बिहार की राजधानी व् दक्षिणी बिहार को उत्तर बिहार से जोड़ने वाला सबसे महत्वपूर्ण लिंक जर्जर गाँधी सेतू अब बिहार की जनता के लिए नासूर बन चूका है l किसी भी दिन ढह जाने की इस पुल की स्थिति और वर्षों से इस पर रोज लगने वाले महाजाम केंद्र व् राज्य सरकार एवं स्थानीय प्रशासन के तमाम प्रयासों व् दावों के बावजूद यथावत हैं l नीतीश जी के पिछले कथित सुशासनी १० साल के लम्बे कार्यकाल में भी इस पुल की मरमत के लिए केंद्र की सरकार के साथ समन्वय की न तो कोई सार्थक पहल हुई न ही इस पर नित्य लगने वाले जाम का सिलसिला ख़त्म हुआ l
महागठबंधन की सरकार के गठन के बाद उप-मुख़्यमंत्री तेजस्वी यादव ने गाँधी सेतू के मुद्दे को गंभीरता से लिया और इस पुल के जीर्णोद्धार और इसके समानांतर एक नए पुल के निर्माण के लिए केंद्र सरकार के साथ निरन्तर संपर्क में रह कर केंद्र सरकार पर दबाब बनाते हुए भी दिखते हैं l अगर माननीय उप-मुख़्यमंत्री के सदप्रयासों से इस पुल का जीर्णोद्धार होता है और इसके सामानांतर एक नए पुल के निर्माण के लिए केंद्र सरकार की सहमति मिलती है तो निःसन्देह उप-मुख़्यमंत्री साधुवाद के हक़दार होंगे l वैसे भी अगर बिना किसी पूर्वाग्रह के देखा जाए और महागठबंधन की सरकार के मंत्रियों के अब तक के काम- काज का विश्लेषण किया जाए तो उप-मुख्यमंत्री सबसे ‘फोकस्ड’ मंत्री के रूप में भीड़ से अलग दिखते हैं l तेजस्वी यादव के मंत्री बनने पर उनके कम अनुभव को आधार बना कर तमाम तरह की आशंकाएँ जाहिर की गयीं थेीं लेकिन समय के साथ अपने काम , अपने व्यवहार और विवादों से दूर रह कर अपने से जुड़े विभागों के कार्यों का जिस कुशलता के साथ तेजस्वी निष्पादन कर रहे हैं उसे देख कर ये कहना कोई अति-श्योक्ति नहीं होगी कि नीतीश – नीत सरकार के बाकी मंत्रियों को भी तेजस्वी यादव से सीख लेने की जरूरत है l विपक्ष के दिग्गज भी ‘ऑफ द रिकॉर्ड ‘ चर्चा में श्री यादव की सराहना करते हुए कहते हैं कि ” इतनी कम उम्र में ऐसी ‘मैच्युरिटी’ की उम्मीद तो हमें कतई नहीं थी l ” राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी आगे कहते हैं “ विधानसभा – सत्रों के दौरान भी विपक्ष के रडार पर रहते हुए विपक्ष के तीखे हमलों और जटिल प्रश्नों को भी जिस प्रकार से इन्होनें हैंडल किया वो ये दर्शाता है कि कुछ अलग बात तो जरूर है लालू जी के इस लाल में l”
अगर किसी भी राजनीतिक तबके से तेजस्वी यादव जैसा युवा चेहरा निकल कर आता है , जिसके काम में सकारात्मकता दिखती हो , प्रयास दिखता हो , लीक से अलग अपनी कार्यशैली दिखती हो तो उस के प्रोत्साहन के लिए उसकी सराहना अवश्य होनी चाहिए l इसमें कोई शक नहीं की सबसे युवा देश की तस्वीर युवा ही बदलेंगे और अगर युवा – नेतृत्व की दिशा सही रास्ते पर दिखती हो तो एक नयी उम्मीद तो जरूर कायम होती है l