कविता अकेलेपन की दुनिया में May 17, 2024 / May 17, 2024 | Leave a Comment अकेलेपन की दुनिया मेंआनंद नहीं होताअकेलेपन की दुनियाबिखर जाती है क्षण भर में हीअकेलेपन की दुनियाहमें चिंतन का स्वाद देता हैअकेलेपन की दुनियाचिर आनंद देता हैअकेलेपन की दुनिया मेंस्फूर्ति नहीं होतीअकेलेपन की दुनियामजबूत नहीं होतीटिकाऊ नहीं भी होती हैं-अकेलेपन की दुनियामाँजती हैहमारे भीतर के संघर्षऔर संस्कार को ।अकेलेपन की दुनियाबनाती भी हैऔर बिगाडती भी है […] Read more » in a world of loneliness अकेलेपन की दुनिया में
राजनीति कोराना की तीसरी लहर और हमारी समस्याएँ January 14, 2022 / January 14, 2022 | Leave a Comment कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो चुकी है। इस लहर से कौन प्रभावित होगा और कौन प्रभावित नहीं होगा ? इसकी कल्पना नहीं की जा सकती है। कारण यह कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के द्वारा विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ जो बैठक की गई है और उसमें जिस तरह चिंता व्यक्त की गई […] Read more » इंदिरा गांधी राष्ट्रीय नि:शक्तता पेंशन योजना इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना कोराना की तीसरी लहर बिहार निःशक्तता पेंशन योजना लक्ष्मी बाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना
कविता नए साल में January 4, 2022 / January 4, 2022 | Leave a Comment नए साल में बदलें हम अपने आपकोपूर्व के दोष- गुण–सोचें- समझें —तदनुरूप करें कार्य —जीवन को नई ऊर्जा से भरें–नई चेतना जगाएं–नए साल में बहुत- कुछ करने कासंकल्प लेना होगा–यह साल हर बार हमेंबहुत- कुछ सीखने को देगा।नए- नए अवसरनई-नई परिस्थितियाँजीवन के सुख-दुखहर्ष- विषादनए मार्गोंऔर नूतन लक्ष्यों कोसफलतापूर्वक पार करते हुएहमें जीवन- सत्य के साथ […] Read more » poem on new year नए साल में
कविता ओमिक्रोन December 27, 2021 / December 27, 2021 | Leave a Comment ओमिक्रोन के आने की खबरमिल चुकी हैविद्यालयों में बांटे जा रहे हैं मास्कमगर केवल एक- दोक्या इससे बच पायेंगे हमारे नौनिहाल ?लेकिन इन सब खबरों से भी बेखबर हैएक और तबकाजो अभी तक झुग्गी- झोपड़ियों में कैद हैशिक्षा से कोसों दूरउनके छोटे- छोटे बच्चे नंग- धड़ंगखुली सड़कों पर शरारत करतेकूदते- फांदते,बकड़ियाँ बाँधते- चरातेअपने -अपने काम […] Read more »
कविता शरीर का घाव July 25, 2021 / July 25, 2021 | Leave a Comment कितना कष्टकारी होता है—शरीर के हिस्से का घावजिसे होता हैवह इसका दर्द जानता है।दर्द असह्य होता हैतब चला- फिरा नहीं जाता ;तब मित्र बार-बार सलाह देंगे किफलाँ दवा ले लीजिए।किसी ने कहा- साइलेसिया- 200 मिलीग्रामकिसी ने फरमाया—सिफ्रान सीटी , पेरासिटामोल औरविटामिन सी एंड मल्टीविटामिन कैप्सूल लेना शुरू कर दें।पत्नी ने कहा—गर्म पानी से सेंक देती […] Read more » शरीर का घाव
कविता सुबह से शाम तक September 1, 2020 / September 1, 2020 | Leave a Comment सुबह से शाम तकसूर्य की रक्ताभ किरणेंफैली -पसरी रही धरा परजीवन का सुख- दुखहर क्षण हम आत्मसात करते रहेकेवल नहीं मिली हमें प्रेम कलिकाएं…वह प्रेमजिसको पाने के लिए भ्रमर दिन भर गुंजार करता हैचातक देखता रहता है चंद्रमा के आने की राह…वह प्रेम, जो नश्वर है सचमुचजो बिंथा है /बिंधा है स्वार्थ के सांसारिक डोर […] Read more » sunrise to sunset सुबह से शाम तक
लेख समाज हमारा मन आखिर क्या चाहता है ? August 17, 2020 / August 17, 2020 | Leave a Comment अक्सर जब मैं अकेला रहता हूं तो स्वभावत: मेरा मन नहीं लगता । मैं अपने आप से पूछता भी हूं कि आखिर मन क्यों नहीं लग रहा है ? किंतु सच्चाई यह है कि उसका उत्तर मुझे नहीं मिलता । उत्तर नहीं मिलने के कई कारण हैं! एक कारण तो यह है कि मैं इसके […] Read more » What does our mind want? मन आखिर क्या चाहता है हमारा मन आखिर क्या चाहता है ?
राजनीति आजादी का संघर्ष और कोविड-19 का खतरा August 16, 2020 / August 16, 2020 | Leave a Comment आज आजादी को हुए 50 साल से अधिक वर्ष बीत चुके हैं लेकिन सही मायने में हर एक स्तर पर आजादी हम लोगों को नहीं मिल पाई है। आजादी की आवश्यकता कई रूपों में है जैसे स्वतंत्र रोजी रोजगार की आजादी। स्वतंत्र विचारधारा और उपासना या धर्म के पालन करने की आजादी। जाति और धर्म […] Read more » The struggle for independence threat of covid-19 आजादी का संघर्ष
कविता हर सांस के साथ तुम हो ! August 2, 2020 / August 2, 2020 | Leave a Comment पंडित विनय कुमार हर सांस के साथ तुम होऔर तुम्हारी पीड़ा भी ।जो पीड़ा हवाओं मेंहर क्षण मौजूद दिख रही है।जिसका होना सुनिश्चित है इस धरा पर।जैसे होना जरूरी है हवाओं काजैसे होना जरूरी है बादलों काजैसे होना जरूरी है नदियों काजैसे होना जरूरी है सागर काजैसे होना जरूरी है सागर के खारे जल काजैसे […] Read more » हर सांस के साथ तुम हो
लेख गोस्वामी तुलसीदास August 2, 2020 / August 2, 2020 | Leave a Comment कवि- कुल- कमल- दिवाकर महाकवि श्रीमद् गोस्वामी तुलसीदास विरचित श्री रामचरितमानस हिंदी साहित्य का अनमोल ग्रंथ रत्न है। इस ग्रंथ का मूल मंत्र है- परोपकार।इस पवित्र ग्रंथ में धर्म , राजनीति , युद्ध, शांति और विश्व बंधुत्व के तत्व अनुस्यूत हैं। यह आध्यात्मिक शक्ति से आपूरित है । इसने मानव- जीवन को संवारने का अद्भुत […] Read more » गोस्वामी तुलसीदास
कविता जीवन है एक रंगमंच August 2, 2020 / August 2, 2020 | Leave a Comment पंडित विनय कुमारजीवन है सचमुचएक रंगमंच की तरहजिसका कोई आरंभ और अंत नहीं होताजो बार-बार मंचित होता है हमारी रगों मेंजो दौड़ता है खून की तरह लगातार…बिना वक्त गँवाये औरअंत में जीवन की साँस के साथसमाप्त हो जाती है !जीवन जो है एक रंगमंचहमारी विभिन्न जीवनगत परिस्थितियाँ हैंउसके कथानकसमय का पहिया घुमता रहता हैरंगमंच के […] Read more » जीवन है एक रंगमंच
कविता बहुत बुरा होता है सपनों का मर जाना…………… August 1, 2020 / August 2, 2020 | Leave a Comment पंडित विनय कुमार मैं जानता हूँ किबहुत बुरा होता हैसपनों का मर जाना-वे सपने, जो जन्मते हैंहमारे जन्म के साथऔर मरते हैं बार-बारविभिन्न परितस्थतियों में जब-तब,जब हम थक-हार जाते हैं,जब प्रकृतिपरिस्थितियों के सामनेहमारी एक नहीं चलती,जब हम प्रत्येक परिस्थितियों मेंअसहायअसफल और अकर्मण्य –से बने रहते हैं तब;जब हमारी चेतना निस्पंद होने लगती है;हमारी जिजिविषा जब […] Read more » बहुत बुरा होता है सपनों का मर जाना