10वां विश्व हिन्दी सम्मेलन, भोपाल

आगामी 10-12सितम्बर तक विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन भोपाल मे होना
है,और इसका बिगुल भी सारे देश मे बजना शुरू हो चुका हैं ।तमाम राजनेता और
नागरिकों के जुबान पर हिन्दी अब छाने लगी है,बिलकुल वैसे ही जैसे कोई
त्योहार होने पर घर मे चार दिन पहले से रौनक छाने लग जाती है।
अब हर कोई अपना वक्तव्य देने लगा है कि हमे हिन्दी मे यह करना चाहिए वह
करना चाहिए , हिन्दी हमारी राजभाषा है हिन्दी हमारी मातृभाषा है और भी न
जाने क्या क्या ?
Hindi-meet-in-Bhopalअब हर सोशल नेटवर्किंग साइट पर इसकी धूम देखने को मिल जाएंगी कि आप अपना
कोई भी काम हिन्दी मे कीजिए , सोशल साइट्स का उपयोग हिन्दी मे कीजिए, और
भी तमाम तरह की अटकले हिन्दी के बारे मे लोग देते मिलेंगे ।लेकिन कब तक ,
जब तक यह चर्चा मे हैं क्योंकि हमारे देश का उसुल है कि कोई भी मुद्दा तब
तक सुर्खियों मे हैं जब तक की उस पर आरोप प्रत्यारोप और राजनीति चालू है।
उसके बाद वह फाइल बंद हो जाएंगी ।
तो जैसा की हमे ज्ञात है पूरे 32 साल बाद भारत मे होने जा रहे इस
ऐतिहासिक सम्मेलन मे विश्व के 27 देशो के हिंदी के प्रखर वक्ता और
विद्वान सिरकत करने वाले है साथ ही साथ इस सम्मेलन मे भारत के भी
विद्वान हिस्सा लेंगे ।इस सम्मेलन मे हिन्दी से जुड़े सारे मुद्दों पर लोग
अपने विचार रखेंगे की कैसे हिन्दी को सर्वव्यापक भाषा बनाई जा सकती है
आदि।
एक और मुद्दा है जो हमारा देश इस सम्मेलन मे उठाने की कोशिश करेगा वह है
हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनाना यह सही भी है लेकिन क्या
पहले यह जरूरी नहीं की हम हिन्दी को हमारी राष्ट्रभाषा बनाने पर जोर दे ,
कितनी दुख की बात है कि सर्व सम्पन्न समृद्ध देश भारत की कोई राष्ट्रभाषा
नहीं है । हिन्दी केवल राजभाषा मात्र है । औपचारिक तौर पर हम हिन्दी को
राष्ट्रभाषा कहते है पर आधिकारिक रूप से इसे राष्ट्र भाषा घोषित नहीं
किया गया है , तो सर्वप्रथम हमारा यह दायित्व बनता है कि हम हिन्दी को
हमारी राष्ट्रभाषा बनाने पर जोर दे उसके बाद उसे संयुक्त राष्ट्र संघ की
भाषा बनाने पर।
अब देखना यह होगा की क्या सच मे हमारे राजनेता हिन्दी की गरिमा पर ध्यान
देते है, इसे राष्ट्र भाषा बनाने मे सहभागी बनते है या इस पर राजनीति
शुरू करते है।

पंकज कसरादे
मुलताई मध्यप्रदेश

4 COMMENTS

  1. फिरंगी राज से कांग्रेस राज में होते हुए भारत ने बहुत कुछ खो दिया है। कांग्रेस राज की अन्तर्निहित अयोग्यता एवं अनुपयुक्त नीतियों के कारण तथाकथित स्वतंत्र भारत में भारतीयों की निष्ठा और राष्ट्रप्रेम कभी पनप ही नहीं पाया और आज भी हम विद्रोही-मनोभाव नकारात्मक दृष्टिकोण बनाए हुए हैं। इससे पहले कि हम चिल्ला चिल्ला कर अपने विचारों की दरिद्रता, निर्विरोध असफलता, और चिरस्थाई विवशता को प्रदर्शित करें, क्यों न हम एक बार सकारात्मक ढंग से देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाते हुए भारत पुनर्निर्माण में यथायोग्य योगदान दें? कक्षा में व्यर्थ छिद्रान्वेषण करते अध्यापक से बच्चों को भयभीत और किंकर्तव्यविमूढ़ निष्क्रिय होते देखा है तो उसी कक्षा में किसी दूसरे अध्यापक द्वारा प्रोत्साहित करते विद्यार्थियों को स्वर के साथ स्वर मिलाते पाठ पढ़ते और रटते भी देखा है। लिखने वालों से मेरा विनम्र अनुरोध है कि आज राष्ट्रीय शासन से गौरवित वे सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए सुधारवादी विचार प्रस्तुत कर सामान्य नागरिकों को लाभान्वित करें।

  2. बहुत उम्दा प्रस्तुति.
    स्पष्ट करते हुए कि घर पहले सँभाला जाए बाद में पढ़ोसी को सुधारेंगे.

  3. इस हिंदी सम्मेलन में मध्य प्रदेश सरकार से एक करबद्ध निवेदन है. ”व्यापम ”नाम से और इसकी कारगुजारियों से सरकार बदनाम हो गयी. और मुख्यमंत्री विचलित हो गये. फलस्वरूप इसका नाम ”प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड ”कर दिया. यह अंग्रेजी अनुवाद क्या बदनामी से मुक्ति देगा?हिंदी दिवस के अवसर पर इसका नाम यदि”मध्य प्रदेश राज्ज्य प्रतिस्पर्धात्मक चयन संगठन ”कर दिया जाय तो हिंदी की सेवा होगी। आप अपने स्तर पर प्रदेश सरकार को यह सुझा सकें तो हिंदी की सेवा होगी. हालांकि हिंदी,हिन्दू,और हिन्दुस्थान का नारा लगाने वाले शायद ऐसा नहीं करेंगे.

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