गजल- मेरा तो घर जला दिया अच्छा नहीं किया

इक़बाल हिंदुस्तानी

तुमने हमें हरा दिया अच्छा नहीं किया,

सोये थे क्यों जगा दिया अच्छा नहीं किया।

 

सौदा तो कर लिया मगर कैसे टिकेगा ये,

रूठों को यूं मना दिया अच्छा नहीं किया।

 

खुद पर जो आंच आई तो हल्ला मचा दिया,

मेरा तो घर जला दिया अच्छा नहीं किया।

 

तुम तो अमनपसंद थे तुम भी बहक गये,

तुमने भी सर झुका दिया अच्छा नहीं किया।

 

उंगली कटाई आपने हमने कटाया सर,

फिर भी हमें भुला दिया अच्छा नहीं किया।

 

आधी सदी के बाद में सोकर उठे थे हम,

अपनों ने फिर सुला दिया अच्छा नहीं किया।

 

सदियां लगीं थीं देश से जाने में जिनको कल,

फिर से उन्हें बसा दिया अच्छा नहीं किया।

 

कुर्सी की कुश्तियों के खिलाड़ी तो एक हैं,

दुश्मन हमें बना दिया अच्छा नहीं किया।।

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लेखक 13 वर्षों से हिंदी पाक्षिक पब्लिक ऑब्ज़र्वर का संपादन और प्रकाशन कर रहे हैं। दैनिक बिजनौर टाइम्स ग्रुप में तीन साल संपादन कर चुके हैं। विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में अब तक 1000 से अधिक रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। आकाशवाणी नजीबाबाद पर एक दशक से अधिक अस्थायी कम्पेयर और एनाउंसर रह चुके हैं। रेडियो जर्मनी की हिंदी सेवा में इराक युद्ध पर भारत के युवा पत्रकार के रूप में 15 मिनट के विशेष कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं। प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ लेखक के रूप में जानेमाने हिंदी साहित्यकार जैनेन्द्र कुमार जी द्वारा सम्मानित हो चुके हैं। हिंदी ग़ज़लकार के रूप में दुष्यंत त्यागी एवार्ड से सम्मानित किये जा चुके हैं। स्थानीय नगरपालिका और विधानसभा चुनाव में 1991 से मतगणना पूर्व चुनावी सर्वे और संभावित परिणाम सटीक साबित होते रहे हैं। साम्प्रदायिक सद्भाव और एकता के लिये होली मिलन और ईद मिलन का 1992 से संयोजन और सफल संचालन कर रहे हैं। मोबाइल न. 09412117990

1 COMMENT

  1. इकबाल हिन्दुस्तानी की ग़ज़ल “अच्छा नहीं किया ” बहुत अच्छी लगी.
    सुरेश माहेश्वरी

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