संचित पुरोहित

संचित पुरोहित

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स्वतंत्र लेखक एवं ब्लॉगर

लेखक - संचित पुरोहित - के पोस्ट :

खेल जगत मनोरंजन विविधा

स्पर्धा में खेल भावना हर हाल में बनी रहने दें

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भारत में क्रिकेट की दीवानगी का अंदाजा अनेक उदाहरणों को देखकर लगाया जा सकता है । इसी प्रकार के उदाहरणों में सामाजिक मीडिया में घूम रहे एक वीडियो ने पूरे भारत का ध्यान अपनी ओर खींचा जिसमें 18 जून को लंदन में में भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गये चैम्पियन्स ट्राॅफी के फाईनल मुकाबले में भारत का पलडा हल्का होते देख एक मासूम बच्चे की आॅंखों से गिरते आॅंसू और उस पर उसकी माॅं द्वारा किस तरह उसका उलाहना-मिश्रित मजाक उडाया गया । ऐसा इसलिये कि भारत में क्रिकेट को एक पर्व की तरह मनाया जाता है । जनता इन मुकाबलों को देखने के लिये अपनी दिनचर्या के अनेक महत्वपूर्ण कामकाज का त्याग और बलिदान भी करती है । यदि मुकाबला चित-परिचित टीमों के साथ हो तो उसका रोमांच कई गुना बढ जाता है ।

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समाज

प्रयास, उपलब्धि और सफलता

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मानव जीवन की प्रत्येक परिस्थिति से निपटने का हौसला और दुस्साहस हमारे अंदर होना चाहिए । जब तक हम जीवन की कठिन से कठिन परिस्थितियों ने नहीं गुजरेंगे, तब तक जीवन के सर्वोत्तम पहलुओं को पा लेने की कल्पना भी हमारे लिये असंभव है । क्योंकि, विजेता कभी मैदान नहीं छोडते और जो मैदान छोड देते हैं, वे कभी विजेता नहीं बन सकते । स्मरण रहे, कहने को तो जल से मृदु कुछ भी नहीं, लेकिन उसके बहाव के वेग से बडी-बडी चट्टानें तक टूट जाती हैं । एक विद्यार्थी के जीवन में भी ऐसा प्रयास होना चाहिए - यदि उसे कुछ समझ न आये तो सवाल करे, सहमत न होने की स्थिति मंे चर्चा करे । कोई बात नापसंद हो तो उसे विनम्रतापूर्वक नकारें, लेकिन मौन रहकर आत्म निर्णय कर लेना तो एकदम गलत है ।

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विविधा

परस्पर संवादहीनता: घातक जहर

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कुछ ही पलों में घटना के पक्ष या विपक्ष में व्हाट्सअप के सजे हुए मैसेज आंकडों सहित वाइरल होने लगते हैं । पता नहीं देखते देखते तमाम आंकडे लिये ये मैसेज इतनी जल्दी, कहॉं से और कैसे बनकर लोगों के पास आ जाते हैं और उसके प्रत्युत्तर में भी लाजवाब मैसेज दनादन घूमने लगते हैं । इसके बाद सिलसिला शुरू होता है एसएमएस और व्हाट्सअप के माध्यम से घटना के विभिन्न पहलुओं के पक्ष और विपक्ष मंे अपनी राय देकर वोट करने का । जागरूक जनता अपना सभी जरूरी कार्य छोडकर ऐसी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग को प्राथमिकता भी देती है । यही सिलसिला एक सप्ताह, पंद्रह दिन, और कई बार तो महीने भर से ज्यादा की ब्रेकिंग न्यूज का हिस्सा बनकर हमंे व्यस्त और तनावग्रस्त किये रहती है ।

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