टॉप स्टोरी धर्म, मत-मतान्तर और भूख February 4, 2015 | Leave a Comment धर्म और भूख में क्या परस्पर कोई सम्बन्ध है? हां, अवश्य है, कम से कम भारत में तो रहा है और अब भी है, ऐसा स्पष्ट प्रतीत होता है। धर्म दो प्रकार के हैं एक तो वास्तविक, यथार्थ या सत्य धर्म है जो संसार के सभी लोगों के लिए एक समान है, इसलिए वह सबका […] Read more » धर्म भूख मत-मतान्तर मत-मतान्तर और भूख’
धर्म-अध्यात्म ‘वेद पारायण व बहुकुण्डीय यज्ञों का औचीत्य और प्रासंगिकता’ February 3, 2015 | 1 Comment on ‘वेद पारायण व बहुकुण्डीय यज्ञों का औचीत्य और प्रासंगिकता’ आर्य जगत की पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से समय-समय पर ज्ञात होता है कि अमुक-अमुक स्थान पर बहुकुण्डीय यज्ञ हो रहा है व कहीं किसी एक वेद और कहीं चतुर्वेद पारायण यज्ञ हो रहें हैं। यदा-कदा यह सुनने को भी मिलता है कि किसी स्थान पर एक विशाल यज्ञ हो रहा है जिसमें लाखों व करोड़ों […] Read more » ‘वेद पारायण बहुकुण्डीय यज्ञों का औचीत्य बहुकुण्डीय यज्ञों का प्रासंगिकता’
विविधा मैं महर्षि दयानन्द सरस्वती का ऋणी हूं। February 3, 2015 | 1 Comment on मैं महर्षि दयानन्द सरस्वती का ऋणी हूं। भूमिकाः– आज जब कि हमारे देश की सरकार “बेटी बचाओं आन्दोलन” चलाने पर मजबूर है, कारण विकृत मानसिकता और सामाजिक परिस्थितियों के होते हुये माता के गर्भ में पल रही बेटियों को जन्म लेने से पूर्व ही मार दिया जाता है, यही नहीं हमारे देश में लाखों बेटियों को उनके माता–पिता अपने ऊपर एक बोझ […] Read more » महर्षि दयानन्द सरस्वती का ऋणी
धर्म-अध्यात्म जन्म व कर्म से महान तथा कृत्रिम महान लोग’ January 31, 2015 / February 3, 2015 | 5 Comments on जन्म व कर्म से महान तथा कृत्रिम महान लोग’ किसी विद्वान की उक्ति है कि कुछ लोग जन्म से महान होते हैं, कुछ अपने कर्मों से महान बनते हैं और कुछ महानता को ओढ़ कर महान बनते हैं या उन्होंने महानता को ओढ़ लिया होता है। हमने यह भी उक्ति सुनी है कि मनुष्य जन्म से नहीं कर्म से महान होता है। महाभारत में […] Read more » कृत्रिम महान लोग’ जन्म व कर्म से महान
धर्म-अध्यात्म सभी धर्म किसी बड़े वृक्ष के फल व फूल है? January 28, 2015 | 2 Comments on सभी धर्म किसी बड़े वृक्ष के फल व फूल है? हम संसार में अनेक धर्मों को देखते हैं। वस्तुतः यह सब धर्म न होकर मत, मतान्तर, पन्थ, सम्प्रदाय, रिलीजियन या मजहब हैं। यह सब धर्मं क्यों नहीं है तो इसका उत्तर है कि मनुष्यों के कर्तव्यों व शुभ कर्मों का नाम धर्म है। यह धर्म सार्वभौमिक व सभी मनुष्यों के लिए एक ही होता […] Read more » सभी धर्म
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द के दो अधूरे स्वप्न January 25, 2015 | 2 Comments on महर्षि दयानन्द के दो अधूरे स्वप्न महर्षि दयानन्द ईश्वरीय ज्ञान – चार वेदों के उच्च कोटि के विद्वान थे। वह योग के ज्ञाता व असम्प्रज्ञात समाधि के सिद्ध योगी थे। उन्होंने देश के विभाजन से पूर्व देश के अधिकांश भाग का भ्रमण कर मनुष्यों की धार्मिक, सामाजिक तथा अन्य सभी समस्याओं को जाना व समझा था। उनके समय जितने भी देशी […] Read more » महर्षि दयानन्द
समाज विवाह का उद्देश्य एवं वैदिक जीवन की श्रेष्ठता January 24, 2015 | Leave a Comment हमारा यह संसार वैदिक परम्परा के अनुसार 1,96,08,53,115 वर्ष पुराना है। इस संसार को बनाने वाले ईश्वर ने संसार को बनाकर सभी प्राणियों को बनाया और उसकी अन्तिम कृति थी ‘मनुष्य’। मनुष्य को बनाने के बाद इसके कर्तव्यों का ज्ञान कराना भी आवश्यक था। अतः ईश्वर ने इसकी पूर्ति के लिए मनुष्यों को स्वाभाविक ज्ञान […] Read more » विवाह का उद्देश्य वैदिक जीवन की श्रेष्ठता’
धर्म-अध्यात्म ईश्वर-जीवात्मा विषयक यथार्थ ज्ञान के प्रदाता महर्षि दयानन्द January 21, 2015 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द सरस्वती को किशारोवस्था में मृत्यु से बचने के लिए उपाय करने के साथ ईश्वर व जीवात्मा के यर्थाथ स्वरूप के ज्ञान की खोज करने की प्रेरणा प्राप्त हुई थी। उसी दिन से वह मृत्यु पर विजय प्राप्त करने के साथ ईश्वर व जीवात्मा की खोज के मिशन पर लग […] Read more » महर्षि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म विद्या और मधु January 20, 2015 | Leave a Comment विद्या आध्यात्मिक एवं भौतिक सभी प्रकार के सत्य वा यथार्थ ज्ञान को कहते हंै। विद्या को विज्ञान भी कहा जा सकता है। विद्या से ही हमें आपनी आत्मा, परमात्मा व सृष्टि के सत्य व यथार्थ स्वरूप का परिचय मिलता है। हमारी आत्मा अत्यन्त सूक्ष्म पदार्थ है। यह इतना सूक्ष्म है कि आंखों से दिखाई […] Read more » विद्या और मधु
धर्म-अध्यात्म क्या हानिकारण जीवाणुओं को नाश करने में अधर्म होता है? January 19, 2015 / January 19, 2015 | Leave a Comment कर्म–फल सिद्धान्त मनमोहन कुमार आर्य किसानों को अपनी फसल व उपज को रोगों से बचाने के लिए कीटनाशकों का प्रयोग करना पड़ता है। हमें भी कई बार एण्टीबायटिक ओषधियों का सेवन करना पड़ता है जिससे कि हमारा रोग ठीक हो जाये? हमें एक पाठक-मित्र ने लिखा है कि दही में भी कुछ सूक्ष्मजीवी जीवाणु होते […] Read more » हानिकारण जीवाणुओं
धर्म-अध्यात्म मनुष्यों के जन्म का कारण एवं जीवन का उद्देश्य January 15, 2015 / January 15, 2015 | 4 Comments on मनुष्यों के जन्म का कारण एवं जीवन का उद्देश्य मनुष्य का जन्म क्यों होता है? हर प्रश्न के उत्तर की तरह इसका भी कोई उत्तर तो अवश्य होगा ही। इस प्रश्न के उत्तर पर विचार करने पर जन्म का साक्षात् कारण तो माता-पिता का होना प्रत्यक्ष दिखाई देता है। माता-पिता में कुछ प्राकृतिक वासनायें वा इच्छायें होती हैं जो सन्तान के रूप में […] Read more » जीवन का उद्देश्य मनुष्यों के जन्म का कारण
कला-संस्कृति मकर सक्रान्ति पर्व और हम January 14, 2015 / January 14, 2015 | Leave a Comment मकर सक्रान्ति पर्व सूर्य के मकर राशि में संक्रान्त वा प्रवेश करने का दिवस है। इस दिन को उत्साह में भरकर मनाने के लिए इसे मकर संक्रान्ति, लोहड़ी व पोंगल आदि नाम दिए गये हैं। मकर संक्रान्ति क्या है? इसका उत्तर है कि पृथिवी एक सौर वर्ष में सूर्य की परिक्रमा पूरी करती है। पृथिवी […] Read more » मकर सक्रान्ति पर्व