मृत्यु के बाद आप किस योनि में जायेंगे, क्या आप जानते है

आने वाले जन्म में आप क्या बनेंगे, इसकी विस्तृत व्याख्या गरुड़ पुराण में की गई है। वर्तमान जन्म में हमारे द्वारा किए गए अच्छे और बुरे कर्मों के आधार पर आने वाले जन्म की योनि का निर्धारण किया जाता है। गरुड़ पुराण के
अनुसार कई तरह के पाप करने वाले लोग नरक में सजा भुगतते हैं। इतना ही नहीं उनको मनुष्य जन्म की जगह पशु-पक्षी, कीड़े-मकौड़े का जन्म लेना पड़ता है। आईये जाने की किस तरह का पाप करने वाले व्यक्ति को आने वाले जन्म
में किस योनि में जाना पड़ सकता है। बालक के जन्म समय के अनुसार कुंडली का निर्माण किया जाता है। मृत्यु के बाद आत्मा की क्या गति होगी या वह पुन: किस रूप में जन्म लेगी, इसके बारे में भी जन्म कुंडली देखकर जाना जा
सकता है। आगे इसी से संबंधित कुछ प्रमाणिक योग बताए जा रहे हैं-

 कुंडली में कहीं पर भी यदि कर्क राशि में गुरु स्थित हो तो जातक मृत्यु के बाद उत्तम कुल में जन्म लेता है।

लग्न में उच्च राशि का चंद्रमा हो तथा कोई पापग्रह उसे न देखते हों तो ऐसे व्यक्ति को मृत्यु के बाद सद्गति प्राप्त होती है।
 अष्टमस्थ राहु जातक को पुण्यात्मा बना देता है तथा मरने के बाद वह राजकुल में जन्म लेता है, ऐसा विद्वानों का कथन है।

 अष्टम भाव पर मंगल की दृष्टि हो तथा लग्नस्थ मंगल पर नीच शनि की दृष्टि हो तो जातक रौरव नरक भोगता है।
 अष्टमस्थ शुक्र पर गुरु की दृष्टि हो तो जातक मृत्यु के बाद वैश्य कुल में जन्म लेता है।
 अष्टम भाव पर मंगल और शनि, इन दोनों ग्रहों की पूर्ण दृष्टि हो तो जातक की अकाल मृत्यु होती है।
 अष्टम भाव पर शुभ अथवा अशुभ किसी भी प्रकार के ग्रह की दृष्टि न हो और न अष्टम भाव में कोई ग्रह स्थित हो तो जातक ब्रह्मलोक प्राप्त करता है।
 लग्न में गुरु-चंद्र, चतुर्थ भाव में तुला का शनि एवं सप्तम भाव में मकर राशि का मंगल हो तो जातक जीवन में कीर्ति अर्जित करता हुआ मृत्यु उपरांत ब्रह्मलीन होता है अर्थात उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 लग्न में उच्च का गुरु चंद्र को पूर्ण दृष्टि से देख रहा हो एवं अष्टम स्थान ग्रहों से रिक्त हो तो जातक जीवन में सैकड़ों धार्मिक कार्य करता है तथा प्रबल पुण्यात्मा एवं मृत्यु के बाद सद्गति प्राप्त करता है।
 अष्टम भाव को शनि देख रहा हो तथा अष्टम भाव में मकर या कुंभ राशि हो तो जातक योगिराज पद प्राप्त करता है तथा मृत्यु के बाद विष्णु लोक प्राप्त करता है।
  यदि जन्म कुंडली में चार ग्रह उच्च के हों तो जातक निश्चय ही श्रेष्ठ मृत्यु का वरण करता है।
 ग्यारहवे भाव में सूर्य-बुध हों, नवम भाव में शनि तथा अष्टम भाव में राहु हो तो जातक मृत्यु के पश्चात मोक्ष प्राप्त करता है।

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