धर्म-अध्यात्म इस सृष्टि को उत्पन्न कर इसका पालन तथा प्रलय करने वाला ईश्वर है January 13, 2018 / January 13, 2018 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य आजकल अग्रेजी शिक्षा पद्धति से पढ़े लिखे लोग प्रायः ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करते। एक दिलन हम अपने एक वैज्ञानिक मित्र से बातचीत कर रहे थे तो पता चला कि वह न ईश्वर को मानते हैं और न ही पुनर्जन्म के सिद्धान्त को और न ही ईश्वर की कर्मफल […] Read more » creation of God God god is creator of this world ईश्वर
धर्म-अध्यात्म यह संसार नाशवान है या नाशरहित? January 9, 2018 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हम इस संसार में वर्षों से रह रहे हैं। हममें से अधिकांश लोगों ने शायद यह मान लिया है कि यह संसार नाशरहित है और हमेशा ऐसा ही रहेगा। शायद ही कोई मनुष्य होगा जो कभी इस संसार की नश्वरता के प्रश्न पर विचार करता होगा। हो सकता है कि आर्यसमाज के […] Read more » यह संसार नाशवान है संसार नाशरहित
धर्म-अध्यात्म सभी प्रकार के दुःखों की निवृत्ति परम पुरुषार्थ है January 5, 2018 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य का शरीर अन्नमय है। यह शीतोष्ण आदि कारणों से रोगी होकर दुःखों को प्राप्त होता है। व्यायाम की कमी, भोजन में पौष्टिक पदार्थों की कमी व अभक्ष्य पदार्थों के सेवन से भी शरीर को दुःख प्राप्त होता है। संसार में परमात्मा ने अनेक प्रकार के प्राणी बनाये हैं उनसे भी […] Read more » पुरुषार्थ
धर्म-अध्यात्म स्वामी शंकराचार्य जी का वैराग्य विषयक वैदिक मान्यताओं के अनुरूप उपदेश January 5, 2018 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ‘विवेक चूडामणि’ स्वामी शंकराचार्य जी का लगभग दो हजार वर्ष पूर्व लिखा गया उनके सभी ग्रन्थों में एक प्रधान ग्रन्थ है। यह ग्रन्थ मोक्षाभिलाषी एवं स्वाध्याय प्रेमियों के लिए महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसका लाभ तभी हो सकता है जब कि हम वैदिक त्रैतवाद के सिद्धान्त को भली प्रकार से समझते हों। ग्रन्थ […] Read more » स्वामी शंकराचार्य
शख्सियत समाज योगेश्वर एवं वेदर्षि दयानन्द January 3, 2018 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य आर्यसमाज के संस्थापक ऋषि दयानन्द सरस्वती वेदों के उच्च कोटि के विद्वान एवं सिद्ध योगी थे। योग में सफलता, वेदाध्ययन व वेद ज्ञान के कारण उन्हें सत्यासत्य का विवेक प्राप्त हुआ था। वह ईश्वर के वैदिक सत्य स्वरूप के जानने वाले थे। वेदों में सभी सत्य विद्यायें हैं। इन सब विद्याओं का […] Read more » योगेश्वर वेदर्षि दयानन्द
विविधा अपने शरीर की रक्षा के लिए मनुष्य को हर समय सावधान रहना चाहिये January 3, 2018 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हमारा यह शरीर हमें परमात्मा से मिला है। यह शरीर हमारी आत्मा का साधन है। यह ऐसा साधन है जिसके द्वारा हम अर्थात् हमारी आत्मा बोल सकती है, सुन सकती है, देख सकती है और स्पर्श आदि भी कर सकती है। यह शरीर हमें कर्म करने के लिए परमात्मा ने दिया है। […] Read more » शरीर की रक्षा
धर्म-अध्यात्म आत्मा अविनाशी तथा इसका शरीर नाशवान है January 1, 2018 | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य हम मननशील होने से मनुष्य कहलाते हैं। मनन हम सत्यासत्य व उचित अनुचित का ही करते हैं। सत्य व उचित बातों का आचरण करना धर्म और असत्य व अनुचित बातों का आचरण अधर्म होता है। धर्म पर चलना मनुष्य का कर्तव्य है। इसलिए कि इससे हमें सुख मिलेगा और यदि अधर्म का […] Read more » Body body is ruinous indestructible ruinous soul Soul is indestructible आत्मा अविनाशी शरीर नाशवान
समाज वैदिक विवाह का स्वरूप और आधुनिक विवाह परम्परा में धन का अपव्यय January 1, 2018 / January 1, 2018 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य संसार का सबसे प्राचीन धर्म व संस्कृति वैदिक धर्म है। संसार के सभी मनुष्यों का धर्म एक ही होता है और वह वैदिक धर्म ही है। वैदिक धर्म वेदानुकूल सिद्धान्तों पर आधारित मान्यताओं के पालन को कहते हैं। वेद से भिन्न इतर मान्यताओं का पालन धर्म नहीं होता। आजकल संसार में जितने […] Read more » Featured The nature of Vedic marriage wastage of wealth in modern marriage tradition आधुनिक विवाह परम्परा आधुनिक विवाह परम्परा में धन का अपव्यय धन का अपव्यय वैदिक विवाह वैदिक विवाह का स्वरूप
चिंतन धर्म-अध्यात्म मेरा ईश्वर सबसे महान है December 30, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य इससे पूर्व कि हम ईश्वर की महानता की चर्चा करें, हम यह जान लें कि ईश्वर है क्या? ईश्वर वह है जो इस संसार की रचना करता है, इसका पालन करता है और अवधि पूरी होने पर इसकी प्रलय करता है। यह कार्य स्वतः नहीं हो सकता। जड़ पदार्थों में स्वमेव किसी […] Read more » ईश्वर ईश्वर महान
धर्म-अध्यात्म मनुष्य को सबसे प्रीतिपूर्वक, धर्मानुसार व यथायोग्य व्यवहार करना चाहिये December 30, 2017 | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य संसार में अनेक प्रवृत्तियों वाले मनुष्य होते हैं। कुछ सज्जन प्रकृति होते हैं तो कुछ दुर्जन व दुष्ट प्रकृति के भी होते हैं। कुछ लोगों में कुछ कुछ सज्जनता व दुर्जनता दोनों होती हैं। मनुष्य को सबसे कैसा व्यवहार करना चाहिये, इसका उत्तर ऋषि दयानन्द ने आर्यसमाज के सातवें नियम द्वारा दिया […] Read more » 6 disciple of arya samaj Arya Samaj मनुष्य
धर्म-अध्यात्म पुरुषार्थ और प्रारब्ध December 29, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हमारा जीवन प्रारब्ध की नींव पर बना है और जीवन को सार्थक करने के लिए हमें पुरुषार्थ करना है। हम वेद मार्ग पर चलते हुए ज्ञान प्राप्ति, उपासना व समाजोत्थान के लिए जितने कार्य करेंगे उससे हमारा वर्तमान और भावी जीवन यशस्वी व सुखमय होगा। प्रश्न है कि पुरुषार्थ और प्रारब्ध हैं […] Read more » पुरुषार्थ प्रारब्ध
धर्म-अध्यात्म वैदिक धर्म का प्रचार और इसका भविष्य December 26, 2017 | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य वर्तमान स्थिति को देखकर मनुष्य भविष्य का कुछ कुछ अनुमान कर सकते हैं। यह अनुमान प्रायः एक सीमा तक तो सत्य सिद्ध होता ही है। कई बार अनुमान में कुछ त्रुटियां या कमियों के रह जाने पर यह गलत भी हो सकता है। आज संसार में धर्म एक ही है और अन्य […] Read more » वैदिक धर्म वैदिक धर्म का प्रचार वैदिक धर्म का भविष्य