क़हर आलोद निगाहों से बचाकर रखना,
अपने महबूब को आंखों में बसाकर रखना।
आपके सारे ग़मों को भी मैं अपना लूंगा,
आप होंटो पे तबस्सुम को सजाकर रखना।
हर तरफ खूनी फ़सादों के भयानक मंज़र,
नाता अफ़ज़ल है पड़ौसी से निभाकर रखना।
बनके मशहूर ना मग़रूर बनाना खुद को,
अदना इंसां से भी रिश्ते को बनाकर रखना।
बच्चो के हाथ छूने को तरसेंगी तितलियां…..
बादल हमारे दिल को दुखाकर चला गया,
दरिया पे सारा पानी बहाकर चला गया।
दिल में थे ज़ख़्म चेहरे पे शिकन ना थी,
वो ज़िंदगी मिसाल बनाकर चला गया।
बच्चो के हाथ छूने को तरसेंगी तितलियां,
ख़ंजर उन्हें ये कौन थमाकर चला गया।
जब ये समझे हम कि वो हीरा शहर का है,
फ़नकार अपने फ़न को लुटाकर चला गया।।
नोट-क़हरआलोद-खूंख़्वार, तबस्सुम-मुस्कुराहट, अफ़ज़ल-बेहतर, मग़रूर-अहंकारी, अद्ना-छोटा, शिकन-परेशानी, फ़नकार-कलाकार।।