—-अनुप्रिया अंशुमान
मोहब्बत की दुनिया है तुम्हारी आँखें,
चमकता हुआ सितारा है तुम्हारी आँखें ।
तुम्हारे ही दम से है मेरा ये नसीब,
मेरी पहचान है ये तुम्हारी आँखें ॥
आँखें बोलती है तुम्हारे दिल की धड़कन,
दिल की धडकनों की आवाज़ है तुम्हारी आँखें ।
आँखों से बरसता है जहाँ हल्का सा नशा ॥
वो नशे मन जहाँ है तुम्हारी आँखें,
स्वर्ग को ढूंढती फिर रही हूँ मै ।
आशियाना है दो जहाँ की तुम्हारी ये आँखें,
जी चाहता है डूब जाऊ मैं मोहब्बत के समन्दर में,
वफ़ा का सागर है ये तुम्हारी आँखें ॥
(2)
तेरे दर पे आये
तेरे दर पे आये
पर तुझको पहचान न सके,
तुझे देखकर मुस्कुराये तो बहुत
मगर मुस्करा न सके ।
मुझे ठुकरा दे तू
वो तेरी जिंदगी का मौसम है,
हम तो तेरे पास रह कर भी
तुझे गा न सके ।
मत पूछ की
कितने शर्मिंदा हैं हम,
तेरे सामने भी रहकर
खुद को पहचान न सके ।
तेरा रंग दुनिया के हर रंग में
नजर आता है,
होली हो बहुत खेले
मगर तेर रंग में नहा न सके ।
तू आया है आँखों में
प्रेम की मुस्कराहट को लेकर,
पर हम तो तेरे आँखों से
आंखे मिला न सके ।