रेल बजट में रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने यात्री सुविधा, सुरक्षा के साथ-साथ बुलेट ट्रेन और कई रूटों पर हाई स्पीड ट्रेन चलाने की घोषणा की है। सवाल है कि मौजूदा संसाधनों के भरोसे इसे कैसा पूरा किया जाएगा? मौजूदा रेल लाइनें हाई स्पीड ट्रेन चलाने लायक नहीं हैं। पहले ही रेल पटरियों पर ट्रेनों की बढ़ी संख्या के कारण अतिरिक्त दबाव है। इसे कम करने के लिए अतिरिक्त पटरियां बिछानी होगी। अच्छी बात यह है कि रेल मंत्री ने निजी निवेश की बात कही है। निजी निवेश से रेल परियोजनाओं को पूरा करने सहायता मिलेगी। इस बजट की खास बात यह है कि काफी समय बाद लोकलुभावन घोषणाएं करने से परहेज किया गया है। रेलवे की सुरक्षा और संरक्षा को लेकर हर बजट में घोषणाएं होती रही है, लेकिन इस पर अमल नहीं हो पाया है। इस बजट में सुरक्षा और संरक्षा को प्राथमिकता देते हुए ट्रेनों में टक्कर रोधी यंत्र लगाने की बात कही गयी है। इस समय यात्री सुविधा बेहतर करने के साथ ही ट्रेनों के परिचालन को दुरुस्त करने की जरूरत है। अच्छी बात है कि बजट में सूचना तकनीक के प्रयोग को बढ़ावा देने की बात कही है। सूचना-तकनीक का इस्तेमाल कर काफी हद तक ट्रेन हादसों को रोका जा सकता है। माली हालत सुधारने के लिए बजट से पहले यात्री और माल भाड़े में वृद्धि कर दी थी। किराया वृद्धि से रेलवे को 8000 करोड़ रुपए मिलने का अनुमान है। रेलवे की चुनौतियों का जिक्र करते हुए रेल मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ सालों में रेलवे को काफी नुकसान हुआ है। यह सही है कि लोकलुभावन और राजनीतिक कारणों से लिए गए फैसलों के कारण रेलवे की हालत खराब होती गयी। यही नहीं यात्री सुरक्षा के समक्ष खतरा भी बढ़ा। पिछले 9 सालों में 99 परियोजनाएं घोषित की गयी, लेकिन सिर्फ एक ही पूरी हो पायी। एक रुपए कमाने के लिए रेलवे 94 पैसे खर्च करता है। लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए लगभग दो लाख करोड़ रुपए चाहिए, जबकि मौजूदा समय में रेलवे के पास इतने संसाधन नहीं है। इसके लिए अगले 10 साल तक रेलवे को सालाना 50 हजार करोड़ रुपए चाहिए। रेलवे ट्रैकों के रखरखाव, पुराने पुलों की मरम्मत, सिग्नल व्यवस्था को आधुनिक बनाये बिना रेल यात्रा सुरक्षित नहीं हो सकती है। इस बजट में इस पहलू का खास ख्याल रखा गया है। करोड़ों यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है। उम्मीद है कि सुरक्षा को लेकर बजट में जो घोषणाएं की गयी है, उसका क्रियान्वयन भी सही तरीके से होगा।