विविधा एक शांत शहर में प्राइमरी स्कूल के बच्चों की चुनौतियां September 13, 2019 / September 13, 2019 | Leave a Comment मसोयो हुनफुन अवांगशी उखरूल, मणिपुर हम अक्सर युद्धग्रस्त शहरों में लोगों विशेषकर बच्चों को होने वाली कठिनाइयों के बारे में पढ़ते रहते हैं। ऐसे अशांत क्षेत्रों में किस प्रकार बच्चे अपना जीवन गुज़ारते हैं? कैसे अपनी शिक्षा पूरी करते हैं? लेकिन इन्हीं ख़बरों के बीच हम उन क्षेत्रों को भूल जाते हैं जो शांत होते हैं। जहां […] Read more » Manipur बच्चों की चुनौतियां
विश्ववार्ता झारखंड में बांस से हो रहा है विकास September 9, 2019 / September 9, 2019 | Leave a Comment विश्व बांस दिवस (18 सितंबर) पर विशेष शैलेन्द्र सिन्हा भारत के जिन राज्यों में बांस का सबसे अधिक उत्पादन होता है उनमें झारखंड भी प्रमुख है। आदिवासी बहुल यह राज्य वनों से घिरा हुआ है। इंडिया स्टेट फॉरेस्ट रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में 23,478 वर्ग किमी में वन फैला हुआ है। झारखंड सरकार की योजना […] Read more » bamboo in jharkhand progress with bamboo विश्व बांस दिवस
विविधा इस बस्ती को कोई गोद लेगा? June 3, 2019 / June 3, 2019 | Leave a Comment पीर अज़हर कुपवाड़ा, कश्मीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आम चुनाव में दुबारा अभूतपूर्व सफ़लता प्राप्त करने का श्रेय उनकी सरकार के पहले कार्यकाल में शुरू की गई कई जनकल्याणकारी योजना को भी जाता है। इन्हीं में एक सांसद आदर्श ग्राम योजना भी शामिल है। इसके तहत सभी सांसदों को एक गांव गोद लेने और उसका […] Read more » सांसद आदर्श ग्राम योजना
विविधा सवाल थोड़ा मुश्किल, मगर हकीकत है May 9, 2019 / May 9, 2019 | Leave a Comment मो. रियाज़ मलिक पुंछ, जम्मू-कश्मीर धरती पर स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू कश्मीर में चुनावी गहमागहमी पूरी तरह से थम गई है। भौगोलिक और राजनीतिक रूप से देश के अन्य हिस्सों से भले ही यह राज्य अलग है, लेकिन चुनाव के समय यहां भी बिजली, पानी, सड़क, स्कूल, अस्पताल, रोज़गार और बुनियादी आवश्यकताएं मुख्य चुनावी मुद्दे रहे हैं। […] Read more » lack of basic amenities in Poonch lack of education in Poonch poonch पुंछ
जन-जागरण जैव विविधता का संरक्षक भी है रोहिड़ा March 11, 2019 / March 11, 2019 | Leave a Comment दिलीप बीदावत रोही अर्थात रेगिस्तान के जंगल में पनपने के कारण ही इस वृक्ष का नाम रोहिड़ा रहा होगा। रोहिड़ा थार का रेगिस्तानी वृक्ष है। शुष्क और अर्ध शुष्क जलवायु क्षेत्र में इसका जीवन पनपता है। स्थानीय स्तर पर प्रचलित नाम रोहिड़ा तथा वनस्पतिक नाम टेकोमेला उण्डुलता है। थार रेगिस्तान के बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानरे, जोधपुर, […] Read more »
समाज सार्थक पहल जल संरक्षण की दिशा में जनमैत्री की अनोखी पहल July 18, 2018 / July 18, 2018 | 2 Comments on जल संरक्षण की दिशा में जनमैत्री की अनोखी पहल पंकज सिंह बिष्ट कुदरत ने पृथ्वी को कई अनमोल नेमतों से नवाज़ा है। इसमें सबसे बड़ी नेमत पानी को ही माना जाता है। पानी के बिना आप कितने दिन खुद का बजूद बनाये रख सकते हैं? जरा कल्पना करके देखिए। कल्पना मात्र से ही गला सूखने लगता है। लेकिन जल्द ये डरावना ख़्वाब हक़ीक़त में बदलने वाला […] Read more » Featured Water Conservation जल संरक्षण
समाज मैं भी अब मास्टर बन सकती हूँ June 2, 2018 | Leave a Comment शराब के खिलाफ महिलाओं के प्रयास ने सजाया बच्चों की आंखों में सपना अनीसुर्रहमान खान बच्चों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में “सभी प्रकार की हिंसा से बच्चों की सुरक्षा” उनका मौलिक अधिकार घोषित किया गया है, बच्चों के खिलाफ हिंसा के सभी रूपों को समाप्त करने के लिए सतत विकास केलक्ष्य 2030 के एजेंडा में एक विशिष्ट लक्ष्य (एसडीजी 16.2) को शामिल किया गया है। जो भय, उपेक्षा, दुर्व्यवहार और शोषण से मुक्त रहने के लिए प्रत्येक बच्चे के अधिकार की प्राप्ति को एक नई गति मिलती है। एक भयावह सच यह है कि बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण की घटनाओं के मामले में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है। जबकि आदिवासी बहुल राज्य ओडिशा इसी श्रेणी में देश में चौथे स्थान पर है। राष्ट्रीयअपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार ओडिशा में बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के अंतर्गत बड़ी संख्या में केस दर्ज किये जाते हैं। एक अनुमान के अनुसार ओडिशा के एक लाख बच्चों में से प्रत्येक सात बच्चों का यौनशोषण किया जाता है। मनोवैज्ञानिक इन अपराधों के पीछे कई कारणों को ज़िम्मेदार मानते हैं, जिनमें शराब का सेवन भी प्रमुख है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए ओडिशा के संभलपुर जिला स्थित लरियापली ग्रामपंचायत की महिलाओं ने सख़्त क़दम उठाते हुए क्षेत्र को शराब जैसी कुरीतियों से मुक्त करने का बीड़ा उठाया है। इससे बच्चों का न केवल भविष्य संवर रहा है बल्कि उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के भी प्रयास जारी हैं। महिलाओं के इस हौसले ने गांव के लोगों विशेषकर पुरुषों में शराब के प्रति सोंच को भी बदलने का काम किया है। शराबबंदी से होने वाले परिवर्तनों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए गांव की एक युवा लड़की बताती है कि”अब मुझे विश्वास हो गया है कि मास्टर बनने का मेरा सपना अब पूरा हो सकता है।” वहीं दूसरी ओर आठवीं क्लास में पढ़ने वाली चौदह वर्षीय सुकांति कालू आत्मविश्वास से लबरेज होकर बताती है कि “पहले मेरे पापान केवल सभी प्रकार का नशा किया करते थे बल्कि घर में झगड़ा और मारपीट भी करते थे। जब शाम को उनके घर आने का समय होता तो हम लोग घर का अंधेरा कोना खोज कर इसमें अपने आप को छिपाने के प्रयास में लग जाते, लेकिन बेचारी माँ! उसकी तो जम कर पिटाई होती थी। माँ को मार खाता देख, बर्दाश्त नहीं होता तो मैं उस को बचाने जाती, मगर जब खुद की पिटाई होती तो न चाहते हुए भी अलग होना पड़ताथा।” सुकांती के पिता घनश्याम कालू एक राजमिस्त्री है, जो दिन भर की अपनी मेहनत की कमाई को शाम में शराब की चंद बोतलों में उड़ा दिया करता था। उसकी एक रिश्तेदार रुक्मणी प्रधान कहती हैं कि “घनश्यामकालू पहले महुआ और चावल से बने स्थानीय शराब का भी आदी था, इतना ही नहीं उसकी पत्नी भी ताड़ी का सेवन की आदी थी”। लेकिन अब उन्होंने इस बुराई से तौबा कर ली है। दाहिने हाथ में कलम और बाएँ हाथ में कॉपी पकड़े कुर्सी पर बैठी सुकांति मुस्कुराते हुए कहती है कि “अब हमारे पापा और मम्मी हमें खूब पढ़ाना चाहते हैं, अब शाम को जब हमारे पिता घर आते हैं तो उनके हाथ मेंहमारे लिए मिठाइयां या फल होते हैं। हमारी एक मांग पर कॉपी, कलम, किताब सब कुछ हाज़िर कर देते हैं और कहते हैं कि एक दिन मेरी बेटी मेरा नाम रोशन करेगी, मैं ने भी सोच रखा है कि अब मैं दिल व जान सेपढ़ाई करूंगी और मास्टर बनकर गांव के सारे बच्चों को भी पढ़ाऊंगी।” गांव में अचानक आये इस बदलाव को लेकर 23 वर्षीय पदमनी बदनाईक कहती हैं कि “मैं खुद बी.ए पास हूँ, मेरा घर सुनदरगढ़ जिले में है लेकिनमैं ने यह तय कर रखा है कि अपने लोगों के लिए कुछ ज़रूर करूँगी, यह उसी का हिस्सा है कि मैं यहाँ महिलाओं को एकत्रित करके उन्हें शराब से होने वाले जानी माली नुकसान से अवगत कराया, और महिलाओं कोतैयार किया कि गांव में शराब की क्रय-विक्रय को बंद किया जाए, शुरू में इस काम में थोड़ी मुश्किल ज़रूर आई, लेकिन अब स्थिति बहुत बेहतर है”। अपनी मुहिम के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि “शुरुआत में, हमने यहाँ की महिलाओं को समूह से जोड़ने के लिए, उनके घर गए और साथ बैठ कर समस्या का समाधान करने की कोशिश की, लेकिन हताश औरमार खाने की आदी हो चुकी अधिकांश महिलाओं ने यही उत्तर दिया कि “हम क्या कर सकते हैं?” लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और धीरे धीरे दस महिलाओं का एक स्वयं सहायता समूह (एस.एच.जी) बनाया, जिन्होंनेशराब की भट्ठी चलाने वालों का विरोध शुरू कर दिया, देखते ही देखते और भी महिलाएं समूह का हिस्सा बनने लगीं, तो समूह को बड़ा करते हुए इसका नाम “नारी शक्ति संघ” कर दिया गया”। “नारी शक्ति संघ” की अध्यक्षा हमादरी धरवा अपनी पंचायत की उप सरपंच भी हैं, जबकि सचिव परीमोदोनिय नायक हैं। एक अन्य सदस्य अपना परिचय कराते हुए कहती है कि “मेरा नाम पुष्पलता नायक है, गांव केअन्य पुरुषों की तरह मेरा पति भी शराब पीता था, जिस के कारण हमारे घरेलू हालात बद से बदतर हो गए थे। यही हाल गांव की अन्य महिलाओं के घरों का भी था, इसलिए सभी ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया किइसके ज़िम्मेदार शराब की भट्ठी को बंद करवाना होगा। इस निर्णय को बदलने के लिए हमारे पतियों ने हमपर काफी दबाब बनाया यहां तक कि हमारे साथ मारपीट भी की, वहीं दूसरी ओर हमारे आंदोलन को ख़त्म करनेके लिए शराब भट्टी के मालिकों ने कई तरह के प्रलोभन और धमकियां भी दीं, लेकिन आखिरकार हमारे अटल इरादे के आगे उन्हें घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ा। गांव में शराबबंदी को सख्ती से लागू समूह ने यह फैसला भी लिया कि यदि गांव में कोई भी पुरुष या महिला शराब पीकर गाली गलौज करेगा तो उस पर पहली बार एक हजार रूपए का जुर्माना लगाया जाएगा। अगरदूसरी बार भी पकड़ा गया तो जुर्माने की राशि बढ़ कर दो हजार हो जाएगी। ऐसे ही शराब की भट्टी वालों के लिए भी एक कानून बनाया कि अगर गांव में शराब बनाते हुए पकड़े गए तो पहली बार पांच हज़ार का जुर्मानादेना होगा और यदि दूसरी बार भी पकड़े जाते हैं, तो दंड की राशि दोगुनी हो जाएगी। हमारे इस फैसले का गांव में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला। शराबबंदी से एक तरफ जहां गांव के लोगों के जीवन स्तर में सुधारआया है वहीँ दूसरी ओर उनके घर की आमदनी भी बढ़ी है। अब बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी बल दिया जा रहा है। लरियापली जैसे हजारों गाँव में लाखों बच्चे न जाने कैसे कैसे सपनों को अपनी आँखों में सजाते होंगे। लेकिन क्या हर बच्चे अपने सपनों को सुकांति की तरह पूरा कर पाते है? यह वह प्रश्न है जो हर शराबी को कम सेकम एक बार अपने हाथ में शराब की बोतल पकड़ने से पहले अवश्य करना चाहिए, आप का यह प्रश्न और उत्तर लाखों बच्चों की ज़िंदगी बदल देगा। Read more » Featured कलम नारी शक्ति संघ" मां लरियापली ग्रामपंचायत संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन
समाज सूखे शौचालय या फ्लश शौचालय? May 22, 2018 | Leave a Comment सोच…….शौचालय की लोबज़ैंग चोरोल लेह, लद्दाख बदलते समय के साथ जीवन बहुत व्यस्त हो गया है, इस व्यस्तता के कारण हमें परिवारों के साथ बैठकर स्वस्थ और पर्याप्त भोजन करने तक का समय नही मिलता। हम इतने व्यस्त हैं कि हमारे पास सांस लेने का समय नहीं है। इसमें कोई शक नही कि सिर्फ एक मशीन की […] Read more » Featured कंपोस्टिंग प्रक्रिया गेस्ट हाउस पांरपारिक शौचालय या फ्लश शौचालय लेह विदेशियों सूखे शौचालय
महत्वपूर्ण लेख समाज पहाड़ में विकास कार्य करने का तरीका बदलना होगा May 17, 2018 / May 17, 2018 | 1 Comment on पहाड़ में विकास कार्य करने का तरीका बदलना होगा पंकज सिंह बिष्ट उत्तराखंड में अलग राज्य बनने के पूर्व से ही विकास कार्य होते आ रहे हैं। किन्तु इतने समय के बाद भी ग्रामीण आजीविका एवं रोजगार की स्थिति में बहुत बढ़ा सुधार नहीं आया है। गौर किया जाय तो स्थिति पूर्व के मुकाबले बेहतर हुई ऐसा कहना खुद को झूठी तसल्ली देना […] Read more » Featured आंतरिक पलायल उत्तराखंड कृषि जमीनों जंगलों जलवायु वरिवर्तन धारी पहाड़ में विकास पेड़ों रामगढ़ हरित क्रान्ति
राजनीति समाज यूं ही कोई आदमखोर नहीं बनता May 15, 2018 | Leave a Comment बिपिन जोशी नौ साल का लड़का अपने आंगन में खेल रहा है। ढलते सूरज की किरणें सामने हिमालय पर पड़ रही हैं बालक हिमालय के बदलते रंगों को निहार रहा है, हिमालय के बदलते रंग उस लड़के को रोमांचित कर रहे हैं वह ध्यानमग्न हैं। अभी तो चांदी के समान चमक रहा था, अभी यह लाल हो […] Read more » Featured गांव गुलदार जानवर तेंदुआ पर्यावरण पेड़-पौधे मासूम बच्चे योजनाओं राष्ट्रीय नीतियों
आर्थिकी कर संग्रह व घरेलू क्षमताओं के विकास की राह पर भारत May 14, 2018 | Leave a Comment सुनील अमर – संयुक्त राष्ट्र संघ यानी यूएनओ का लक्ष्य संख्या 17 दुनिया के देशों से सतत तरक्की के लिए अपने संसाधनों के विकास और उनके समुचित उपयोग की बात करता है। यूएनओ का मानना है कि वैश्विक संगठनों द्वारा विकासशील देशों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता तब तक कारगर नहीं होगी जब तक ये देश […] Read more » Featured आईटी आईसीटी इन्डस्ट्री आर्थिक स्वार्थ कोयला नोटोरियस पेट्रोलियम प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राकृतिक गैस भारत भारतीय अर्थव्यवस्था यूएनओ भारत संयुक्त राष्ट्र संघ
चिंतन सड़क दुर्घटनाओं पर क़ाबू पाने की चुनौती April 10, 2018 | Leave a Comment भारत डोगरा भारत में सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ते आंकड़े एक भयानक सच्चाई की तरफ इशारा करते हैं। इसमें जान और माल दोनों की क्षति उठानी पड़ती है। सदी के पहले 15 वर्षों के दौरान विश्व स्तर पर इसमें कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई थी। लेकिन रोज़-ब-रोज़ आधुनिक तकनीक वाली मशीनों के ईजाद ने सड़कों पर जहाँ गाड़ियों की संख्या को […] Read more » Featured आकड़ें ड्राइवरों दुर्घटना भ्रष्टाचार मोबाइल फोन? मौत लाइसेंस सड़क