आपदा के बाद संघ प्रेरित सेवा प्रकल्पों से संवरती केदारघाटी——-

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आपदा के बाद संघ प्रेरित सेवा प्रकल्पों से संवरती केदारघाटी——-
“धन्य हे युग पुरष केशव ,धन्य तेरी साधना |
कोटि कंठो में समाहित ,राष्ट्र की आराधना”

संघ के स्वयंसेवक सेवा कार्य को यज्ञ कुंड की समिद्या की तरह से करते हैं। देश भर में चाहे वह रेल दुर्घटना हो, भूकंप हो या फिर बाढ़ के हालात हों, सभी स्थानों पर संघ के स्वयंसेवकों ने अपने आपको तन मन और धन से समर्पित किया है । संघ की सेवा में किसी के प्रति कोई भेद भाव नहीं, सबको अपना मानकर ही सर्व समर्पण का भाव ही प्रधान पक्ष होता है। संघ के पुरे देश में लाखों सेवा कार्य चल रहे । लेकिन इन सेवा कार्यो की चर्चा सार्वजनिक नही हो पाती है । क्योकि संघ सेवा कार्य निश्वार्थ  भाव से करता है न  कि दिखावे के लिए इसलिए कहते है
“निश्वार्थ समाजसेवा ही संघ का मूलमन्त्र है”

संघ के स्वयंसेवको का ऐसा ही  समर्पण केदारनाथ की भीषण आपदा के समय मुझे देखने  को मिला और विश्व् के सबसे बड़े समाजसेवी संगठन से जुड़ने का सोभाग्य मुझे प्राप्त हुवा  ।  पहली बार मैंने देखा की दुनिया में व्यक्तिगत हित को त्यागकर समाज के हित अपना जीवन लगा देते है ।  16,17 जून 2013 में केदारघाटी में आयी विनाशकारी बाढ़ से सम्पूर्ण केदारघाटी काल कवलित हो गयी थी ।  आपदा के बाद तहस नहस हो चुकी केदारघाटी में अनेक गैरसरकारी संस्थाओ ने इस घाटी के पुनरोद्धार के लिए कदम बढ़ाये ।लेकिन ज्यादातर गैरसरकारी सस्थाए कुछ महीनो या साल भर तक ही टिक पायी परंतु  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आपदा के अगले ही दिन से राहत शिविर चलाकर इस घाटी को विकास की राह पर लाने के लिए निरन्तर प्रयासरत रहे   । संघ के स्वयंसेवको ने जगह जगह राहत सामग्रियां वितरित करना व यात्रियों को सुरक्षित स्थान तक पहुचाना जैसे अनेक कार्य किये । संघ की प्रेंरणा से संचालित उत्तराँचल दैवीय आपदा पीड़ित सहायता समिति  के जरिये  विभिन्न सेवा प्रकल्प चलाये जा रहे है और धीरे धीरे इस घाटी में  विकास की डोर को आगे बड़ा रहा है । आपदा के बाद  इस  घाटी के लोगो के सामने अनेक समस्याएं      उत्पन होने लगी परन्तु इस विपदा की घडी में संघ और उसके स्वयंसेवक संकटमोचक बनकर इस घाटी की स्थिति को सुधारने में प्रयासरत रहे ।
केदारघाटी के दूर दराज गांवो में संघ प्रेरित सेवा प्रकल्पों ने अपने सेवा कार्य चलाए ।

आपदा के दौरान संघ ने खोले थे राहत शिविर––––
आपदा के तुरंत अगले ही दिन संघ ने केदारघाटी में स्वयंसेवको ने जगह जगह राहत शिविर चलाये थे । पुरे देश में संघ के स्वयंसेवको ने आपदा प्रभावित क्षेत्रो के लिए धन व जरूरी सामग्री एकत्रित कर आपदा प्रभावित क्षेत्रो में  जगह जगह वितरित की । अलग अलग राहत शिवरों में लोगो को रहने व खाने की उचित व्यवस्था करके अलग राज्यो से आये हुए यात्रियों को उनके परिवार तक पहुचाया ।

केदारघाटी में उत्तरांचल दैवीय आपदा पीड़ित साहयता समिति द्वारा संचालित  सेवा प्रकल्प ____________

बाबा केदार छात्रावास गुप्तकाशी–––––
आपदा के कुछ दिनों बाद ही इन सेवा प्रकल्पों ने इस घाटी के उन परिवारो के  बच्चे जो अनाथ हो गए थे । और आपदा से पीड़ित होने से जिनके भविष्य पर खतरा मंडराता नज़र आ रहा था । उन बच्चों की पढाई में कोई व्यवधान न हो इस दृष्टि से गुप्तकशी में एक बाबा केदार छात्रावास खोला गया ।जिसमे 25 से आधिक् छात्र रहते है । इसके अलावा उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियो   के लिए देहरादून में छात्रवास खोला गया जिसमे 30 से अधिक छात्र रहते है जिसमे से आधे से अधिक छात्र अपनी पढ़ाई पूरी कर आज अपने पैरों पर खड़े होकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे है । संघ प्रेरित सेवा प्रकल्पों से इस घाटी के लगभग 150  से आधिक् छात्रो का भविष्य खराब होने रोका है ।  सेवा प्रकल्पों ने  इस दिशा में कदम बढ़ाकर  इस श्रेष्ठ जनसेवा का उदाहरण पेस किया है । आज ये छात्र राष्ट्रवादी ,समाजसेवी,विश्व्व्यपी और विश्व् के सबसे बड़े समाजसेवी संगठन से जुड़ने पर अपने को गोरवानित महशूस करते है । समाज  सेवा से ओतप्रेत होकर समाज के लिए समर्पित रहते है ।

माधव सेवा चिकत्सालय______

चिकत्सा क्षेत्र के उत्थान हेतु संघ का यह प्रकल्प पूरी निष्ठा से प्रयासरत रहा और अब भी है।
आपदा के कुछ दिनों बाद ही संघ ने इस घाटी  में जगह जगह  मेडिकल कैम्प खोलें थे । चिकत्सा क्षेत्र और सुधार लाने के लिए गुप्तकाशी ( नारायनकोटि) सुविधाओ युक्त एक बड़े हॉस्पिटल “माधव सेवा चिकत्सालय” के रूप में बनाया है
इस चिकत्सालय के खुल जाने से पूरी  केदारघाटी के रोगियों के लिए सुविधा होगी और छोटी बीमारी के लिए बड़े हॉस्पिटलों में आने जाने का खर्चा रुक जाएगा । यह चिकत्सालय  गुप्तकाशी ( नारायनकोटि ) में 5 करोड़ की लागत से  बनाया गया  है । आपदा के दौरान से ही प्रकल्प  के सेवा कार्यो में लगी डॉ नारायण जी व उनकी टीम के मुताबिक़ आपदा के बाद अभी तक कुल 20 हज़ार रोगियो को प्रकल्प ने चिकत्सा सुविधा दी है । इस  चिकत्सालय के सेवा कार्यो को देखकर यह चिकत्सालय पूरी घाटी में प्रसिद्ध है । और घाटी के प्रतिएक गांव में इसकी सराहना की जाती है ।

 

स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए सिलाई सेंटर व कंप्यूटर सेंटर –––
महिलाओ की दशा सुधारने के लिए अनेक सिलाई सेंटर व अन्य परिणाम कारी कार्यो के सफल संचालन के लिए इस घाटी में दूर दराज गांवो में सिलाई सेंटर व कम्प्यूटर सेंटर ख़ुलाये है ।विगत चार वर्षो में अनेक महिलाओ ने इन सेंटरों से प्रशिक्षण प्राप्त कर महिलाये अपने पैरो पर खड़ी है ,अपने परिवार और गांव का कल्याण कर रही है ।
इसलिए इसमें कोई दो राय नही की  केदारनाथ की भीषण आपदा के बाद संघ की इस क्षेत्र में सक्रियता के कारण इस क्षेत्र को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने में उल्लेखनीय  योगदान रहा है।

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