समाज समस्या पर विलाप की बजाय समाधान खोजें July 25, 2017 | Leave a Comment जिस नकल की मानसिकता और भावना से हमारे भारत का एक बडा वर्ग अपना वास्तविक मूल्य और अस्तित्व खोता जा रहा है, वह दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है । लोगों में यह भेद उॅंच-नीच, पढे-लिखे और अनपढ या जाति, धर्म की वजह से नहीं बल्कि स्वयं को पृथक दिखाने की लालसा है । चाहे रहन-सहन हो […] Read more »
विविधा सुरक्षा व्यवस्था का औचित्य एवं सार्थकता July 18, 2017 / July 18, 2017 | Leave a Comment भारत के जो गणमान्य सरकारी सहायता से अपनी जरूरत के अनुसार जिन विभिन्न श्रेणियों की सुरक्षा चाहें, उनको सुरक्षा व्यवस्था जरूर मुहैया की जानी चाहिए, लेकिन गणमान्यों के स्वयं के व्यय पर । क्योंकि जनता ने क्या गुनाह किया है, जिनके गाढे पसीने की कमाई का उपयोग किसी व्यक्ति की सरकारी सुरक्षा के लिये किया जा रहा है । Read more » पराक्रम सुरक्षा प्राईवेट लिमिटेड विभिन्न श्रेणियों की सुरक्षा व्यवस्था सुरक्षा व्यवस्था
आर्थिकी विविधा जीएसटी: एक सार्थक पहल July 12, 2017 | Leave a Comment विगत कुछ समय से जीएसटी पर जारी अनवरत चर्चा की गहराई में जाने पर व्यापारी वर्ग की मायूसी का पता चलता है । हैरानी इस बात की है कि व्यापारियों को टैक्स की रकम, ग्राहकों को विक्रय की गई वस्तु के बदले में मिले दाम के एक हिस्से से ही चुकाना है फिर इतनी हायतौबा […] Read more » A Fruitful Initiative gst GST : A Fruitful Initiative जीएसटी
समाज भिक्षावृत्ति: बेचारगी में छुपा एक व्यवसाय June 30, 2017 | Leave a Comment भिक्षावृत्ति के पक्ष और विपक्ष में अलग-अलग गणमान्यों के चर्चा के उपरान्त मुझे दो परस्पर विरोधाभासी राय मिली । पहले पक्ष ने राय दी कि सुपात्र को दान देना उचित है, कुपात्र को दान देना पाप है । अब आपको तय करना है कि भिक्षुक सुपात्र है अथवा कुपात्र है। दूसरे पक्ष द्वारा मिली राय के अनुसार जो भिक्षुक आपके पास याचना लेकर आया है, उसकी यथासंभव मदद करनी चाहिए । Read more » beggary beggary a hidden occupation Featured hidden occupation भिक्षावृत्ति
खेल जगत मनोरंजन विविधा स्पर्धा में खेल भावना हर हाल में बनी रहने दें June 21, 2017 | Leave a Comment भारत में क्रिकेट की दीवानगी का अंदाजा अनेक उदाहरणों को देखकर लगाया जा सकता है । इसी प्रकार के उदाहरणों में सामाजिक मीडिया में घूम रहे एक वीडियो ने पूरे भारत का ध्यान अपनी ओर खींचा जिसमें 18 जून को लंदन में में भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गये चैम्पियन्स ट्राॅफी के फाईनल मुकाबले में भारत का पलडा हल्का होते देख एक मासूम बच्चे की आॅंखों से गिरते आॅंसू और उस पर उसकी माॅं द्वारा किस तरह उसका उलाहना-मिश्रित मजाक उडाया गया । ऐसा इसलिये कि भारत में क्रिकेट को एक पर्व की तरह मनाया जाता है । जनता इन मुकाबलों को देखने के लिये अपनी दिनचर्या के अनेक महत्वपूर्ण कामकाज का त्याग और बलिदान भी करती है । यदि मुकाबला चित-परिचित टीमों के साथ हो तो उसका रोमांच कई गुना बढ जाता है । Read more » चैम्पियन्स ट्राॅफी
विधि-कानून विविधा कब मिलेगा न्याय June 12, 2017 | Leave a Comment संविधान की व्याख्या के अनुसार भारत सरकार के तीन प्रमुख अंगों मंे व्यवस्थापिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के अधीन विभिन्न मंत्रालय और विभाग कार्यरत हैं । चूॅंकि नैसर्गिक न्याय से बढकर कुछ नहीं, अतः न्यायपालिका की कार्यकारी और महती भूमिका का जनतंत्र पर प्रभावी होना बहुत जरूरी है । संविधान के अनुसार भले ही दस गुनाहगार […] Read more » tele law टेली-लाॅ न्याय व्यवस्था में गति और स्वच्छता राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड
टेक्नोलॉजी मीडिया ये कैसा विकास है June 7, 2017 | Leave a Comment भारत में मोबाईल के उपयोगकर्त्ताआंे की संख्या में लगातार बढोतरी हो रही है । जून, 2017 तक भारत में 42 करोड से भी अधिक मोबाईल उपभोक्ता हो चुके हैं । प्राथमिक तौर पर देखने और सुनने में ऐसा लगता है कि हमारे वतन में एक संचार क्रांति जन्म ले चुकी है और उसका निरंतर विकास […] Read more » kids in social media विकास
समाज प्रयास, उपलब्धि और सफलता May 30, 2017 | Leave a Comment मानव जीवन की प्रत्येक परिस्थिति से निपटने का हौसला और दुस्साहस हमारे अंदर होना चाहिए । जब तक हम जीवन की कठिन से कठिन परिस्थितियों ने नहीं गुजरेंगे, तब तक जीवन के सर्वोत्तम पहलुओं को पा लेने की कल्पना भी हमारे लिये असंभव है । क्योंकि, विजेता कभी मैदान नहीं छोडते और जो मैदान छोड देते हैं, वे कभी विजेता नहीं बन सकते । स्मरण रहे, कहने को तो जल से मृदु कुछ भी नहीं, लेकिन उसके बहाव के वेग से बडी-बडी चट्टानें तक टूट जाती हैं । एक विद्यार्थी के जीवन में भी ऐसा प्रयास होना चाहिए - यदि उसे कुछ समझ न आये तो सवाल करे, सहमत न होने की स्थिति मंे चर्चा करे । कोई बात नापसंद हो तो उसे विनम्रतापूर्वक नकारें, लेकिन मौन रहकर आत्म निर्णय कर लेना तो एकदम गलत है । Read more » उपलब्धि प्रयास सफलता
पर्यावरण विविधा पर्यावरण की सुरक्षा – हमारा नैतिक कर्त्तव्य May 12, 2017 | Leave a Comment यदि कोई चाहकर भी वृ़क्षारोपण के कार्य में सहयोग न दे पाये तो कोई बात नहीं । वह कम से कम इतना सहयोग तो जरूर कर ही सकता है कि - हममें से हर कोई रेल और सडक मार्ग से यात्रा जरूर करता है । इन यात्राओं के दौरान खाये जाने वाले फलों के बीजों को इधर-उधर कचरे के रूप में न फेंककर यात्रा के दौरान ही सडक या रेल मार्ग के किनारे बिखेर दें । उन बिखेरे गये बीजों से कुछ नहीं तो यदि 10 प्रतिशत पौधे ही पनप जायें तो भी पर्यावरण संरक्षण की दिषा में उनका यह बहुत बडा योगदान होगा । Read more » environment protection पर्यावरण पर्यावरण की सुरक्षा
विविधा परस्पर संवादहीनता: घातक जहर May 9, 2017 | 1 Comment on परस्पर संवादहीनता: घातक जहर कुछ ही पलों में घटना के पक्ष या विपक्ष में व्हाट्सअप के सजे हुए मैसेज आंकडों सहित वाइरल होने लगते हैं । पता नहीं देखते देखते तमाम आंकडे लिये ये मैसेज इतनी जल्दी, कहॉं से और कैसे बनकर लोगों के पास आ जाते हैं और उसके प्रत्युत्तर में भी लाजवाब मैसेज दनादन घूमने लगते हैं । इसके बाद सिलसिला शुरू होता है एसएमएस और व्हाट्सअप के माध्यम से घटना के विभिन्न पहलुओं के पक्ष और विपक्ष मंे अपनी राय देकर वोट करने का । जागरूक जनता अपना सभी जरूरी कार्य छोडकर ऐसी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग को प्राथमिकता भी देती है । यही सिलसिला एक सप्ताह, पंद्रह दिन, और कई बार तो महीने भर से ज्यादा की ब्रेकिंग न्यूज का हिस्सा बनकर हमंे व्यस्त और तनावग्रस्त किये रहती है । Read more » communication gap viral messages परस्पर संवादहीनता
विविधा शिक्षा की अनिवार्यता May 5, 2017 / May 5, 2017 | Leave a Comment शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा प्रत्येक नागरिक की मूलभूत आवश्यकता है, जिसे समान नागरिक, समान अधिकार के तहत मुहैया कराने की दिशा में सरकार बेहतर शिक्षा, समुचित स्वास्थ्य एवं पूर्ण सुरक्षा प्रत्येक नागरिक को उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयासरत है । नागरिकों के सर्वांगीण विकास के लिये निर्धारित इन तीन अधिकारों में सर्वप्रमुख, सबसे आवश्यक […] Read more » शिक्षा की अनिवार्यता