एक था गबरू बन गया गब्बर देश – दुनिया में खूब मचाया अंधेर नए जमाने में उसी के रीमेक की तरह बुखार बन गया फीवर जिसके नाम से अब दुनिया कांपे थर – थर नाम सुनते ही क्या राजू क्या राजा पसीने से हो रहे तर – बतर बुखार वाले को देखते ही क्या छोटे क्या बड़े अच्छे – अच्छे डॉक्टर भी कर रहे हाथ खड़े दौडों – भागो टेस्ट कराओ नहीं तो कहीं जाकर मर जाओ . ट्रेन बंद , प्लेन बंद बंद मेला – ठेला सिर्फ़ दवा दुकानों के सामने दिखता है इंसानों का रेला .
पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ हिंदी पत्रकारों में तारकेश कुमार ओझा का जन्म 25.09.1968 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में हुआ था। हालांकि पहले नाना और बाद में पिता की रेलवे की नौकरी के सिलसिले में शुरू से वे पश्चिम बंगाल के खड़गपुर शहर मे स्थायी रूप से बसे रहे। साप्ताहिक संडे मेल समेत अन्य समाचार पत्रों में शौकिया लेखन के बाद 1995 में उन्होंने दैनिक विश्वमित्र से पेशेवर पत्रकारिता की शुरूआत की। कोलकाता से प्रकाशित सांध्य हिंदी दैनिक महानगर तथा जमशदेपुर से प्रकाशित चमकता अाईना व प्रभात खबर को अपनी सेवाएं देने के बाद ओझा पिछले 9 सालों से दैनिक जागरण में उप संपादक के तौर पर कार्य कर रहे हैं।