-जगदीश्वर चतुर्वेदी
सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी पर इस देश को अमीर बनाने का जुनून सवार हो गया है। वे येन-केन प्रकारेण देश को अमीर बनाने पर तुले हैं। लेकिन अमीर बनाने के चक्कर में गरीबों की मुसीबतें बढ़ गयी हैं। वे मनरेगा-मनरेगा चिल्लाते रहते हैं। पहले सोनिया गांधी की सास गरीबी हटाओ-गरीबी हटाओ चिल्लाती रहती थी लेकिन गरीबी नहीं हटी, वे जरूर हटा दी गयीं।
बतर्ज सआदत हसन मंटो जो हो रहा है उस पर गौर फरमाएं-
‘‘ नगर-नगर ढ़िंढ़ोरा पीटा गया कि जो आदमी भीख माँगेगा, उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। गिरफ्तारियाँ शुरू हुईं। लोग खुशियाँ मनाने लगे कि एक बहुत पुरानी लानत दूर हो गई।
कबीर ने यह देखा तो उसकी आंखों में आंसू आ गए।
लोगों ने पूछाः ‘‘ऐ जुलाहे, तू क्यों रोता है ?’’
कबीर ने रोकर कहाः ‘‘कपड़ा दो चीज़ों से बनता है-ताने और पेट से…गिरफ्तारियों का ताना तो शुरू हो गया, पर पेट भरने का पेटा कहाँ है ?’’
सोनिया राहुल और मनमोहन के देश को अमीर बनाने की कीमत देखनी हो तो अत्म्हात्यो की फेहरिस्त पैर नजर दल ले कि इसकी कीमत कौम चूका रहा है.एक तरफ गरीबो और बेरोजगारों की तादाद बढती जा रही है दूसरी तरफ मित्तलो,अम्बानियो का मुनाफा ५०० गुना बढ़ रहा है.ये लोग शायद भूतपूर्व महामहिम बनकट रमण के बतो को भूल गए है की गरीबो के समुद्र में अमीरी के टापू एक सीमा तक ही चलने वाला है नहीं तो ऐसा जलजला आयेगा की सब कुछ बहा लेजयेगा.शायद माओवाद इसका प्रतीक है.
व्यक्तियों पर नहीं .नीतियों पर चलायें बाण .
मोल करो तलवार का ,पड़ी रहन दो म्यान …
दूसरी बाली पंक्ति उन्ही की है …..जो ……रोया …..