विश्व की पहली स्मार्ट सिटी है अयोध्या

ayodhya-डा. राधेश्याम द्विवेदी
दुनिया की पांच बेहतरीन स्मार्ट सिटी:-चमचमाती, चौड़ी-चौड़ी सड़कें, साफ-सुथरी गलियां, कायदे से बनी इमारतें, ये है स्मार्ट सिटी। लेकिन एक शहर का स्मार्ट सिटी बनना इतना आसान भी नहीं है। सिर्फ साफ-सफाई के दम पर कोई सिटी स्मार्ट सिटी नहीं बनती। बल्कि स्मार्ट बनने के लिए उसे कई कसौटियों पर खरा उतरना पड़ता है। इन कसौटियों के बारे में बताने से पहले आपको बताते हैं दुनिया की पांच बेहतरीन स्मार्ट सिटी-स्मार्ट सिटी की लिस्ट में पहले पायदान पर है बार्सिलोना: स्पेन का शहर जिसकी आबादी 16 लाख से ज्यादा है। मशहूर यूरोपियन फुटबॉल क्लब एफसी बार्सिलोना का शहर। स्मार्ट सिटी की लिस्ट में दूसरी पायदान पर है न्यूयॉर्क: अमेरिका का सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर, स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का शहर। यहीं पर संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालय भी है।तीसरी स्मार्ट सिटी है लंदन: ब्रिटेन की राजधानी। यूरोप का दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर। ब्रिटिश राजशाही और यूरोपियन शैली की शानदार इमारतों का शहर।चौथे नंबर पर है फ्रांस का शहर नीस: पहाड़ों के साये में बसे इस शहर की खूबसूरती के चलते ही इसे नीस कहा जाता है। पांचवी स्मार्ट सिटी है सिंगापुर: पांच स्मार्ट सिटी की लिस्ट में एशिया का इकलौता शहर, दुनिया के सबसे बड़े कारोबारी शहरों में सिंगापुर की गिनती होती है।आखिर इन शहरों में ऐसा क्या खास है जो इन्हें दुनिया के हजारों शहर से अलग बनाता है। वो क्या खूबियां हैं जिनके आधार पर इन शहरों को दुनिया की बेस्ट सिटी का दर्जा दिया गया है। सिर्फ आर्थिक विकास और आसमान छूती इमारतों की वजह से कोई शहर स्मार्ट नहीं बनता, बल्कि कई कसौटियों पर खरा उतरने के बाद इन शहरों को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिला।
स्मार्ट सिटी की कसौटी:-टेक्नोलॉजी- यानी शहर में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किस हद तक और किसके लिए किया जा रहा है।बिल्डिंग- शहर की इमारतें नियम के तहत बनी हैं या नहीं, उनमें जरूरी सुविधाएं सुलभ हैं या नहीं।
सार्वजनिक सुविधाएं- शहर में जनता के लिए सार्वजनिक सुविधाएं हैं या नहीं, और हैं तो उनका स्तर कैसा है।
सड़क और परिवहन- शहर में सड़कों का स्तर कितना अच्छा है। सार्वजनिक परिवहन कितना असरदार है और गाड़ियों की आवाजाही के इंतजाम कितने अच्छे हैं। रोजगार- शहर में रोजगार के कितने अवसर मौजूद हैं।
जीवन स्तर- शहर में रहने वाले लोगों का जीवन स्तर कैसा है।
इन तमाम कसौटियों पर परखे जाने के बाद ही एक शहर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिलता है। स्मार्ट का मतलब किसी शहर की आर्थिक तरक्की या तकनीकी तरक्की कतई नहीं है। बल्कि निवासियों के रहन-सहन का स्तर, उन्हें मिलने वाली सुविधाएं, टेक्नोलॉजी का बेहतर इस्तेमाल जैसी कई चीजें मिलकर एक शहर को स्मार्ट बनाती हैं। ऐसे में सवाल ये कि क्या नरेंद्र मोदी सरकार की स्मार्ट सिटी योजना में शामिल शहरों को इन कसौटियों पर कसा जाएगा। अगर मोदी सरकार दुनिया की इन स्मार्ट सिटी को आधार बनाते हुए स्मार्ट सिटी बनाएगी तो हमारी शहर भी दुनिया के बेहतरीन शहरों को टक्कर देंगे।
भारत में स्मार्ट नगर की कल्पना:-:- प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की है जिन्होंने देश के 100 नगरों को स्मार्ट नगरों के रूप में विकसित करने का संकल्प किया है। सरकार ने 27 अगस्त 2015 को 98 प्रस्तावित स्मार्ट नगरों की सूची जारी कर दी। सरकार की योजना के अनुसार 20 नगर वर्ष 2015 में ,40 नगर 2016में और 40 नगर 2017 में स्मार्ट नगरों के रूप में विकसित करने की योजना प्रस्तावित है।दिनांक 28 जनवरी 2016 को भारत सरकार ने 20 स्मार्ट सिटी घोषित किये केंद्रीय बजट में वर्ष 2014 में 7,060 करोड़ रुपये का प्रस्ताव। केंद्र सरकार की इस योजना में 5वर्ष में कुल 48,000 करोड़ का निवेश करने की योजना है और इतना ही धन सम्बंधित राज्य सरकारें अपने -अपने राज्य में चयनित नगरों के विकास में खर्च करेंगी। अर्थात केंद्र और राज्य सरकारें इस योजना में सामान धन निवेश करेंगी। इस वर्ष 2015 में चयनित स्मार्ट नगरों के विकास के लिए 200 करोड़ रुपये और अगले चार वर्षों तक प्रत्येक वर्ष 100 करोड़ रुपये प्रत्येक नगर को आवंटित होंगे। प्रस्तावित स्मार्ट नगरों में किफायती घर, हर तरह का इन्फ्रास्ट्रक्चर, पानी और बिजली चौबीसों घंटे, शिक्षा के विकल्प, सुरक्षा ,मनोरंजन और स्पोर्ट्स के साधन, आसपास के इलाकों से अच्छी और तेज कनेक्टिविटी और अच्छे स्कूल और अस्पताल होती है।
निवेश:- मानव संसाधन और प्राकृतिक संसाधन के मुताबिक पूरा निवेश, बड़ी कंपनियों को वहां अपनी उद्योग लगाने के लिए सुविधाएं और सहूलियत मिले। टैक्स का ज्यादा बोझ न हो।
रोजगार:-स्मार्ट नगर में इन्वेस्टमेंट ऐसा आए जिससे वहां या आसपास रहने वाले लोगों को रोजगार के पूरे मौके । स्मार्ट नगर के अंदर रहने वालों को अपनी आमदनी के लिए उस इलाके से ज्यादा दूर नहीं जाना पड़े।
ट्रान्सपोर्ट :-स्मार्ट सिटी के अंदर एक स्थान से दूसरे स्थान जाने का ट्रैवल टाइम 45 मिनट से ज्यादा न हो। कम से कम 2 मीटर चौड़े फुटपाथ ।रिहाइशी इलाकों से 800 मीटर की दूरी या 10 मिनट वॉक पर बस या मेट्रो की सुविधा ।
आवास:- 95 फीसदी आवासीय इलाके ऐसे हों जहां 400 मीटर से भी कम दूरी पर स्कूल, पार्क और मनोरंजन पार्क मौजूद हों। 20 फीसदी मकान आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए हों। कम से कम 30 फीसदी आवासीय और व्यवसायिक क्षेत्र बस या मेट्रो स्टेशन से 800 मीटर की दूरी के दायरे में ही हों।
बिजली और पानी:- स्मार्ट सिटी में 24×7 पानी और बिजली सप्लाई हो। 100 फीसदी घरों में बिजली कनेक्शन हों। सारे कनेक्शनों में मीटर लगा हो। लागत में नुकसान न हो। यानी कोई बिजली-पानी चोरी न कर पाए। प्रति व्यक्ति कम से कम 135 लीटर पानी दिया जाए।
शिक्षा:-15 फीसदी इलाका एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स के लिए हो। हर 2500 लाेगों पर एक प्री-प्राइमरी, हर 5000 लोगों पर एक प्राइमरी, हर 7500 लोगों पर एक सीनियर सेकंडरी और हर एक लाख की आबादी पर पहली से 12वीं क्लास तक का एक इंटिग्रेटेड स्कूल हो। सवा लाख की आबादी पर एक कॉलेज हो। 10 लाख की आबादी पर एक यूनिवर्सिटी, एक इंजीनियरिंग कॉलेज, एक मेडिकल कॉलेज, एक प्रोफेशनल कॉलेज और एक पैरामेडिकल कॉलेज हो
स्वास्थ्य :-स्मार्ट सिटी में इमरजेंसी रिस्पॉन्स टाइम 30 मिनट से ज्यादा न हो। हर 15 हजार लोगों पर एक डिस्पेंसरी हो। एक लाख की आबादी पर 30 बिस्तरों वाला छोटा अस्पताल, 80 बिस्तरों वाला मीडियम अस्पताल और 200 बिस्तरों वाला बड़ा अस्पताल हो। हर 50 हजार लोगों पर एक डायग्नोस्टिक सेंटर हो।
वाईफाई कनेक्टिविटी:- 100 फीसदी घरों तक वाईफाई कनेक्टिविटी हो। 100 एमबीपीसी की स्पीड पर वाईफाई पर मिले।
वाल्मीकि का अयोध्या का वर्णन:- मोदी सरकार ने भले ही देश में 100 स्मार्ट सिटी बनाने का लक्ष्य रखा हो और फिलहाल इसके लिए 20 शहरों के नामों की घोषणा भी कर दी हो लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया की पहली ‘स्मार्ट सिटी’ अयोध्या थी। हैरान रह गए ना आप। लेकिन, ये हम नहीं कह रहे बल्कि इसके सबूत हमें वाल्मीकि रामायण के भीतर ही मिलते हैं। वाल्मीकि रामायण के पांचवे सर्ग में अयोध्या पुरी का वर्णन विस्तार से किया गया है। आइए जानते हैं क्यों थी अयोध्या दुनिया की सबसे पुरानी स्मार्ट सिटी।

साकेतपुरी अयोध्या का वर्णन करते हुए महर्षि वाल्मीकि, रामायण के बालकांड के पांचवें सर्ग के पांचवें श्लोक में लिखते हैं :

”कोसल नाम मुदित: स्फीतो जनपदो महान।

निविष्ट: सरयूतीरे प्रभूतधनधान्यवान्।। (1/5/5)

(अर्थात : सरयू नदी के तट पर संतुष्ट जनों से पूर्ण धनधान्य से भरा-पूरा, उत्तरोत्तर उन्नति को प्राप्त कोसल नामक एक बड़ा देश था।)
वाल्मीकि आगे लिखते हैं –”इसी देश में मनुष्यों के आदिराजा प्रसिद्ध महाराज मनु की बसाई हुई तथा तीनों लोकों में विख्यात अयोध्या नामक एक नगरी थी।(1/5/6) नगर की लंबाई चौड़ाई और सड़कों के बारे में महर्षि वाल्मीकि लिखते हैं – ”यह महापुरी बारह योजन (96 मील) चौड़ी थी। इस नगरी में सुंदर, लंबी और चौड़ी सड़कें थीं। (1/5/7) वाल्मीकि जी सड़कों की सफाई और सुंदरता के बारे में लिखते हैं : ”वह पुरी चारो ओर फैली हुई बड़ी-बड़ी सड़कों से सुशोभित थी। सड़कों पर नित्य जल छिड़का जाता था और फूल बिछाये जाते थे। (1/5/8) महर्षि आगे लिखते हैं – ”इंद्र की अमरावती की तरह महाराज दशरथ ने उस पुरी को सजाया था। इस पुरी में राज्य को खूब बढ़ाने वाले महाराज दशरथ उसी प्रकार रहते थे जिस प्रकार स्वर्ग में इन्द्र वास करते हैं।” (1/5/9) साकेत पुरी की सुंदरता का बखान करते हुए वाल्मीकि लिखते हैं : ”इस पुरी में बड़े-बड़े तोरण द्वार, सुंदर बाजार और नगरी की रक्षा के लिए चतुर शिल्पियों द्वारा बनाए हुए सब प्रकार के यंत्र और शस्त्र रखे हुए थे।” (1/5/11) उसमें सूत, मागध बंदीजन भी रहते थे, वहां के निवासी अतुल धन सम्पन्न थे, उसमें बड़ी-बड़ी ऊंची अटारियों वाले मकान जो ध्वजा पताकाओं से शोभित थे और परकोटे की दीवालों पर सैकड़ों तोपें चढ़ी हुई थीं। (1/5/12)

बाग-उद्यान:- नगर के बागों उद्यानों पर प्रकाश डालते हुए महर्षि वाल्मीकि लिखते हैं : ”स्त्रियों की नाट्य समितियों की भी यहां कमी नहीं है और सर्वत्र जगह-जगह उद्यान निर्मित थे। आम के बाग नगरी की शोभा बढ़ाते थे। नगर के चारो ओर साखुओं के लंबे-लंबे वृक्ष लगे हुए ऐसे जान पड़ते थे मानो अयोध्या रूपिणी स्त्री करधनी पहने हो।” (1/5/13) नगर की सुरक्षा और पशुधन का वर्णन करते हुए महर्षि वाल्मीकि लिखते हैं :-”यह नगरी दुर्गम किले और खाई से युक्त थी तथा उसे किसी प्रकार भी शत्रु जन अपने हाथ नहीं लगा सकते थे। हाथी, घोड़े, बैल, ऊंट, खच्चर जगह-जगह दिखाई पड़ते थे। (1/5/14) ”राजभवनों का रंग सुनहला था, विमान गृह जहां देखो वहां दिखाई पड़ते थे।” (1/5/16) ”उसमें चौरस भूमि पर बड़े मजबूत और सघन मकान अर्थात बड़ी सघन बस्ती थी। कुओं में गन्ने के रस जैसा मीठा जल भरा हुआ था।” (1/5/17) ”नगाड़े, मृदंग, वीणा, पनस आदि बाजों की ध्वनि से नगरी सदा प्रतिध्वनित हुआ करती थी। पृथ्वीतल पर तो इसकी टक्कर की दूसरी नगरी थी ही नहीं।” (1/5/18) ”उस उत्तम पुरी में गरीब यानी धनहीन तो कोई था ही नहीं, बल्कि कम धन वाला भी कोई न था, वहां जितने कुटुम्ब बसते थे, उन सब के पास धन-धान्य, गाय, बैल और घोड़े थे।(1/6/7)

ऐसे निर्मित हुई अयोध्या:- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार ब्रह्माजी के पास पहुंचकर मनु ने सृष्टिलीला में निरत होने के लिए उपयुक्त स्थान सुझाने का आग्रह किया। इसपर ब्रह्माजी उन्हें लेकर भगवान विष्णु के पास पहुंचे। तब भगवान विष्णु ने मनु को आश्वासन दिया कि समस्त ऐश्वर्यसंपूर्ण साकेतधाम मैं अयोध्यापुरी भूलोक में प्रदान करता हूं। भगवान विष्णु ने इस नगरी को बसाने के लिए ब्रह्मा जी तथा मनु के साथ देवशिल्पी विश्वकर्मा को भेज दिया। इसके अलावा अपने रामावतार के लिए उपयुक्त स्थान ढूंढ़ने के लिए महर्षि वसिष्ठ को भी उनके साथ भेजा। मान्यता है कि वसिष्ठ द्वारा सरयू नदी के तट पर लीलाभूमि का चयन किया गया जहां विश्वकर्मा ने नगर का निर्माण किया। स्कंद पुराण के अनुसार अयोध्या भगवान विष्णु के चक्र पर विराजमान है। इसी पुराण के अनुसार अयोध्या में ‘अ’ कार ब्रह्मा, ‘य’ कार विष्णु और ‘ध’ कार रुद्र का ही रूप है।

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