चरखा फिचर्स

चरखा फिचर्स

लेखक के कुल पोस्ट: 592

लेखक - चरखा फिचर्स - के पोस्ट :

विविधा

महाबलीपुरम के संगतराश

| Leave a Comment

नक्काशीकार और सीप का सामान बेचने वाले दुकानदार रामाचन्दरन के अनुसार ''महाबलीपुरम के तट पर सौ से अधिक पत्थर और सीप के सामान की दुकानें हैं। मछुआरों से सीप ख़रीदकर एसिड से उसकी सफाई करते हैं। इसके बाद चाभी का छल्ला, झुमर और अन्य श्रृंगार के सामान बनाते हैं। इसके अलावा कुछ सामान हम आगरा से भी मंगवाते हैं, लेकिन दुकानदारी कभी होती है, कभी बिल्कुल नहीं। ऐसा भी हुआ कि पूरे पूरे दिन न कोई पत्थर का सामान बिका और न ही सीप का। हैरानी तब होती है जब घरेलू पर्यटकों की तरह विदेशी पर्यटक भी मोलभाव करते हैं और विदेशी समझते हैं कि भारतीयों ने जो कीमत तय किया है, वह उचित नहीं हालांकि ऐसी कोई बात नहीं हमारी कड़ी मेहनत का उन्हें सही अनुमान नहीं होता। ''

Read more »

समाज

बदलते भारत में बदलती शिक्षा

| Leave a Comment

उच्च शिक्षा के संबध में लोगो की राय जानने के लिए दिल्ली स्थित गैर सरकारी संगठन चरखा ने कुछ छात्रों से बात की। इस संबध में जम्मू विश्वविद्यालय के छात्र जफर कहते हैं कि "विश्वविद्यालय में एडमिशन के बारे पिछड़े क्षेत्रों में जागरूकता की कमी है। उनके पास जानकारी नहीं है कि कब प्रवेश परीक्षा आयोजित की जा रही है। हालांकि सरकार कई योजनाएं लाती है, लेकिन छात्रों को इन योजनाओं के बारे में सूचित करने का कोई रास्ता नहीं है। जम्मू जैसे क्षेत्र में कभी कभी सूचना इतनी देर से पहुंचती है कि छात्र उसके लाभ से वंचित रह जाते है”।

Read more »

समाज

महिला यात्रियों की सुविधाओं की अनदेखी क्यों ?

| Leave a Comment

"आपको पता होना चाहिए कि हमारे जिले की अधिकांश आबादी पहाड़ी गांव में बस्ती हैं जहां आने के लिए किसी क्षेत्र में रोड है तो कार नहीं और कार है तो किराया देने के पैसे नही। कई किलोमीटर दूर से महिलाएं पुंछ शहर आती हैं परंतु बस स्टैंड में शौचालय की व्यवस्था नहीं है। सीमा क्षेत्र होने के कारण अधिकतर विकलांग हैं। ऐसे रोगियों में महिलाएं भी होती हैं और उन्हें जब जम्मू ले जाया जाता है तो उनके लिए रास्ते में शौच का प्रबंध नहीं होता। क्या यह एक राष्ट्रीय समस्या नहीं है?, क्या इस ओर तत्काल ध्यान देने की जरूरत नहीं है?

Read more »

विविधा

3 शिक्षक और 616 बच्चे

/ | Leave a Comment

। सबसे पहले मेरी मुलाकात विद्धालय की प्रधान अध्यापक श्रीमती मंजू कुमारी से हुई। विद्धालय की जानकारी लेते हुए मैंने पुछा विद्धालय की हालत ऐसी क्यों दिख रही है। क्या आप लोगो को इससे परेशानी नहीं होती? थोड़े गुस्से और थोड़ी विनम्रता के साथ उन्होने जवाब दिया “वो तो होगी ही आप ही देखिये विद्धालय के चारो ओर दीवार नही है। इसका अपना रास्ता भी नही है जिससे बारिश के मौसम में हमलोगों को आने जाने में बहुत दिक्कत होती है। 616 बच्चों पर सिर्फ दो चापाकल लगा हैं जिसमें से एक खराब है। 7 कमरे हैं एक कमरे को हम ऑफिस की तरह इस्तेमाल करते हैं”।

Read more »