बाद में जिसका भी चाहो घर जलाकर देखना,
पहले तुम छोटा सा खुद का घर बनाकर देखना।
ज़ेहन पायेगा सकूं और दिल भी खुश हो जायेगा,
देर तक रोता कोई बच्चा हंसाकर देखना।
बाप की दौलत से गुलछर्रे उड़ाना छोड़दो,
जीना हो तो ख़र्च अपना खुद उठाकर देखना।
तुम समझते हो कविता बेवजह की चीज़ है,
दूर करने को तनाव गुनगुनाकर देखना।
आप मेरे हैं ये टूटा जाके अब मेरा भरम,
मेरे गिरने पर तुम्हारा मुस्कराकर देखना।
उम्रभर रिश्तों को चाहोगे अगर क़ायम रहे,
बांटना खुशियां सभी को ग़म छिपाकर देखना।
रंजिशें रखलीं दिलों में तल्खि़यां पैदा हुयीं,
हाथ मिलने से भी पहले दिल मिलाकर देखना।
जान की बाज़ी फ़सादों में लगाई क्या मिला,
अब वतन के वास्ते तुम सर कटाकर देखना।।
नोट-जे़हनः मस्तिष्क, सकूंः संतुष्टि, भरमः गलतफहमी, तल्खि़यांः
कड़वाहट।
आप मेरे हैं ये टूटा जाके अब मेरा भरम,
मेरे गिरने पर तुम्हारा मुस्कराकर देखना।
इकबाल भाई मेरे कई सारे भरम टूटे हैं.
कहां गायब थे भाई इतनों दिनों से, आज प्राणवायु मिली है।
सादर
साधुवाद !
धन्येवाद.
अच्छी रचना,बधाई