विविधा आर्य समाज सत्य-ज्ञान से पूर्ण एक वैश्विक धार्मिक संस्था March 18, 2015 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आर्य समाज ईश्वर प्रदत्त, संसार के सबसे प्राचीन, सत्य-ज्ञान व तर्क पर पूर्णतया आधारित वैदिक धर्म का विश्व में प्रचार-प्रसार करने वाली अपनी तरह की एकमात्र वैश्विक धार्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था है। अन्य देशी व विदेशी संस्थायें जो संसार में अपने-अपने धर्म व मतों का प्रचार करती हैं, वह अज्ञान व […] Read more » आर्य समाज आर्य समाज के स्थापना दिवस वैदिक धर्म वैश्विक धार्मिक संस्था सत्य-ज्ञान से पूर्ण एक वैश्विक धार्मिक संस्था
चिंतन जन-जागरण धर्म-अध्यात्म जो यज्ञ नहीं करता वह पाप करता है-स्वामी चित्तेश्वरानन्द March 16, 2015 / March 16, 2015 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य। आज 15 मार्च, 2015 को प्रातः वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून में गायत्री यज्ञ पूर्ण श्रद्धा व भक्ति के वातावरण में सम्पन्न हुआ। यज्ञ के ब्रह्मा श्री उत्तम मुनि थे तथा मंच की शोभा के रूप में देहरादून की एक महान आध्यात्मिक हस्ती स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती विराजमान थी। यज्ञ के अनेक यजमानों […] Read more » aarya samaj importance og yagya जो यज्ञ नहीं करता वह पाप करता है-स्वामी चित्तेश्वरानन्द पाप यज्ञ स्वामी चित्तेश्वरानन्द
कला-संस्कृति चिंतन धर्म-अध्यात्म शख्सियत स्वामी विवेकानन्द जी के उद्बोधक प्रशंसनीय विचार March 14, 2015 / March 14, 2015 | 1 Comment on स्वामी विवेकानन्द जी के उद्बोधक प्रशंसनीय विचार मनमोहन कुमार आर्य स्वामी विवेकानन्द जी के हिन्दू जाति को जीवित जागृत करने वाले विचार इस लेख में प्रस्तुत किए जा रहे हैं। दिल्ली से प्रकाशित साप्ताहिक आर्यजगत पत्र के 19 अक्तूबर, 1980 विशेषांक में लगभग 35 वर्ष पूर्व इन विचारों को “मोहभंग का स्वर” शीर्षक दिया गया था। हमें यह विचार हृदय को […] Read more » swami vivekanand Vivekanand vivekanand in new age vivekanand thoughts
जन-जागरण धर्म-अध्यात्म भूगोल में मनुष्य सृष्टि का आदि स्थान एवं अन्य कुछ प्रश्न March 13, 2015 | Leave a Comment संसार में मनुष्यों की जनसंख्या लगभग 7 अरब से कुछ अधिक होने का अनुमान है। संसार में देशों की कुल संख्या 195 से अधिक हैं। इन सभी देशों में सबसे पुराना देश भारतवर्ष है जिसका प्राचीन नाम आर्यावर्त है। आर्यावर्त से पूर्व इस देश का अन्य कोई नाम नहीं था। इस आर्यावर्त देश में ही […] Read more » \मनुष्य सृष्टि का आदि स्थान
प्रवक्ता न्यूज़ उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द और आर्य समाज March 11, 2015 | 1 Comment on उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द और आर्य समाज आर्य समाज उन्नीसवीं शताब्दी व उसके बाद देश का सामाजिक व राजनैतिक क्रान्ति का एम महान संगठन था व है जिसने अपनी मनुष्य जीवन के उद्देश्य को सफल करने वाली तर्कसंगत विचारधारा के कारण देश के सभी मतों व सम्प्रदायों को प्रभावित किया। महर्षि दयानन्द जिन अंग्रेज अधिकारियों, पादरियों, मौलवियों व विद्वानों आदि से मिलकर […] Read more » आर्य समाज उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द
धर्म-अध्यात्म आओ, ईश्वर की स्तुति और प्रार्थना करें March 7, 2015 | Leave a Comment ईश्वर समस्त ऐश्वर्यों का स्वामी होने के कारण ही ईश्वर कहलाता है। जीवात्मा अल्पज्ञ, अल्प शक्ति व सामर्थ्यवाला है। अतः बुद्धि, ज्ञान, स्वास्थ्य, बल, शक्ति व ऐश्वर्य आदि के लिए ईश्वर की स्तुति, प्रार्थना व उपासना करना स्वाभाविक व आवश्यक है। महर्षि दयानन्द के आगमन से पूर्व संसार के लोग ईश्वर से क्या व […] Read more » ईश्वर की स्तुति प्रार्थना
पर्व - त्यौहार होली प्रेम, उत्साह, रंगों व नव-अन्न यव- गेहूं के स्वागत का पर्व March 6, 2015 | 2 Comments on होली प्रेम, उत्साह, रंगों व नव-अन्न यव- गेहूं के स्वागत का पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाये जाने वाले पर्व को होली के नाम से जाना जाता है। होली के अगले दिन चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को भी होली मनाते हुए अपने इष्ट-मित्रों व परिवारजनों के साथ एक दूसरे से मिल कर उन्हें कई प्रकार के रंग लगाने व परस्पर गीला रंग डालने, होली […] Read more » होली प्रेम
धर्म-अध्यात्म सृष्टि की रचना, संचालन व प्रलय से जुड़े प्रश्नों पर विचार March 2, 2015 | Leave a Comment हम पृथिवी पर रहते हैं और इससे जीवन पाते हैं। पृथिवी में ही हम श्वांस लेना आरम्भ करते हैं, जीवन भर लेते हैं और मृत्यु के अवसर पर अन्तिम श्वांस लेकर इस शरीर को छोड़कर अपने कर्मों व प्रारब्ध के अनुसार ईश्वर की व्यवस्था से नया जन्म, योनि व जीवन पाते हैं। हमारी पृथिवी हमारे […] Read more » ‘सृष्टि की रचना संचालन व प्रलय से जुड़े प्रश्नों पर विचार’
धर्म-अध्यात्म वेदाध्ययन में स्त्रियों व दलितों सहित सभी का समान अधिकार February 28, 2015 | Leave a Comment वेद ईश्वर प्रदत्त ज्ञान है जिसका उद्देश्य सभी विषयों, तृण से लेकर ईश्वर पर्यन्त, में मनुष्यों को सत्य व असत्य का विवेक कराना है। यदि ईश्वर ने सृष्टि के आरम्भ में वेदों का ज्ञान न दिया होता तो मनुष्य आंख, नाक, कान, मुंह, जिह्वा, कण्ठ, मन व बुद्धि के होते हुए भी अज्ञानी ही रहते। […] Read more » वेदाध्ययन में स्त्रियों व दलितों का समान अधिकार
जन-जागरण जयन्ती वा मरणोपरान्त जन्मोत्सव मनाने के औचित्य पर विचार February 24, 2015 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य समाज में महापुरूषों की जयन्ती मनाये जाने का प्रचलन है। सामान्यजन भी अपने जीवन काल में स्वयं का व अपने परिवार-जनों के जन्म दिवस पर अपनी-अपनी मान्यता, पद्धति व भावना के अनुसार जन्म दिवस के दिन कुछ नया उत्सव कर जन्म दिवस मनाते हैं। जन्म दिवस मनाये जाने का कारण क्या […] Read more » जयन्ती मनाने के औचित्य मरणोपरान्त जन्मोत्सव मनाने के औचित्य
वर्त-त्यौहार होली आषाढ़ी-रबी फसल व ऋतु परिवर्तन के स्वागत का पर्व February 14, 2015 / February 14, 2015 | Leave a Comment प्रत्येक वर्ष फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को होली का पर्व देश भर में मनाया जाता है। पूर्णिमा के दिन लकडि़यों वा काष्ठ को इकट्ठा कर रात्रि में होली जलाई जाती है व उसके अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है। यह पर्व कब आरम्भ हुआ इसका इतिहास में कहीं विवरण उपलब्ध नहीं है। इस […] Read more » ‘होली आषाढ़ी-रबी फसल ऋतु परिवर्तन के स्वागत का पर्व’
जन-जागरण वैदिक कालीन हमारे प्राचीन सभी ऋषि-मुनि-आचार्य वैज्ञानिक थे February 9, 2015 / February 9, 2015 | 15 Comments on वैदिक कालीन हमारे प्राचीन सभी ऋषि-मुनि-आचार्य वैज्ञानिक थे भारत का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी की हमारी इस पृथिवी की आयु व इस पर प्राणी जीवन है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार पृथिवी का निर्माण होकर इस पर आज से 1,96,08,53,115 वर्ष पहले मनुष्यों की उत्पत्ति वा उनका आविर्भाव हुआ था। सृष्टि की उत्पत्ति के पहले ही दिन ईश्वर ने बड़ी संख्या में […] Read more » सभी ऋषि-मुनि-आचार्य वैज्ञानिक थे