हाशिए पर कौन ?

0
228

अनुज अग्रवाल

देश व दुनिया में गजब की राजनीति हो रही है। हाशिए पर पड़े किम जोंग अब अमेरिका के मित्र हैं तो नए आयात कर ठोक अमेरिका चीनी व्यापार को ही हाशिए पर धकेलने की कोशिश में है। इधर हाशिए पर पड़े पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की संघ मुख्यालय जाने की गुगली से पूरी कांग्रेस व उसकी रणनीति ही हाशिए पर आ गई है। यूं तो लोकसभा चुनावों में अभी एक वर्ष का समय है किंतु मीडिया ने कुछ ऐसा माहौल बना रखा है कि मानो कल ही चुनाव होने जा रहे हैं। पिछले एक माह में सरकार के कार्यों की समीक्षा, आलोचना, नए विपक्षी गठबंधन पर गहन चर्चा, संभावित मुद्दों और विकल्पों पर पिछले एक माह में इतनी ज्यादा चर्चा दिशाहीन हो चुकी है कि आम जनता और उसके रोजमर्रा की जरूरतों के मुद्दे हाशिए पर आ चुके हैं। इनके बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री बिना बात ही उपराज्यपाल के प्रतीक्षा कक्ष में मंत्रियों सहित 9 दिन परसे रहे और बिना कारण ही उठकर निकल भी लिए और दिल्ली का पूरा प्रशासन व जनता हाशिए पर आ गई। यूं तो हाशिए पर ईमानदारी भी है और सरकारी अमला लूट और भ्रष्टाचार के नए रिकॉर्ड बना रहा है और हाशिए पर देश का पर्यावरण भी है जिसके कारण गर्मी का औसत तापमान लगातार बढ़ रहा है और जूझती गर्मी के व विकास की बातों के बीच जीवन का अस्तित्व ही हाशिए पर है।
घटते रोजगार व अवसरों के बीच हाशिए पर तो देश की युवा पीढ़ी अधिक है। प्रधानमंत्री मोदी के ‘यूथ फ़ॉर न्यू इंडिया विजन पर गहन बहस व विश्लेषण डायलॉग इंडिया ने अकेडमिया कॉन्क्लेव के माध्यम से दिल्ली के बाद इस माह पुणे में भी किया जिसका सार हमने इस अंक में समेटा है तो युवा और आरक्षण पर सरकार के नए कदमों के बाद पूरी आरक्षण व्यवस्था का गहन विश्लेषण भी हमने इस अंक में किया है ताकि भविष्य में हाशिए पर खड़ी युवा पीढ़ी मुख्यधारा में आ सके।
उत्तर प्रदेश में सपा बसपा ने कांग्रेस को हाशिए पर खड़ा कर दिया है तो पश्चिमी बंगाल में ममता बनर्जी ने वामपंथी पार्टियों व कांग्रेस को। तमिलनाडु में इतने दल खड़े हो गए कि पूरा प्रदेश ही हाशिए पर आ गया। कर्नाटक में गठबंधन सरकार की नित नई रार में लोकतांत्रिक व्यवस्था ही व जनमत ही हाशिए पर है तो महाराष्ट्र व पंजाब में भाजपा अपने हाशिए पर किए गए सहयोगी दलों शिवसेना व अकाली दल को साधने की कोशिश में खुद को ही हाशिए पर लाने को उतारू है। यही हाल अन्य सहयोगियों को साथ रखने में हो रहा है।
हाशिए पर पड़ी जम्मू कश्मीर की जनता व अपने समर्थकों को साधने के लिए अंतत: मोदी सरकार व भाजपा ने जम्मू कश्मीर में पीडीपी से गठबंधन तोड़ राज्य में राज्यपाल शासन लागू करवा दिया। यह हाथ से फिसलती स्थितियों के बीच मोदी-शाह का ‘मास्टर स्ट्रोक है और लोकसभा चुनावों में कूदने की विधिवत घोषणा भी। यह एक तीर सौ शिकार करने जैसा है। विपक्ष की चुनौतियों से निपटने से पूर्व मोदी-शाह के लिए घर की सफाई जरूरी थी। इसी से निबटने की रणनीति के तहत मोदी सरकार के तीन दिग्गज भी हाशिए पर हैं। अरुण जेटली वित्त मंत्री होते हुए भी बीमारी के नाम पर घर बैठा दिए गए हैं और बेचारे ब्लॉग लिख लिख कर मोदी जी को मक्खन लगाने की कोशिश में हैं। गृहमंत्री राजनाथ सिंह कुछ दिन पूर्व ही श्रीनगर में महबूबा मुफ्ती के साथ अमन बहाली के लिए रोड शो कर रहे थे और युद्धविराम को न्यायोचित ठहरा शांति के कबूतर उड़ा रहे थे और ऐसा लग रहा था कि पाकिस्तान के चुनावों में पीडीपी कश्मीर में अशांति बढ़ाकर पाकिस्तान की जिस विशेष राजनीतिक पार्टी की मदद कर रही है उसमें मोदी सरकार भी शामिल है कि भाजपा ने पीडीपी सरकार से गठबंधन तोड़ सरकार से समर्थन वापसी कर गृह मंत्रालय की कोशिशों को दो कौड़ी का कर दिया। इधर हिन्दू से मुसलमान बनी महिला को पासपोर्ट जारी करने के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विवादास्पद आदेश को लेकर सोशल मीडिया पर सुषमा की फजीहत की गयी, जिससे उनका कद बहुत ज्यादा बौना बना दिया गया।
इन तीनों नेताओं पर पिछले कुछ महीनों में मोदी-शाह की जोड़ी को विभिन्न राज्य चुनावों में अगड़ों की राजनीति करने, संघ को अपने पक्ष में करने व पछाडऩे के लिए अंदरखाने विपक्ष का साथ देने का आरोप मीडिया में चर्चित है। मोदी शाह के अप्रत्यक्ष हमले ने इन तीनों वरिष्ठ नेताओं को सकते में ला दिया है। अब जुलाई में केंद्र सरकार, पार्टी व राज्यों में व्यापक फेरबदल करना मोदी-शाह के लिए खासा आसान होगा। हां इन लोगों से जुड़े मंत्रियों व पार्टी पदाधिकारियों के बुरे दिन आने तय लग रहे हैं, बाकी सत्ता और समय के खेल।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here