कविता श्रध्दानन्द की अमर कहानी December 22, 2012 / December 22, 2012 | Leave a Comment हम सब मिल शीश झुकायेंगे, उस वीर धीर बलिदानी को, उस वेद राह लासानी की गायेंगे अमर कहानी को। अट्ठारह सौ सत्तावन में, तलवन की भूमि पावन कर दी, नानक, शिवदेवी के घर में, मुन्शी ने आकर खुशी भर दी। बुद्धि कुशाग्र सुन्दर बालक, मिल गया सेठ-सेठानी को॥ हम सब… पैसे की कोई […] Read more »
टॉप स्टोरी भारतीय सेना, सुरक्षा और विवाद December 22, 2012 / December 22, 2012 | 1 Comment on भारतीय सेना, सुरक्षा और विवाद राघवेंद्र प्रसाद मिश्र सेना की साख पर दाग लगना न तो देशहित में है और न ही सेना की। इस साल जिस तरह से जन्मतिथि विवाद के चलते सुर्खियों में आने वाले वीके सिंह ने नित नये खुलासे कर सरकार के साथ सेना को सांसत में डाल दिया इससे बड़ा सेना के लिए हतप्रभ करने […] Read more »
शख्सियत समाज आदिवासी संस्कृति को संजोते 70 वर्षीय शिव सिंह आंचला December 19, 2012 | Leave a Comment देवलाल नरेटी भारत विश्व के उन चुनिंदा देशों में एक है जहां आज भी आदिकाल की संस्कृति की झलक न सिर्फ जिंदा है बल्कि उसका प्रचार प्रसार भी हो रहा है। अपनी महान संस्कृति को संजोये आदिवासी समाज वक्त के साथ कदम से कदम मिलाकर निरंतर आगे बढ़ने को प्रयासरत हैं। प्राकृतिक संपदा से भरपूर […] Read more » शिव सिंह आंचला
विविधा कब आएगी सुनहरी सुबह? December 19, 2012 | 1 Comment on कब आएगी सुनहरी सुबह? मृदु भाषनी हर सुबह के बाद एक रात आती है। और हर रात के बाद सुबह आती है। मगर कुछ बदकिस्मत ऐसे भी हैं, जिन्हें अब तक उस सुबह का इंतजार है जो उनके जीवन के अंधेरा को दूर कर दे। धरती का स्वर्ग कहलाने वाले जम्मू कश्मी र के पुंछ जिला से लगभग 10 […] Read more »
आर्थिकी एफडीआई: संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है…….. December 14, 2012 / December 14, 2012 | 1 Comment on एफडीआई: संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है…….. संजय पराते प्रत्यक्ष विदेषी निवेश (एफडीआई) पर संसद के अंदर बहस और मतदान के पैटर्न से यह साफ हो गया है कि तथाकथित क्षेत्रीय पार्टियों का आम जनता के व्यापक हितों – जिसको अक्सर राष्ट्रीय हितों के रुप में परिभाषित किया जाता है- से कोई सरोकार नहीं रह गया है। इन दलों का पूरा रवैया […] Read more » एफडीआई
प्रवक्ता न्यूज़ मीडिया चरखा का 18वां संस्थापक दिवस संपन्न December 12, 2012 | Leave a Comment नई दिल्ली- शुक्रवार 07 दिसम्बर को ग्रामीण पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करने वाली गैर सरकारी संस्था ‘चरखा‘ का 18वां संस्थापक दिवस धूम-धाम से मनाया। समारोह नई दिल्ली स्थित सिरी फोर्ट सभागार में आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सीएनएन आईबीएन के एडिटर इन चीफ राजदीप सरदेसाई के अलावा कई […] Read more »
प्रवक्ता न्यूज़ मीडिया अनशन कर रहे कार्टूनिस्ट असीम और आलोक की पांचवे दिन सेहत में गिरावट December 12, 2012 | 1 Comment on अनशन कर रहे कार्टूनिस्ट असीम और आलोक की पांचवे दिन सेहत में गिरावट आईटी एक्ट की धारा 66 A के खिलाफ भूख हड़ताल कर रहे कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी और एक्टिविस्ट आलोक दीक्षित की सेहत में गिरावट आई है. पिछले पांच दिनों से सेव योर वाइस के असीम त्रिवेदी और आलोक दीक्षित जंतर-मंतर पर अनिश्चितकालीन पर भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं. वहीँ आईटी एक्ट के खिलाफ चल रहे […] Read more »
प्रवक्ता न्यूज़ रिपोर्टिंग में शोध और तथ्यों की जांच अनिवार्य होः ए.पी.जे. अब्दुल कलाम December 12, 2012 | Leave a Comment माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में मिसाइलमैन का व्याख्यान भोपाल 12 दिसंबर। रिपोर्टिंग में शोध और तथ्यों का सत्यापन नितांत आवश्यक है। इसके लिए जरूरी है कि प्रत्येक मीडिया संस्थान समाचार का प्रकाशन करने से पूर्व उसके तथ्यों की पूरी जांच-पड़ताल करे। एक पत्रकार की दायित्व और निष्ठा किसी व्यक्ति, पार्टी और संस्था के प्रति नहीं बल्कि […] Read more »
आर्थिकी एफडीआई के दूरगामी परिणाम बेहद घातक December 8, 2012 / December 8, 2012 | 8 Comments on एफडीआई के दूरगामी परिणाम बेहद घातक बीपी गौतम विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफडीआई) देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है, लेकिन आम आदमी एफडीआई के बारे में इतना सब होने के बाद भी कुछ ख़ास नहीं जानता। असलियत में एफडीआई को लेकर आज जो कुछ हो रहा है, उसकी नींव वर्ष 1991 में ही रख दी गई थी। विदेशी […] Read more » एफडीआई के दूरगामी परिणाम
कविता लाखो घर बर्बाद हो गये इस दहेज़ की बोली में , December 8, 2012 / December 8, 2012 | Leave a Comment लाखो घर बर्बाद हो गये इस दहेज़ की बोली में , अर्थी चड़ी बहुत कन्याये बैठ न पाई डोली में , कितनो ने अपनी कन्यायो के पीले हाथ कराने में कहाँ कहाँ तक मस्तक टेकें आती शर्म बताने में , जिस पर बीती वही जानता ,शब्द नहीं है कहने को , कितनो ने बेचें […] Read more » poem by manish jaiswal लाखो घर बर्बाद हो गये इस दहेज़ की बोली में
आर्थिकी नैतिक तकाजों से परे एफडीआई का मुद्दा December 3, 2012 | 2 Comments on नैतिक तकाजों से परे एफडीआई का मुद्दा प्रमोद भार्गव राष्ट्रीय मुद्दा बना खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष पूंजी निवेश के मद्देनजर धारा 184 के तहत जो बहस अथवा महाबहस हो रही हैं, उसका वास्ता अब मौकापरस्ती से रह गया है। क्योंकि संप्रग सरकार के जो घटक दल सपा, बसपा और द्रमुक कल तक जिस निवेश के विरोध में थे, वे राजनीतिक जोड़-तोड़ की […] Read more » एफडीआई
विविधा संगठन के नीचे दबता जा रहा है संविधान December 1, 2012 / December 1, 2012 | 1 Comment on संगठन के नीचे दबता जा रहा है संविधान बीपी गौतम बचपन में कहानियों के माध्यम से सिखाया जाता रहा है कि संगठन में बहुत बड़ी शक्ति होती है। एक लकड़ी को सामान्य व्यक्ति भी तोड़ सकता है, पर इकट्ठी लकड़ियों को शक्तिशाली व्यक्ति भी नहीं तोड़ सकता। धागे को बच्चा भी तोड़ सकता है और कई धागों से मिल कर बनी रस्सी से […] Read more » संगठन संविधान