योग से खत्म होती है मनुष्य के अन्दर की नकारात्मकता (‘‘अंतर्राष्ट्रीययोगदिवस’’ 21 जून 2019 परविशेष)
हरसालअंतर्राष्ट्रीययोगदिवस 21 जूनकोमनायाजाताहै।इससालपूरेविश्वमेंपंचम अंतर्राष्ट्रीययोगदिवसमनायाजाएगा।भारतदेशमेंयोगदिवसकाएकअपनाहीअलगमहत्त्वहै।योगभारतीयप्राचीनसंस्कृतिकीपरम्पराओंकोसमाहितकरताहै।भारतदेशमेंयोगकाप्राचीनसमयसेहीअहमस्थानहै।पतंजलीयोगदर्शनमेंकहागयाहैकि– योगश्चित्तवृत्तनिरोधःअर्थात्चित्तकीवृत्तियोंकानिरोधहीयोगहै।दूसरेशब्दोंमेंकहाजाएतोह्रदयकीप्रकृतिकासंरक्षणहीयोगहै।जोमनुष्यकोसमरसताकीऔरलेजाताहै।योगमनुष्यकीसमताऔरममताकोमजबूतीप्रदानकरताहै।यहएकप्रकारकाशारारिकव्यायामहीनहींहैबल्किजीवात्माकापरमात्मासेपूर्णतयामिलनहै।योगशरीरकोतोस्वस्थ्यरखताहैहीइसकेसाथ–साथमनऔरदिमागकोभीएकाग्ररखनेमेंअपनायोगदानदेताहै।योगमनुष्यमेंनये–नयेसकारात्मकविचारोंकीउत्पत्तिकरताहै।जोकिमनुष्यकोगलतप्रवृतिमेंजानेसेरोकतेहैं।योगमनऔरदिमागकीअशुद्धताकोबाहरनिकालकरफेंकदेताहै। साथ-साथ योग से मनुष्य के अन्दर की नकारात्मकता खत्म होती है।योगव्यक्तिगतचेतनाकोमजबूतीप्रदानकरताहै।योगमानसिकनियंत्रणकाभीमाध्यमहै।हिन्दूधर्म, बौध्दधर्मऔरजैनधर्ममेंयोगकोआध्यात्मिकदृष्टिसेदेखाजाताहै।योगमनऔरदिमागकोतोएकाग्ररखताहैहीसाथहीसाथयोगहमारीआत्माकोभीशुध्दकरताहै।योगमनुष्यकोअनेकबीमारियोंसेबचाताहैऔरयोगसेहमकईबीमारियोंकाइलाजभीकरसकतेहैं।असलमेंकहाजातेतोयोगजीवनजीनेकामाध्यमहै।
श्रीमद्भागवतगीतामेंकईप्रकारकेयोगोंकाउल्लेखकियागयाहै।भगवदगीताकापूराछठाअध्याययोगकोसमर्पितहै।इसमेयोगकेतीनप्रमुखप्रकारोंकेबारेमेंबतायागयाहै।इसमेंप्रमुखरूपसेकर्मयोग, भक्तियोगऔरज्ञानयोगकाउल्लेखकियागयाहै।कर्मयोग– कार्यकरनेकायोगहै।इसमेंव्यक्तिअपनेस्थितिकेउचितऔरकर्तव्योंकेअनुसारकर्मोंकाश्रद्धापूर्वकनिर्वाहकरताहै।भक्तियोग– भक्तिकायोग।भगवान्केप्रतिभक्ति।इसेभावनात्मकआचरणवालेलोगोंकोसुझायाजाताहै।औरज्ञानयोग– ज्ञानकायोगअर्थातज्ञानअर्जितकरनेकायोग।भगवतगीताकेछठेअध्यायमेंबतायेगएसभीयोगजीवनकाआधारहैं।इनकेबिनाजीवनकीकल्पनानहींकीजासकती।भगवद्गीतामेंयोगकेबारेमेंबतायागयाहैकि – सिद्दध्यसिद्दध्योसमोभूत्वासमत्वंयोगउच्चते।अर्थात्दुःख–सुख, लाभ–अलाभ, शत्रु–मित्र, शीतऔरउष्णआदिद्वन्दोंमेंसर्वत्रसमभावरखनायोगहै।दुसरेशब्दोंमेंकहाजाएतोयोगमनुष्यकोसुख–दुःख, लाभ–अलाभ, शत्रु–मित्र, शीतऔरउष्णआदिपरिस्थितिओंमेंसामानआचरणकीशक्तिप्रदानकरताहै।भगवान्श्रीकृष्णनेगीतामेंएकस्थलपरकहाहै ‘योगःकर्मसुकौशलम’ अर्थातयोगसेकर्मोमेंकुशलताआतीहैं।वास्तवमेंजोमनुष्ययोगकरताहैउसकाशरीर, मनऔरदिमागतरोताजारहताहै।औरमनुष्यप्रत्येककाममनलगाकरकरताहै।
27 सितंबर 2014 कोप्रधानमंत्रीनरेंद्रमोदीनेसंयुक्तराष्ट्रमेंअपनेपहलेसंबोधनमेंअंतरराष्ट्रीययोगदिवसमनानेकीजोरदारपैरवीकीथी।इसप्रस्तावमेंउन्होंने 21 जूनको ‘‘अंतरराष्ट्रीययोगदिवस’’ केरूपमेंमान्यतादिएजानेकीबातकहीथी।मोदीकीइसपहलका 177 देशोंनेसमर्थनकिया।संयुक्तराष्ट्रमहासभाके 69वेंसत्रमेंइसआशयकेप्रस्तावकोलगभगसर्वसम्मतिसेस्वीकारकरलिया।और 11 दिसम्बर 2014 कोकोसंयुक्तराष्ट्रमें193 सदस्योंद्वारा 21 जूनको ‘‘अंतर्राष्ट्रीययोगदिवस’’ कोमनानेकेप्रस्तावकोमंजूरीमिली।प्रधानमंत्रीमोदीकेइसप्रस्तावको 90 दिनकेअंदरपूर्णबहुमतसेपारितकियागया, जोसंयुक्तराष्ट्रसंघमेंकिसीदिवसप्रस्तावकेलिएसबसेकमसमयहै।पहलाअंतर्राष्ट्रीययोगदिवस 21 जून 2015 कोमनायागयाऔरपूरेविश्वमेंधूमधामसेमनायागया।इसदिनकरोड़ोंलोगोंनेविश्वमेंयोगकियाजोकिएकरिकॉर्डथा।
योगदिवसमें ‘सूर्यनमस्कार’ व ‘ओम’ उच्चारणकाकुछमुस्लिमसंगठनविरोधकरतेरहेहैं।असलमेंकहाजाएतो ‘ओम’ शब्दयोगकेसाथजुड़ाहुआहै।इसेविवादमेंतब्दीलकरनादुर्भागयपूर्णहै।लेकिनइसेहरकिसीपरथोपाभीनहींजासकता।इसलिएयोगकरतेसमयलोगोंको ‘ओम’ उच्चारणकोअपनीधार्मिकमान्यताकीआजादीकेअनुसारप्रयोगकरनाचाहिए।अगरकिसीकाधर्मओमउच्चारणकीआजादीनहींदेतातोउन्हेंबिनाओमजापकेयोगकरनाचाहिए।लेकिनयोगकोकिसीएकधर्मसेजोडकरविवादपैदानहींकरनाचाहिए।आजकेसमयमेंयोगकोभारतकेजन–जनतकयोगकोपहुँचानेमेंयोगगुरुबाबारामदेव, आध्यात्मिकगुरुश्रीश्रीरविशंकरसहितअनेकोंऐसेमहापुरुषोंकाअहम्योगदानहै।इनकेयोगकेक्षेत्रमेंयोगदानकीवजहसेहीआजभारतकेघर–घरमेंप्रतिदिनयोगहोताहै।
भगवद्गीताकेअनुसार – तस्माद्दयोगाययुज्यस्वयोगःकर्मसुकौशलम।अर्थात्कर्त्व्यकर्मबन्धकनहो, इसलिएनिष्कामभावनासेअनुप्रेरितहोकरकर्त्तव्यकरनेकाकौशलयोगहै।योगकोसभीलोगोंकोसकारात्मकभावसेलेनाचाहिए।कोईभीधर्म–सम्प्रदाययोगकीमनाहीनहींकरता।इसलिएलोगोंकोयोगकोविवादमेंनहींघसीटनाचाहिए।योगबुध्दिकुशग्रबनाताहैऔरसंयमबरतनेकीशक्तिदेताहै।योगकीजितनीधार्मिकमान्यताहै।उतनाहीयोगस्वस्थ्यशरीरकेलिएजरूरीहै।योगसेशरीरतोस्वस्थ्यरहताहैहीसाथहीसाथयोगचिंताकेभावकोकमकरताहै।औरमनोबलभीमजबूतकरताहै।योगमानसिकशान्तिप्रदानकरताहैऔरजीवनकेप्रतिउत्साहऔरऊर्जाकासंचारकरताहै।योगमनुष्यमेंसकारात्मकतातोबढाताहैही, साथहीसाथशरीरकीप्रतिरोधकक्षमताभीबढाताहै।इसलिएलोगोंकोइसतनावभरेजीवनसेमुक्तिपानेकेलिएयोगकरनाचाहिए।औरदूसरेलोगोंकोभीप्रेरितकरनाचाहिए।जिससेकिअधिकसेअधिकलोगोंकोइसकालाभमिलसके।
– ब्रह्मानंद राजपूत, आगरा.
(Brahmanand Rajput) Dehtora, Agra
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