देहरादून में नारद जयंती एवं पत्रकार सम्मान समारोह

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14 मई, 2017 (रविवार) को ओ.एन.जी.सी. के खचाखच भरे विशाल सभागृह में विश्व संवाद केन्द्र, देहरादून की ओर से ‘नारद जयंती एवं पत्रकार सम्मान समारोह’ सम्पन्न हुआ। समारोह में मुख्य वक्ता थे राज्यसभा सांसद डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी तथा अध्यक्षता मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने की।

डा. स्वामी ने नारद जी को भगवान का सूचना और प्रसारण मंत्री तथा ऐसा पत्रकार बताया, जो अच्छे काम करने वालों को प्रोत्साहित करते थे और बुरा काम करने वालों की बुराइयां उजागर कर देते थे। इसके पीछे उनका उद्देश्य निजी हित न होकर जनहित रहता था। उन्होंने कहा कि पत्रकारों का दायित्व है कि वे समाज में फैली बुराइयां उजागर करते हुए सामाजिक एकता व समरसता को बनाए रखने में भी अपनी भूमिका का भलीभांति निर्वहन करें।

45 मिनट के अपने सारगर्भित उद्बोधन में उन्होंने कई महत्वपूर्ण विषयों को स्पर्श किया। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को राष्ट्रपति जब चाहे हटा सकते हैं। उन्होंने कश्मीर घाटी में 10 लाख सशस्त्र पूर्व सैनिकों को बसाने तथा हमला कर पाकिस्तान के चार टुकड़े करने का सुझाव दिया। अयोध्या पर किसी भी विवाद से इन्कार करते हुए उन्होंने निश्चयपूर्वक कहा कि यह भूमि श्रीराम की है और अगले वर्ष वहां मंदिर बनना शुरू हो जायेगा।

उन्होंने भारत के सभी हिन्दू और मुसलमानों का डी.एन.ए. एक बताते हुए तीन तलाक को गलत कहा और प्रधानमंत्री द्वारा इस ओर की जा रही पहल का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि किसी मुस्लिम देश में लोकतंत्र नहीं है। नौकरी के लिए गये हिन्दू वहां घर में भी पूजा नहीं कर सकते। जो लोग भारत को असहिष्णु कहते हैं, वे इस विषय पर कुछ नहीं बोलते। समान नागरिक संहिता दुनिया के कई देशों में लागू है। वहां मुसलमान उसे मानते हैं, फिर भारत में क्या परेशानी है ?

डा. स्वामी ने आपातकाल के दौरान 10 अगस्त, 1976 का वह प्र्रसंग भी याद किया, जब वे वारंट होते हुए भी संसद में पहुंच गये और लोकतंत्र की मृत्यु का प्रस्ताव रखकर गायब हो गये। इंदिरा गांधी उन्हें तलाश रही थी; पर वे संघ के भूमिगत संजाल के सहयोग से नेपाल और फिर अमरीका पहुंच गये। उन्होंने कहा कि भारत में हिन्दू की स्थिति मोहग्रस्त अर्जुन जैसी है; पर अब यह मोह टूट रहा है। जैसे ही पूरा मोह टूटेगा, देश की अधिकांश समस्याएं हल हो जाएंगी।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नारद जयन्ती की बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने भी एक वर्ष मेरठ से प्रकाशित ‘राष्ट्रदेव’ का सम्पादन किया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में प्रायः आपदाएं आती रहती हैं। ऐसे में पत्रकारों का दायित्व है कि वे सत्य समाचारों को प्रमुखता से दिखाएं और पुराना घटनाक्रम प्रसारित न करें। उन्होंने कहा कि दो साल पूर्व घनसाली में बादल फटने का समाचार कई माध्यमों ने इतने भयावह ढंग से प्रस्तुत किया कि लाखों तीर्थयात्रियों ने यात्रा स्थगित कर दी। इससे राज्य और स्थानीय लोगों को करोड़ों रु. की हानि हुई।

समारोह में पाक्षिक ‘हिमालय हुंकार’ के ‘उत्तराखंड में पत्रकारिता: इतिहास और विकास’ विशेषांक तथा विश्व संवाद केन्द्र के निदेशक श्री विजय कुमार द्वारा देशप्रेमी लेखकों व पत्रकारों पर लिखित पुस्तक ‘भारत जिनके मन बसा’का लोकार्पण मंचासीन अतिथियों ने किया। इस अवसर पर आठ पत्रकारों को सम्मानित भी किया गया। ये हैं सर्वश्री निशीथ सकलानी, राजकिशोर तिवारी, राजेश बड़थ्वाल, आफताब अजमत, प्रशांत राय, चन्द्रप्रकाश बुड़ाकोटी, कुलदीप नेगी तथा सुश्री निही शर्मा।

कार्यक्रम का संचालन विश्व संवाद केन्द्र के निदेशक श्री विजय कुमार एवं महानगर प्रचार प्रमुख हिमांशु अग्रवाल ने किया। इस अवसर पर विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र मित्तल, सचिव श्री राजकुमार टांक, हिमालय हुंकार के प्रबन्ध सम्पादक रणजीत सिंह ज्याला, प्रांत संघचालक श्री चंद्रपाल सिंह नेगी, डॉ. रश्मि त्यागी रावत, श्रीमती रीता गोयल तथा सैकड़ों गण्यमान्य लोग उपस्थित थे।

 

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