अब की और शिवराज

 हेमेन्द्र क्षीरसागर

बधाई! हो शिवराज जी, आपने सूबे के मुख्यमंत्रीत्व काल के सफलतम 12 बरस पूरे कर लिए। 29 नवम्बर 2005 को शपथ लेने वाले शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में लम्बे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का कीर्तिमान अपने नाम कर लिया। सीहोर जिले की बुधनी तहसील मुख्यालय से 24 किमी दूर ग्राम जैत के मध्यमवर्गीय कृषक प्रेमसिंह चौहान के घर 5 मार्च 1959 को जन्मे शिवराज सिंह का राजनैतिक सफर फर्ष से अर्ष तक समेटा हुआ। खास बात यह है कि श्री चौहान ने जन अदालत में आज तक हार का सामना नहीं किया। पांच बार लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए व चार बार प्रदेश विधानसभा में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार प्राप्त किया। पहली बार विधायक पद से इस्तीफा देकर इन्होंने लोकसभा की सदस्यता हासिल की तो लगातार 14 साल तक लोकसभा में क्षेत्र की नुमांईदगी करने के बाद संसद से त्याग पत्र देकर मुख्यमंत्री पद का पदभार संभाला। राजनीति के क्षेत्र में एक दिशा में चलने वाले ऐसे उत्कर्ष के उदाहरण भी अन्यत्र नहीं मिलते। अब बार और शिवराज मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने की तैयारी स्वयं की पहचान के साथ करने जा रहे हैं।

बेमिसाल मैं हूं ना का भरोसा दिलाने वाले शिवराज सिंह का मानना है कि, जनहितैषी योजनाओं के क्रियान्वयन से प्रदेश के विकास और जनकल्याण की सोच को हम साकार रहे हैं। राज्य सरकार के यह प्रयास हैं कि सभी वर्गो को सामाजिक और आर्थिक विकास के समान अवसर उपलब्ध हो। सरकार की कारगर कोशिशों से हमारा प्रदेश अब देश में सबसे तेज गति से विकसित होने वाले राज्य के रूप में उभरा हैं। प्रदेश की 6 करोड जनता के मुखिया की यह पहल कदमी निःसंदेह सुरक्षा और प्रगति की राह पर राज्य को आगे बढा रही हैं। शिव के ‘राज’ में बेटियां लाडली लक्ष्मी बनकर खुली हवा में सांस लेकर नव-क्षतिज को आसिन कर रही है। बच्चे पढ रहे है, किसान की दिशा सुधर रही हैं, उद्योग धंधो का जाल बिछ रहा हैं और बेरोजगारों को ईमानदारी से नौकरी मुहैया हो रही है। सडको के हालात सुधरे है, बिजली की जगमग जन-जन को रोशन कर रही हैंै।

तीसरी बार प्रदेश की बागडोर अपने हाथ में लेने वाले शिव के राज में जरूरतमंदों, शोशितों और पीडितों को शिददत और सलीके से साहरा मिलते दिखा। आज भांजियों के मामा, बहनों के भाई, किसानों के हमदर्द और बुजुर्गो के पुत्र बनकर नित नई योजनाओं को अमली जामा पहनाया। फलीभूत मुख्यमंत्री की मौजूदगी का अहसास आमजन तक हो कि हमें चिंता करने की जरूरत नहीं हैं हमारी रक्षा व सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेने वाला हमारा शिवराज हमारा मुख्यमंत्री हैं। लिहाजा प्रदेश को मंदिर तथा इसमें रहने वाली जनता को अपना भगवान मानने वाले शिवराज सिंह सदा-सर्वदा इनके कल्याण और उत्थान के लिए जीने की बात दोहराते रहते है। यह ही भाव शिव के ‘राज’ होने का दंभ भरती है जो प्रदेशवासियों के लिए मुख्यमंत्री से हम नहीं अपितु मुख्यमंत्री हम से है की दृढ आत्म मुग्धता दिलाती हैं।

शिव ‘राज’ के 12 बरस बीत जाने के बावजूद प्रदेश में बहुत कुछ करना बाकि हैं ठीक है काफी हद तक व्यवस्थाऐ सुधरी है, माली हालत मजबूत हुई है, शिक्षा में गुणोवत्तर विकास दिखाई पडता हैं। महिलाओं की भागीदारी हरेक क्षेत्रों में बढी हैं। साथ ही बेटी बचाने और बेटी पढाने व बेटी बिहाने के मामले में अच्छी खासी तरक्की प्रदेश को अव्वल बनाती है। पेयजल व सिंचाई का लाजवाब प्रबंधन सराहनीय प्रयास है। कृशि के मामले में तीन बार कृषक कर्मण अवार्ड से हमें नवाजा गया। गंभीर रोगों के उपचार के लिए संचालित बीमारी सहायता निद्यि रूपरेखा के क्या कहने हैं। अलबत्ता डगर अभी बाकि हैं फिलवक्त स्वास्थ्य के हालात नासाज बने हुए है विषेश तौर पर ग्रामीण अंचलों मंे चिकित्सीय सुविधा दरकिनार हैं। खेती लाभ का धंधा बनने की बाट जो रही हैं। हर हाथ को काम दिलाने के नजरिए से चालु किया गया कौशल विकास मिशन रेंगते हुए नजर आ रहा हैं। नवउदार हरहाल में इन जनहितैषी मसलों का यथोचित हल और व्याप्त समस्याएं जडमूल नहीं होगी तब तक विकास की गाथा अधूरी ही रहेगी। बेशक उम्मीद है कि शिव ‘राज’ के शेष 1 सालों में प्रदेश का जनोन्मुखी, चतुर्दिक विकास दृष्टिगोचर होगा तभी अब की बार और शिवराज प्रदेश के कण-कण में गुजेंगा।

हेमेन्द्र क्षीरसागर,

 

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