
अब भारत को इंडिया नहीं कहेंगे अब और नहीं बँटने देंगे
अब इंडिया दैट इज भारत दोयम दर्जे का नाम नहीं सहेंगे!
—विनय कुमार विनायक