कला-संस्कृति जन-जागरण धर्म प्रवतर्कों व प्रचारकों के लिए वेद-ज्ञानी होना अपरिहार्य’ January 14, 2015 / January 14, 2015 | 1 Comment on धर्म प्रवतर्कों व प्रचारकों के लिए वेद-ज्ञानी होना अपरिहार्य’ देश व विदेशों में नाना मत मतान्तर, जो स्वयं को धर्म कहते हैं, सम्प्रति प्रचलित हैं। इनमें से कोई भी वेदों को या तो जानता ही नहीं है और यदि वेदों का नाम आदि जानता भी है तो वेदों के यथार्थ महत्व से वह सर्वथा अपरिचित होने के कारण वेदों का उपयोग नहीं कर […] Read more » धर्म प्रवतर्कों प्रचारक वेद-ज्ञानी
जन-जागरण आर्य समाज और इसके पतितोद्धार कार्य की एक सर्वोत्तम प्रेरणाप्रद घटना January 10, 2015 / January 10, 2015 | 2 Comments on आर्य समाज और इसके पतितोद्धार कार्य की एक सर्वोत्तम प्रेरणाप्रद घटना पराधीन भारत में एक गुजराती जन्मना व कर्मणा ब्राह्मण महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वारा 10 अप्रैल, सन् 1875 को मुम्बई के काकड़वाड़ी स्थान पर प्रथम आर्य समाज की स्थापना विगत 5,000 वर्षों में एक सर्वतोमहान क्रान्ति के सूत्रपात का ऐतिहासिक दिवस है। हमें देश में ऐसी कोई संस्था या आन्दोलन विगत 5,000 वर्षों में दिखाई […] Read more »
कला-संस्कृति समाज गुरूकुल शिक्षा का उद्देश्य वेद प्रचारक वैदिक विद्वान बनाना है January 8, 2015 / January 8, 2015 | 2 Comments on गुरूकुल शिक्षा का उद्देश्य वेद प्रचारक वैदिक विद्वान बनाना है सृष्टि के आरम्भ से जो गुरूकुल वा विद्यालयीय शिक्षा आरम्भ हुई और महाभारत काल व उसके अनेक वर्षों बाद तक सफलतापूर्वक चली, वह निश्चित ही गुरूकुलीय शिक्षा प्रणाली थी। आजकल की विद्यालयीय शिक्षा में विद्यार्थी अपने परिवार और विद्यालय के बीच में फंसा रहता है। उसकी सर्वांगीण शारीरिक व आत्मिक उन्नति नहीं हो पाती। उसका […] Read more » गुरूकुल शिक्षा
धर्म-अध्यात्म ईश्वर सर्वज्ञ है और जीवत्मा अल्पज्ञ है January 6, 2015 | 3 Comments on ईश्वर सर्वज्ञ है और जीवत्मा अल्पज्ञ है आजकल मनुष्य का जीवन इतना व्यस्त हो गया है कि स्वाध्याय के लिए समय मिलना कठिन हो गया है। कई दैनिक कर्तव्य मनुष्य चाहकर भी पूरे नहीं कर पाता हैं। ऐसी स्थिति मे ईश्वर क्या है, कैसा है तथा जीवात्मा का स्वरूप कैसा है, इसको जानने की किसी को न इच्छा होती है न फुर्सत […] Read more » ‘ईश्वर सर्वज्ञ जीवत्मा अल्पज्ञ
जन-जागरण ‘ईश प्रार्थना और प्रारब्ध’ December 31, 2014 | Leave a Comment ओ३म् हम इस लेख में प्रार्थना और प्रारब्ध पर विचार कर इन दोनों के परस्पर सम्बन्ध पर भी विचार करेंगे। प्रार्थना एक प्रकार से किसी से कुछ मांगना होता है। हमें जब किसी सरकारी विभाग से कुछ मांगना होता है तो हम प्रार्थना पत्र लिखते व भेजते हैं। प्रार्थना प्रायः अपने से बड़े व्यक्ति से […] Read more » ईश प्रार्थना प्रारब्ध
धर्म-अध्यात्म वेदों में ईश्वर से की जाने वाली एक सर्वश्रेष्ठ प्रार्थना December 29, 2014 / December 29, 2014 | 2 Comments on वेदों में ईश्वर से की जाने वाली एक सर्वश्रेष्ठ प्रार्थना संसार का विवेचन करने पर यह तथ्य सामने आता है कि यह ससार किसी अदृश्य सत्ता द्वारा बनाया गया है और उसी के द्वारा चलाया जा रहा है। वही सब प्राणियों को जन्म देता है और उनका नियमन करता है। संसार व सृष्टि की भिन्न-भिन्न रचनाओं पर ध्यान दें तो लगता है कि वह सत्ता […] Read more » वेद सर्वश्रेष्ठ प्रार्थना
जन-जागरण गोरक्षा युक्ति प्रमाण सिद्ध मनुष्य धर्म है December 19, 2014 / December 19, 2014 | Leave a Comment ओ३म् मनुष्य का धर्म क्या है व अधर्म किसे कहते हैं? आज का शिक्षित मनुष्य स्वयं को सभ्य कहता है परन्तु उसे यह पता ही नहीं की धर्म क्या है और अधर्म क्या है? हमें लगता है कि आजकल अनेक मतों में जिन बातों को धर्म माना जाता है उनमें से कुछ बातें धर्म न […] Read more » गोरक्षा गोहत्या राष्ट्र हत्या
धर्म-अध्यात्म वैदिक धर्म की संसार को सर्वोत्तम देन यज्ञ और अग्निहोत् December 18, 2014 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार के सभी धर्म जो वस्तुतः मत-मतान्तर व मजहब आदि हैं, सर्वांगीण न होकर एकांगी हैं। इनमें सत्य व असत्य मिश्रित मान्यतायें व सिद्धान्त पाये जाते हैं जिन्हें वार्तालाप, व्याख्यान, गोष्ठी, विचार-विमर्श तथा लिखित व मौखिक शास्त्रार्थ द्वारा सिद्ध किया जा सकता है। क्या कोई ऐसा धर्म या मत भी संसार […] Read more » यज्ञ और अग्निहोत् वैदिक धर्म
धर्म-अध्यात्म स्वाध्याय क्यों करें ? December 13, 2014 / December 13, 2014 | Leave a Comment मनुष्य जीवन का उद्देश्य शारीरिक उन्नति कर बौद्धिक व आत्मिक उन्नति करना है। शारीरिक उन्नति तो अच्छे भोजन व व्यायाम आदि हो जाती है परन्तु बौद्धिक उन्नति के लिए अच्छे संस्कारों सहित ज्ञान, परा व अपरा विद्या, की आवश्यकता होती है। संस्कार माता-पिता, आचार्यों आदि से मिलते हैं तथा ज्ञान की प्राप्ति माता-पिता व आचार्यों […] Read more » why self education ? why to do swadhayay स्वाध्याय स्वाध्याय क्यों करें?
हिंद स्वराज हमारा प्राचीन देश आर्यावर्त व भारत December 11, 2014 / December 11, 2014 | Leave a Comment ओ३म् हमारे देश का संविधान सम्मत नाम “भारत” है। अंग्रेजी में इसे इण्डिया कहते हैं। प्राचीन नाम जो भारत से भी पुराना है वह आर्यावर्त है। सृष्टि के आदि में आर्यों द्वारा इसे बसाये जाने और उनके यहां रहने के कारण इसका नाम आर्यावर्त था। आर्यावर्त से पूर्व इस देश का अन्य कोई नाम नहीं […] Read more » भारत हमारा प्राचीन देश आर्यावर्त
धर्म-अध्यात्म ईश्वर और हम हमेशा साथ रहेंगे December 10, 2014 / December 10, 2014 | Leave a Comment ओ३म् ‘ईश्वर हमारा चिरस्थाई साथी है’ हम मनुष्य हैं। हम संसार में आते हैं। हमारा सबसे पहले माता-पिता से सम्बन्ध बनता है। माता की ही गोद और पालना हमारा आरम्भ का निवास होता है। हम माता व पता के स्नेह-सिक्त लोरी रूपी शब्दों को सुनकर धीरे-धीरे बोलना सीखते हैं और हमारा शरीर वृद्धि को प्राप्त […] Read more »
धर्म-अध्यात्म क्या ईश्वर किसी जीवात्मा से पक्षपात करता है? December 10, 2014 / December 10, 2014 | Leave a Comment ओ३म् पक्षपात वहीं सत्ता या व्यक्ति करता है जो अज्ञानी, अल्पज्ञानी, स्वार्थी, मक्कार, कामी आदि अवगुणों से युक्त है। यदि किसी मनुष्य या सत्ता में गुणों की पराकाष्ठा हो तो वह कोई गलत काम नहीं कर सकता। ईश्वर में सभी सद्गुण पराकाष्ठा की सीमा तक हैं और उसमें कोई अवगुण है ही नहीं तो फिर […] Read more » Does God favor of a spirit? जीवात्मा से पक्षपात