धर्म-अध्यात्म मनुस्मृति का सर्वग्राह्य शुद्ध स्वरूप November 16, 2014 / November 17, 2014 | Leave a Comment ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य समस्त वैदिक साहित्य में मनुस्मृति का प्रमुख स्थान है। जैसा कि नाम है मनुस्मृति मनु नाम से विख्यात महर्षि मनु की रचना है। यह रचना महाभारत काल से पूर्व की है। यदि महाभारत काल के बाद की होती तो हमें उनका जीवन परिचय कुछ या पूरा पता होता जिस प्रकार विगत […] Read more » मनुस्मृति
धर्म-अध्यात्म ‘आयुष्काम (महामृत्युंजय) यज्ञ और हम’ November 13, 2014 | Leave a Comment सभी प्राणियों को ईश्वर ने बनाया है। ईश्वर सत्य, चेतन, निराकार, सर्वव्यापक, सर्वान्तरयामी, सर्वातिसूक्ष्म, नित्य, अनादि, अजन्मा, अमर, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान है। जीवात्मा सत्य, चेतन, अल्पज्ञ, एकदेशी, आकार रहित, सूक्ष्म, जन्म व मरण धर्मा, कर्मों को करने वाला व उनके फलों को भोगने वाला आदि स्वरूप वाला है। संसार में एक तीसरा एवं अन्तिम पदार्थ प्रकृति […] Read more » ‘आयुष्काम (महामृत्युंजय) यज्ञ और हम’
चिंतन धर्म-अध्यात्म ‘ईश्वर व उसकी उपासना पद्धतियां – एक वा अनेक?’ November 13, 2014 / November 15, 2014 | Leave a Comment हम संसार में देख रहे हैं कि अनेक मत-मतान्तर हैं। सभी के अपने-अपने इष्ट देव हैं। कोई उसे ईश्वर के रूप में मानता है, कोई कहता है कि वह गाड है और कुछ ने उसका नाम खुदा रखा हुआ है। जिस प्रकार भिन्न-भिन्न भाषाओं में एक ही संज्ञा – माता के लिए मां, अम्मा, माता, […] Read more » ‘ईश्वर व उसकी उपासना पद्धतियां - एक वा अनेक?’ god and the ways of their worship
जन-जागरण “महाभारतोत्तर काल के देशी-विदेशी वेद भाष्यकार और महर्षि दयानन्द” November 12, 2014 | Leave a Comment आईये, पौर्वीय एवं पाश्चात्य वेदों के भाष्यकारों पर दृष्टि डालते हैं। महाभारत काल के बाद से अब तक लगभग 5,115 वर्षों से कुछ अधिक समय व्यतीत हो चुका है। महाभारत युद्ध के बाद वेदों के अध्ययन व अध्यापन की परम्परा में बड़ा व्यवधान उपस्थित हुआ। युद्ध के बाद प्रायः ऐसा हुआ ही करता है। आजकल […] Read more » “महाभारतोत्तर काल के देशी-विदेशी वेद भाष्यकार और महर्षि दयानन्द”
आर्थिकी ‘यात्रा व पर्यटन से देवपूजा व संगतिकरण का लाभ, November 12, 2014 / November 15, 2014 | Leave a Comment ओ३म् -मनमोहन कुमार आर्य, जब हम किसी उद्देश्य से एक स्थान से अन्य दूरस्थ स्थान पर जाते हैं तो घर से निकल कर घर वापिस लौटने तक भ्रमण किये गये स्थानों पर जाने को हम यात्रा का नाम देते हैं। यात्रा के अनेक उद्देश्य हुआ करते हैं। जैसे बच्चे सुदूर स्थानों पर रहने वाले अपने […] Read more » benefits of heritage tours in any state पर्यटन से देश की एकता व अखण्डता को बढा़वा पर्यटन से प्रदेशों का आर्थिक विकास यात्रा व पर्यटन से देवपूजा व संगतिकरण का लाभ
विविधा ‘हमारी सूरत हमारे पूर्व जन्म के कर्मों के अनुरूप’ November 9, 2014 / November 15, 2014 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य सूरत मनुष्य की आकृति को कहते हैं। भारत की जनसंख्या लगभग 125 करोड़ और सारे संसार की लगभग 7 अरब से कुछ अधिक है। यह एक बड़ा आश्चर्य है कि सभी स्त्री व पुरूषों, बुजुर्गं, जवान या बच्चे, की मुखों की सूरत, चेहरा, आकृतियां, शकल, कद-काठी, रंग-रूप अलग-अलग हैं। प्रश्न उठता है […] Read more » Our face according to the deeds of our pre-birth हमारी सूरत हमारे पूर्व जन्म के कर्मों के अनुरूप
चिंतन जन-जागरण समाज ‘हमारा स्वर्णिम अतीत और देश की अवनति के कारणों पर विचार’ October 29, 2014 | Leave a Comment ओ३म् संसार में वैदिक धर्म व संस्कृति सबसे प्राचीन है। इसका आधार चार वेद – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद हैं। वेदों का लेखक कोई मनुष्य या ऋषि-मुनि नहीं अपितु परम्परा से इसे ईश्वर प्रदत्त बताया जाता है। वैदिक प्रमाणों एवं विचार करने पर ज्ञात होता […] Read more » ‘हमारा स्वर्णिम अतीत और देश की अवनति के कारणों पर विचार’
समाज ‘वर्तमान समाज में शूद्र संज्ञक कोई नहीं’ October 29, 2014 | Leave a Comment ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य वेद एवं वैदिक साहित्य में मनुष्य समाज को गुण, कर्म तथा स्वभाव के अनुसार चार वर्णों ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र में वर्गीकृत किया गया था। गुण, कर्म व स्वभाव पर आधारित इस वैदिक वर्ण व्यवस्था में चारों वर्णों के लिए गुणों व कर्तव्यों का निर्धारण किया गया था। आज इस […] Read more » वर्तमान समाज में शूद्र संज्ञक कोई नहीं
शख्सियत “बालक मूलशंकर द्वारा शिवरात्रि पर चूहे की घटना के विरोध का परिणाम क्या हुआ?” October 26, 2014 | 1 Comment on “बालक मूलशंकर द्वारा शिवरात्रि पर चूहे की घटना के विरोध का परिणाम क्या हुआ?” ओ३म् महर्षि दयानन्द सरस्वती के आत्म कथन में हम पढ़ते हैं कि उन्होंने 14 वर्ष की अवस्था में पिता के कहने से शिवरात्रि का व्रत रखा था। रात्रि में शिव मन्दिर में सभी व्रती जागरण कर रहे थे परन्तु देर रात्रि बालक मूलशंकर के अतिरिक्त सभी को नींद आ गई। बालक मूलशंकर इसलिए जाग रहे […] Read more »
शख्सियत महर्षि दयानन्द और हमारा संसार October 25, 2014 / November 15, 2014 | 2 Comments on महर्षि दयानन्द और हमारा संसार ओ३म् ‘ईश्वर के सच्चे अद्वितीय पुत्र और सन्देशवाहक वेदज्ञ और धर्मज्ञ महर्षि दयानन्द और हमारा संसार’ ईश्वर ने यह सारा संसार जीवों के कल्याण के लिए और पूर्व जन्मों में उनके द्वारा किये गये शुभ व अशुभ कर्मों के फल प्रदान करने के लिए बनाया है। सभी मनुष्य अपना जीवन सत्य ज्ञान, कर्म व उपासना […] Read more » maharshi dayanand and our world महर्षि दयानन्द और हमारा संसार’
शख्सियत ‘मुमुक्षु स्वामी दयानन्द ने दीपावली को देहत्याग के लिए क्यों चुना?’ October 25, 2014 | 2 Comments on ‘मुमुक्षु स्वामी दयानन्द ने दीपावली को देहत्याग के लिए क्यों चुना?’ दीपावली व महर्षि दयानन्द मोक्ष दिवस पर श्रद्धांजलि महर्षि दयानन्द आर्य समाज के संस्थापक हैं। आप विश्व के इतिहास में सर्वोत्तम वेदवेत्ता, वेदज्ञ, वेद प्रचारक, वेदोद्धारक, वेदभक्त, वेदमूर्ति, वेदर्षि, वेदभाष्यकार, वेदपुरूष, वेदपुत्र, वेदरक्षक तथा वेदों को ईश्वर प्रदत्त ज्ञान मानने व अपनी इस मान्यता को तर्क, प्रमाण से सत्य सिद्ध करने वाले अपूर्व महापुरूष हैं। […] Read more » मुमुक्षु स्वामी दयानन्द
जन-जागरण वर्त-त्यौहार ‘महर्षि दयानन्द और गोवर्धन पर्व’ October 24, 2014 | 2 Comments on ‘महर्षि दयानन्द और गोवर्धन पर्व’ ओ३म् गोवर्धन पर्व पर महर्षि दयानन्द महाभारत काल के बाद से अब तक के वेदों के सबसे महान ऋषि व विद्वान थे। ईश्वरीय ज्ञान वेद में गो की स्तुति की गई है। अतः स्वाभाविक था कि महर्षि दयानन्द भी गो भक्ति करें और उसका प्रचार करें। गो भक्ति क्या है? गो के प्रति आदर […] Read more » ‘महर्षि दयानन्द और गोवर्धन पर्व’