समाज बेटियां अल्लाह की रहमत हैं। November 29, 2016 | Leave a Comment निकहत प्रवीन संयुक्त राष्ट्र के विश्व जन्संख्या कोष( world population fund) की रिपोर्ट बताती है कि हमारे देश मे पिछले बीस सालों मे लगभग 10 करोड़ लड़कियों को गर्भ में ही मार दिया गया। रिपोर्ट जितनी स्पष्ट है कारण भी उतना ही स्पष्ट है, गर्भ मे लड़की का होना। वो लड़की जिसके प्रति हर युग […] Read more » बेटियां अल्लाह की रहमत हैं।
समाज स्वस्थ मां ही स्वस्थ परिवार का आधार है। November 7, 2016 | Leave a Comment मारियों नरोन्हा पति जब शराब के नशे में देर रात घर लौटता है तो ऐसी स्थिति मे वो जबरन अपनी पत्नि पर शारीरिक संबध बनाने का दबाव डालता है ।इस परिस्थिति का सामना अधिकतर महिलाओं को करना पड़ता है चाहे वो शहरी क्षेत्र मे रहने वाली शिक्षित महिला हो या ग्रामीण क्षेत्र की अशिक्षित […] Read more » स्वस्थ परिवार का आधार स्वस्थ मां
प्रवक्ता न्यूज़ शौच के लिए बाहर जाते शर्म आती है November 4, 2016 / November 4, 2016 | 1 Comment on शौच के लिए बाहर जाते शर्म आती है "हमारे जमाने की बात कुछ और थी हम भी शौच के लिए बाहर जाते थे लेकिन तब का जमाना कुछ और था गांव में बहू बेटियों को इज्जत की नजर से देखा जाता था। जब हम शौच के लिए बाहर जाते थें तो पुरुष हमें देखते ही खुद ही किनारे हो जाते थे लेकिन अब के जमाने मे शहर तो दूर गांव मे लड़कियों के साथ शौच को जाते हुए बहुत सारे हादसे हो जाते हैं इसलिए बहु बेटियों को बाहर भेजने मे डर लगता है। Read more »
समाज कुपोषण से मुक्त होगा झारखंड October 6, 2016 | Leave a Comment राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में लड़की की कम उम्र में शादी और मां बनने से बच्चे कुपोषित जन्म ले रहे हैं। कम उम्र की मां ने गर्भधारण के मानकों का पालन नहीं किया और 6 माह तक बच्चे को स्तनपान भी नहीं कराया, इस कारण बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे है। इंडियन कांउसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च का कहना है कि 65 ग्राम दाल बच्चों को दिया जाना चाहिए लेकिन राज्य में 30 ग्राम दाल भी उन्हें नहीं मिल रहा है। Read more » Featured Jharkhand to get rid from Malnutrition malnutrition कुपोषण कुपोषण से मुक्त कुपोषण से मुक्त होगा झारखंड झारखंड
समाज सार्थक पहल महिलाओं के लिए बकरियां एटीएम से कम नही October 4, 2016 | Leave a Comment मालुम हो कि बदायूं में बकरी चराने की कोई परेशानी नहीं है, क्योंकि ज्यादातर परिवारों के पास अपनी कृषि भूमि हैं, वह अपनी बकरियों को गेहूं, मक्का और अन्य फसलों के अपशिष्ट खिलाकर उनका पालन पोषण करते हैं। बिस्मिल्लाह समूह की सभी दस महिला सदस्य इस समय बकरियां-पालन कर रही हैं, पुरुष भी महिलाओं के साथ इस काम को बढ़ावा देकर अच्छा मूल्य प्राप्त कर रहे हैं। Read more » Featured महिलाओं के लिए बकरियां एटीएम से कम नही
समाज मैंने नौवीं कक्षा से स्कूल छोड़ दिया है”। . September 28, 2016 | Leave a Comment गांव हाड़ी मे हर व्यक्ति शिक्षा के लाभ से अवगत है लेकिन शिक्षा प्रणाली में खामियां होने के कारण यहां के बच्चे अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं। इस बारे में एक बुजुर्ग का कहना है कि "इस क्षेत्र को राजनीतिक भेदभाव की वजह से नजरअंदाज किया जाता है, Read more » Featured
समाज चिकित्सा सुविधा से वंचित गर्भवती महिलाएं September 20, 2016 | Leave a Comment पूनम राजस्थान भाई की पत्नी को समय पर चिकित्सा सुविधा और सही दवा नही मिली जिस कारण उसकी मौत हो गई”। ये वाक्य है राजस्थान की तहसील लुनकरनसर के कालू गांव मे रहने वाली 45 वर्षीय भंवरी देवी के। जिन्हे इस बात का बेहद दुख है कि आजादी के इतने वर्षो बाद भी महिलाओं खास कर गांव मे महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए उत्तम सुविधाएं उपलब्ध नही कराई जा रही हैं। कारणवश गर्भवास्था के दौरान उनकी सही देखभाल नही हो पाती और महिलाएं मौत का शिकार हो रही हैं। यूं तो कालू गांव मे और भी कई समस्याएं हैं पर उन सबके बीच गर्भवती महिलाओं के लिए सही चिकित्सा सुविधा न होना चिंताजनक विषय है। यहां के ग्रामीणो से बात करने पर पता चला कि कालू गांव के प्रत्येक मुहल्ले मे स्वास्थ्य केंद्र नही है और जहां है भी वहां पर अच्छे डॉक्टर और नर्से मौजुद नही होती, और जो होते हैं, आपातकालिन स्थिति मे वो भी घर पर आने के लिए तैयार नही होते। ऐसी दयनीय स्थिति मे अक्सर लोगो को परेशानीयों का सामना करना पड़ता है। भंवरी देवी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ इस बारे मे वो बताती है ” मेरी भाभी गर्भवती थी लेकिन समय पर चिकित्सा सुविधा और सही दवा नही मिलने के कारण उसकी मौत हो गई। आखिरी समय मे उसकी हालत इतनी बिगड़ गई थी कि उसे बिकानेर के अस्पताल मे रेफर कर दिया गया था पर वहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। और प्राइवेट अस्पताल मे ले जाने के लिए हमारे पास पैसे नही थे। ऐसा सिर्फ मेरी भाभी के साथ नही हुआ बल्कि अबतक गांव की कई महिलाओं के साथ हो चुका है”। नाम न लिखे जाने की शर्त पर गांव की एक दुसरी महिला ने बताया कि “यहां आंगनबाड़ी का भी बुरा हाल है। बच्चे के जन्म से लेकर जन्म होने तक गर्भवती महिलाओं को खास व्यवस्था उपलब्ध नही कराई जाती। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों का वजन तो तौल लेती है परंतु जो बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं उनके लिए पोषक तत्व उपलब्ध नही कराया जाता। और बच्चो के लिए भेजा जाने वाला भोजन बच्चों मे कम और जान पहचान वाले लोगो के बीच बांट दिया जाता है। कोई बाहर वाला अगर भोजन लेना चाहे तो उसे उसकी किमत चुकानी पड़ती है”। खराब स्वास्थ्य सुविधा और आंगनबाड़ी की बुरी स्थिति के बारे मे भंवरी देवी ने बताया “मेरी बहू जब गर्भवती थी तो स्वास्थय केंद्र जाकर उसने टिकाकरण तो करा लिया था परंतु वहां से उसे टिकाकरण का कोई कार्ड नही दिया गया। बार बार पूछे जाने पर कहा गया कि आंगनबाड़ी आकर कार्ड प्राप्त किया जा सकता है लेकिन आंगनबाड़ी केंद्र हमेशा बंद मिलता है। स्वास्थ्य केंद्र मे भी केवल टिकाकरण किया जाता है प्रसव के लिए वहां पर कोई सुविधा उपलब्ध नही है। और नर्सो को बुलाने पर वह घर पर नही आती, यहां तक की दवा भी मुफ्त मे नही बल्कि पैसे देने पर ही मिलती है। ऐसे मे गरीब व्यक्ति इस मंहगाई मे न तो पैसे दे सकता है न ही शहर जाकर इलाज करवा सकता है। मजबुरी मे गांव मे ही इलाज करवाना पड़ता है। भंवरी देवी आगे कहती है “गर्भवती महिला का इलाज यहां के स्वास्थ्य केंद्र मे सही से नही होता और अन्य बिमारीयों के इलाज के लिए जितने भी मरीज आते हैं उन सबको लगभग एक ही दवा दी जाती है। प्रसव की सही सुविधा न मिलने के कारण कितनी गर्भवती महिलाओं की अब तक मौत हो चुकी है, और कितने बच्चों की भी। मालुम हो कि जननी सुरक्षा योजना राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत एक सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य गरीब गर्भवती महिलाओं के संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देते हुए मातृ एंव नवजात मृत्यु दर को कम करना है। इसके बावजुद राजस्थान के कालू गांव की यह स्थिति और दूसरी ओर राजस्थान जननी सुरक्षा योजना की वेबसाईट पर मौजुद आंकड़े चौंकाने वाले हैं। आंकड़े बताते हैं कि भारत मे गर्भावस्था संबधी जटिलताओं के कारण हर साल करीब 67000 महिलाएं दम तोड़ देती हैं। इसी तरह जन्म के एक वर्ष के भीतर करीब 13 लाख बच्चे दम तोड़ देते हैं। विशेष रुप से बात आगर राजस्थान की करें तो मालुम होता है कि प्रतिवर्ष 5300 महिलाओं की मृत्यु गर्भावस्था संबधी जटिलताओं के कारण होती है। इसी तरह लगभग 98500 शिशुओं की मृत्यु जन्म के एक वर्ष के भीतर ही हो जाती है। आंकड़े अपने आप मे सवाल खड़ा करते हैं जिसकी गंभीरता को समझ कर जल्द से जल्द इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि भारत की प्रत्येक मां और बच्चे को सुरक्षा प्रदान की जा सके और जननी-शिशु सुरक्षा जैसी योजनाओं को सफलता प्राप्त हो। Read more » Featured जननी सुरक्षा योजना जननी-शिशु सुरक्षा राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थय मिशन घोटाला
समाज बेटी तो ससुराल चली जाएगी, बेटा हमेशा रहेगा साथ । September 17, 2016 | Leave a Comment सुशीला भारत की शीर्ष महिला बैंकर एसबीआई प्रमुख अरुंधति भट्टाचार्य, आईसीआईसीआई बैंक प्रमुख चंदा कोचर और एक्सिस बैंक की मुख्य कार्यकारी शिखा शर्मा अमेरिका से बाहर विश्व की 50 सबसे शक्तिशाली महिलाओं मे शामिल हैं। यह बात फाच्यूर्न द्वारा जारी एक सूची मे कही गई। इस सूची मे अमेरिका से बाहर की महिलाओं को भी […] Read more » बेटा
प्रवक्ता न्यूज़ नैपकीन दे रहा रोजगार भी स्वच्छता भी August 10, 2016 | Leave a Comment उषा राय “मैं पिछले छः महिनों से नैपकीन बनाने का काम कर रही हूँ हमारे समूह मे 7 लोग हैं और सब मिलकर 300 नैपकीन एक दिन मे तैयार करते हैं “। ये वाक्य हैं अमेठी जिला के शिंगपुर मे रहने वाली शबनम का जो पिछले कई सालो से सफाई कर्मचारी तो हैं ही अब […] Read more » नैपकीन रोज़गार स्वच्छता
समाज सार्थक पहल रीति रिवाजो को तोड़ बचाई हजारों जिंदगियां : सामुदायिक गतिशीलता परियोजना August 8, 2016 | Leave a Comment उषा राय हाल ही मे आई एक खबर के अनुसार देश के अस्पतालों और घरो में रोजाना मरने वाले नवजातों और गर्भवती महिलाओं की जानकारी केंद्र सरकार के पास नही है। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय स्वास्थ सचिव ने आरजीआई को जल्द से जल्द आंकड़े उपलब्ध कराने को कहा है […] Read more » Featured सामुदायिक गतिशीलता परियोजना
विविधा कभी बर्फ से दबे, कभी पानी में बहे- हम पहाड़वासी July 16, 2016 | Leave a Comment विपिन जोशी, 2013 की आपदा का जख्म अभी पूरी तरह भरा भी नहीं कि 2016 का मानसून पहले ही चरण में तबाही के संकेत देने लगा। हजारों मौतें हुई। पूर्व में आयी तमाम आपदाओं से किसने क्या सीखा यह चर्चा का बिन्दु हो सकता है। लेकिन समझने वाली बात यह है कि अक्सर सरकारें आपदा […] Read more » Featured
प्रवक्ता न्यूज़ सार्थक पहल मेरे घर मे शौचालय है। July 15, 2016 | Leave a Comment गांव की प्रतिष्ठा का प्रतीक-शौचालय ऊषा राय अपनी माँ और दादी के साथ उत्र प्रदेश मे अमेठी जिले के नोहरेपुर मे रहने वाली सत्रह साल कि कृष्णा अपने घर मे शौचलय बनवाना चहती थी। उसके भाई और उसके पिता जो मुम्बई मे काम करते हैँ, उनकी मंज़ूरी के बिना घर मेँ शौचलय नही बन सकता […] Read more » शौचालय