मनोज ज्वाला

मनोज ज्वाला

लेखक के कुल पोस्ट: 153

* लेखन- वर्ष १९८७ से पत्रकारिता व साहित्य में सक्रिय, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं से सम्बद्ध । समाचार-विश्लेषण , हास्य-व्यंग्य , कविता-कहानी , एकांकी-नाटक , उपन्यास-धारावाहिक , समीक्षा-समालोचना , सम्पादन-निर्देशन आदि विविध विधाओं में सक्रिय ।
* सम्बन्ध-सरोकार- अखिल भारतीय साहित्य परिषद और भारत-तिब्बत सहयोग मंच की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य ।

लेखक - मनोज ज्वाला - के पोस्ट :

जन-जागरण समाज

भारत के विरूद्ध सक्रिय संगठनों का वैश्विक तंत्र – ०२

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यह विडम्बना ही नहीं धूर्त्तता भी है कि जिन लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान का ककहरा-मात्रा भी नहीं मालूम है वे दलितों को आध्यात्मिक लाभ देने में लगे हुए हैं और इस तथाकथित लाभ के नाम पर उनके गले में गुलामी का फंदा डालने वाले वे लोग उस फंदे को ही मुक्ति का माध्यम व स्वयं को मुक्तिदाता भी बता रहे हैं । इतना ही नहीं, इसकी पूरी अनुकूलता नहीं मिल पाने के कारण वे भारत के कानून-व्यवस्था को धार्मिक स्वतंत्रता का उत्पीडक बताते हुए इसके विरूद्ध अमेरिका से हस्तक्षेप की मांग भी कर रहे हैं ।

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जन-जागरण विविधा सार्थक पहल

काले धन के जड-मूल : पाश्चात्य-पद्धति के स्कूल

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काले धन के विष-वृक्ष से समाज व देश को अगर सचमुच ही मुक्त करना है , तो इसकी पत्तियों व डालियों के ‘विमुद्रीकरण’ अथवा लेन-देन की प्रक्रिया के ‘कम्प्युटरीकरण’ से कुछ नहीं होगा ; बल्कि इसके लिए इसके जड-मूल अर्थात दीक्षाहीन पाश्चात्य शिक्षा-पद्धति को उखाड कर धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष-सम्पन्न भारतीय शिक्षण-पद्धति का पुनर्पोषण करना होगा ।

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विविधा समाज

भारत में दलित मामलों के पीछे अभारतीय गैर-दलित संगठन सक्रिय

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मनोज ज्वाला अपने देश में समय-समय पर दलितों के उत्पीडन और धर्मान्तरण के जो मामले सामने आते रहे हैं उनके पीछे विदेशी संगठनों की सक्रियता ध्यान देने योग्य है । भारत की सामाजिक संरचना को विखण्डित करने और विदेशी साम्राज्यवादी शक्तियों के हस्तक्षेप को आमंत्रित करने के लिए अनेक अभारतीय संगठन  विभिन्न रूपों में यहां […]

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