अकबर की 411वीं पुण्यतिथि 27 अक्टूबर

akbarडा. राधेश्याम द्विवेदी
जन्म व परवरिश:-1540 ईस्वी में मुगल सम्राट हुमायु चौसा और कन्नोज के युद्ध में शेरशाह सुरी से पराजित हो गया था. सिंध की तरफ कुच करते हुए उन्होंने हुमायु के छोटे भाई के अध्यापक शैख़ अली अकबर जामी की 14 वर्ष की बेटी हमीदा बानू बेगम से निकाह कर लिया था.हमीदा ने 15 वर्ष की उम्र में ही सिंध प्रांत में जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर को जन्म दिया था. अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 को हुआ जिस समय उनके माता-पिता सिंध प्रांत के हिन्दू राजा राणा प्रसाद की शरण में थे.हुमायु के निर्वासन के दौरान अकबर को काबुल लाया गया और उसके चाचाओ ने उसकी परवरिश की. उन्होंने अपना बचपन शिकार और युद्ध कला में बिताया लेकिन पढना लिखना कभी नही सिखा. 1551 में अकबर ने अपने चाचा हिंडल मिर्जा की इकलौती बेटी रुकैया सुल्तान बेगम से निकाह कर लिया था.इसके कुछ समय बाद ही हिंडल मिर्जा की युद्ध के दौरान मौत हो गयी.हुमायु ने 1555 में शेरशाह सुरी के बेटे इस्लाम शाह को पराजित कर दिल्ली पर कब्ज़ा कर लिया. इसके कुछ समय बाद ही हुमायु की मृत्यु हो गयी. अकबर के अभिभावक बैरम खान ने 13 वर्ष की उम्र में ही 14 फरवरी 1556 में अकबर को दिल्ली की राजगद्दी पर बिठा दिया. बैरम खान ने उसके वयस्क होने तक राजपाट सम्भाला और अकबर को शहंशाह का ख़िताब दिया.
अकबर की लड़ाई:- सुरी साम्राज्य ने हुमायु की मौत के बाद फिर से आगरा और दिल्ली पर कब्ज़ा कर लिया था.बैरम खान के नेतृत्व में उन्होंने सिकन्दर शाह सुरी के खिलाफ मोर्चा निकाला .उस समय सिंकंद्र शाह सुरी का सेनापति हेमू था और बैरम खान के नेतृत्व में अकबर की सेना ने हेमू को 1556 में पानीपत के दुसरे युद्ध में पराजित कर दिया था.इसके तुरंत बाद मुगल सेना ने आगरा और दिल्ली पर अपना आधिपत्य कर दिया था.अकबर ने दिल्ली पर विजयी प्रवेश किया और एक महीने तक वहा पर निवास किया था.उसके बाद अकबर और बैरम खान दोनों पंजाब लौट गये जहा पर सिकंदर शाह फिर से सक्रिय हो गया था. अगले 6 महीनों ने मुगलों ने सिंकन्दर शाह सुरी के खिलाफ दूसरा बड़ी लड़ाई जीत ली थी. सिकन्दर शाह इसके बाद बंगाल भाग गया. अकबर की सेना ने वर्तमान पाकिस्तान के लाहोर और पंजाब इलाके पर कब्ज़ा कर लिया था. अकबर ने राजपुताना शाशकों को हराकर अजमेर पर भी कब्जा कर लिया और इसके बाद ग्वालियर किले पर भी सुरी सेना को हराकर कब्ज़ा कर लिया था. अकबर के शाषन में मुगल परिवार की बेगमो को काबुल से भारत लाया गया था.जो उसके दादा बाबर और पिता हुमायु नही कर पाए वो अकबर ने कर दिखाया था.1559 में मुगलों ने राजपुताना और मालवा की तरफ कुच किया था.अकबर के अपने सरंक्षक बैरम खान से विवाद के कारण उसको साम्राज्य विस्तार के लिए रोक दिया था.18 वर्ष की उम्र में ही जवान बादशाह ने राजपाट के कार्यो में रूचि दिखाना शुरू कर दिया था.अकबर ने अपने रिश्तेदारों के बहकावे में आकर बैरम खान को 1560 में निष्काषित कर मक्का में हज पर जाने का आदेश दे दिया था.बैरम खान मक्का के लिए रवाना हो गया और लेकिन रस्ते में शत्रुओ के बहकावे में आकर क्रांतिकारी बन गया था.बैरम खान ने मुगल सेना पर पंजाब में धावा बोल दिया लेकिन पराजित होकर समर्पण करना पड़ा था.अकबर ने उसे फिर भी क्षमा कर दिया और उसे फिर मक्का जाने का विकल्प दिया जिसको उसने स्वीकार कर लिया था.मक्का में जाते वक़्त व्यक्तिगत प्रतिशोध के चलते एक अफ़ग़ानी ने उसकी हत्या कर दी गयी.1560 में अकबर ने फिर से सैन्य अभियान शुरू किया. अकबर के धर्म भाई आधम खान और मुगल सेनापति पीर मुहम्मद खान ने मालवा पर आक्रमण कर दिया. सारंगपुर के युद्ध में अफ़ग़ान शाषक बाज़ बहादुर पराजित हो गया और खानदेश भाग गया . अकबर ने मालवा पर अपना कब्ज़ा कर लिया और बाज बहादुर ने कई सालो तक अकबर की सेवा की.1562 में आदम खान का अकबर के साथ विवाद हो गया और अकबर ने उसको आगरा में अपने राजमहल की छत से नीचे गिरा दिया. उसके मृत्यु सुनिश्चित करने के लिए उसने दोबारा आदम खान को उपर से गिराया . अकबर ने अपने शाशन में कई नियम और कानून बनाये. अकबर के खिलाफ विद्रोह करने की काफी क्रान्तिकारियो ने कोशिश की लेकिन अकबर ने उनको मौत के मुह में पंहुचा दिया. 1564 में मुगल सेना ने गोंडवाना राज्य पर आधिपत्य कर लिया.
अकबर का राजपुताना पर आक्रमण :-अकबर ने अब तक उत्तरी भारत के काफी हिस्से पर अपना कब्जा कर लिया था. अब अकबर राजपुताना पर आक्रमण करना चाहता था. मुगलों ने राजपुताना के उत्तरी हिस्से अजमेर और नागोर पर तो कब्ज़ा कर लिया था. अब अकबर को मेवाड़ की धरती पर कदम रखकर उसे अपना बनाना था .इससे पहले राजपुत राजाओ ने मुस्लिम शाशको के खिलाफ कभी भी समर्पण नहीं किया था. 1561 में मुगलों ने राजपूत लोगो से सम्पर्क बनाकर कूटनीति से अपने अंदर शामिल कर लिया. कई राजपूत राज्यों ने अकबर की आधिप्त्यता स्वीकार कर ली थी. केवल मेवाड़ के शाशक उदय सिंह अकबर की कूटनीति से दूर रहे.राजा उदय सिंह के पिताजी राणा सांगा 1527 में बाबर के खिलाफ खानवा के युद्ध में लड़ाई के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गये थे. राजा उदयसिंह उस समय सिसोदिया वंश के शाषक थे. राजा उदयसिंह ने अकबर की सेना के आगे घुटने टेकने से मना कर दिया.1567 में अकबर की सेना ने मेवाड़ के चित्तोड़गढ़ दुर्ग पर हमला बोल दिया और 4 महीनों तक घेराबंदी करने के बाद 1568 में दुर्ग पर कब्ज़ा कर लिया. उस समय उदयसिंह दो राजपूत योद्धाओ जयमल और पत्ता को छोडकर मेवाड़ की पहाडियों में चले गये थे . अकबर ने उन दोनों के शीश काटकर दीवार पर लटका दिए .अकबर तीन दिन तक चित्तोड़गढ़ रहा और फिर से आगरा लौट गया . उदयसिंह की शक्ति और प्रभाव इस वजह से कम हो गया.1568 में चित्तोद्गढ़ दुर्ग के बाद रणथम्बोर दुर्ग पर हमला करने का विचार बनाया. उस समय रणथम्बोर पर हाडा राजपूत का राज था और उस समय का सबसे मजबूत किला माना जाता था. लेकिन कुछ महीनों के संगर्ष पर अकबर ने उस पर भी कब्जा कर लिया. अकबर ने अब तक पुरे राजपुताना को अपना बना लिया था. कई राजपूत राजाओ ने समर्पण कर दिया था और केवल मेवाड़ ही बच गया था . उदयसिंह के पुत्र और उत्तराधिकारी प्रताप सिंह ने 1576 में अकबर की सेना से हल्दीघाटी के युद्ध में लड़ाई की और प्रताप की सेना को हरा दिया. अकबर ने राजपुताना पर अपनी नीव रख दी और फतेहपुर सीकरी को राजपुताना की राजधानी बनाया. महाराणा प्रताप ने लगातार मुगलों से युद्ध करते रहे और अपने पूर्वजो की जमीन पर फिर से कब्जा किया था.
अकबर का साम्राज्य और मृत्यु :-अकबर का अगला सैन्य अभियान बंगाल और गुजरात था. 1572 में उसने गुजरात की राजधानी अहमदाबाद पर अपना कब्जा कर लिया था . गुजरात पर अपना कब्जा करने के बाद फतेहपुर सीकरी लौटकर उसने अपनी जीत के उपलक्ष्य में बुलंद दरवाज़ा बनाया.1593 में अकबर ने डेक्कन के सुल्तानों के खिलाफ सैन्य अभियान चलाया. अकबर ने बुह्रानपुर के असीरगढ़ किले पर कब्ज़ा कर लिया . 27 अक्टूबर 1605 में उसकी मौत से पहले उसने बंगाल की खाड़ी तक अपना साम्राज्य फैला दिया था . पेचिश की वजह से तीन सप्ताह तक बीमार रहने के बाद अकबर की मौत हो गयी .अकबर की आगरा में कब्र बनाई गयी .
अकबर का निर्माण कार्य :-मुगल स्थापत्य कला हिन्दू और मुस्लिम स्थापत्य का मिश्रण था. अकबर ने इन दोनों के मिश्रण से कई इमारते बनवाई .अकबर के निर्माण का अपना अलग तरीका था जिससे उसने भवन, इमारते ,महल , मस्जिद , कब्रे और किले बनवाए . अकबर ने सबसे पहले आगरे के किले का निर्माण करवाया इस किले के दो द्वार दिल्ली गेट और अमर सिंह गेट है . अकबर ने लाल पत्थरों से 500 से भी ज्यादा इमारतो का निर्माण करवाया जिसमे से कुछ अभी भी है और कुछ लुप्त हो गये है . इसमें अकबरी महल और जहाँगीर महल इन दोनों महलो को एक ही तरीके से बनवाया .इसके बाद उसने लाहौर का किला और अलाहबाद का किला बनवाया. उसकी स्थापत्य कला का सबसे सुंदर नमूना फतेहपुर सीकरी था जिसे उसने अपनी राजधानी बनाया था. इस वीरान जगह को पूरा करने में अकबर को 11 साल लगे .इस शहर को उसने तीन तरफ से दीवारों से और एक तरफ से कृतिम झील बनवाई. इस दीवार के 9 दरवाजे है और इसका मुख्य द्वार आगरा गेट है. उसने बुलंद दरवाज़ा का भी निर्माण करवाया जो मार्बल और बलुआ पत्थरों से निर्मित है . दीवाने ख़ास भी इसकी प्रसिद्ध इमारत है. अकबर ने गरीबो की मदद करने के लिए कई सरायो का निर्माण करवाया. इसके अलावा कई विद्यालयों और इबादत करने की जगहों का निर्माण करवाया.
इतिहास में अकबर महान का नाम:- रियासतों के रूप में टुकड़ों टुकड़ों में टूटे हुए भारत को एक बनाने की बात हो, या हिन्दू मुस्लिम झगडे मिटाने को दीन ए इलाही चलाने की बात, सब मजहब की दीवारें तोड़कर हिन्दू लड़कियों को अपने साथ शादी करने का सम्मान देने की बात हो, या हिन्दुओं के पवित्र स्थानों पर जाकर सजदा करने की, हिन्दुओं पर से जजिया कर हटाने की बात हो या फिर हिन्दुओं को अपने दरबार में जगह देने की, अकबर ही अकबर सब ओर दिखाई देता है. अकबर पूरे भारत का सम्राट, अपने हरम में पांच हज़ार से भी ज्यादा औरतों की जिन्दगी रोशन करने वाला, उनसे दिल्लगी कर उन्हें शान बख्शने वाला, बीसियों राजपूत राजाओं को अपने दरबार में रखने वाला था. भारत में पिछले तेरह सौ सालों से इस्लाम के मानने वालों ने लगातार आक्रमण किये. मुहम्मद बिन कासिम और उसके बाद आने वाले गाजियों ने एक के बाद एक हमला करके, यहाँ लूटमार, बलात्कार, नरसंहार और इन सबसे बढ़कर यहाँ रहने वाले काफिरों को अल्लाह और उसके रसूल की इच्छानुसार मुसलमान बनाने का पवित्र किया. आज के अफगानिस्तान तक पश्चिम में फैला उस समय का भारत धीरे धीरे इस्लाम के शिकंजे में आने लगा. आज के अफगानिस्तान में उस समय अहिंसक बौद्धों की निष्क्रियता ने बहुत नुकसान पहुंचाया क्योंकि इसी के चलते मुहम्मद के गाजियों के लश्कर भारत के अंदर घुस पाए. जहाँ जहाँ तक बौद्धों का प्रभाव था, वहाँ पूरी की पूरी आबादी या तो मुसलमान बना दी गयी या काट दी गयी. जहां हिंदुओं ने प्रतिरोध किया, वहाँ न तो गाजियों की अधिक चली और न अल्लाह की. यही कारण है कि सिंध के पूर्व भाग में आज भी हिंदू बहुसंख्यक हैं क्योंकि सिंध के पूर्व में राजपूत, जाट, आदि वीर जातियों ने इस्लाम को उस रूप में बढ़ने से रोक दिया जिस रूप में वह इराक, ईरान, मिस्र, अफगानिस्तान और सिंध के पश्चिम तक फैला था अर्थात वहाँ की पुरानी संस्कृति को मिटा कर केवल इस्लाम में ही रंग दिया गया पर भारत में ऐसा नहीं हो सका. भारत में बीच बीच में लुटेरे आते गए और देश को लूटते गए. तैमूरलंग ने कत्लेआम करने के नए आयाम स्थापित किये और अपनी इस पशुता को बड़ी ढिटाई से अपनी डायरी में भी लिखता गया. इसके बाद मुग़ल आये जो हमारे इतिहास में इस देश से प्यार करने वाले लिखे गए हैं.

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