आर्थिकी विविधा एक देश,एक टेक्स परिणाम भविष्य के गर्त में August 18, 2016 | Leave a Comment डाॅ. शशि तिवारी एक लंबे समय से लगातार इस बात पर चिन्तन चल रहा है कि भारत में एक कानून, एक झण्डा, एक भाषा, एक कर हो। काॅमन सिविल कोड पर बात आगे बढ़ गई है ये भी र्निविवाद रूप से सत्य है कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत एक है यह प्रश्न उठता है […] Read more » Featured gst एक टेक्स परिणाम एक देश
राजनीति आरक्षण क्यों और किसे March 27, 2015 | 8 Comments on आरक्षण क्यों और किसे यूं तो भारत का संविधान जाति, धर्म, लिंग, भाषा के आधार पर किसी भी वर्ग में भेद नहीं करता। लेकिन आज वो सब कुछ हो रहा है जो नही होना चाहिये मसलन जाति, धर्म लिंग भाषा के आधार पर ही हमारे चतुर नेता आदमी-आदमी के बीच महिला-महिला के बीच खाई बढ़ाने की पुरजोर कोशिश में […] Read more » आरक्षण आरक्षण और शिक्षा आरक्षण क्यों और किसे डाॅ. शशि तिवारी
विविधा एमपी अजब है, लोग गजब हैं February 5, 2014 / February 5, 2014 | Leave a Comment एमपी वाकई में कई मामलों में अजब-गजब हैं, अजब इस मामले में कि शिवराज के करिश्माई मार्गदर्शन में किन्तु-परन्तु के बीच विपक्ष को औंधे मुंह गिरा। तीसरी बार पहले से ज्यादा सुदृढ़ होकर उभरी हैं, दूसरा विकास दर, सूचना तकनीकी, पर्यटन,लोकसेवा गारंटी, लाड़ली लक्ष्मी एवं अन्य योजनाओं में न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी कई पुरस्कार भी अपनी झोली में डाले। एक बात तो निर्विवाद रूप से कटु सत्य है जो सभी को स्वीकार्य भी है कि ‘‘मध्य प्रदेश में विकास’’ तो हुआ है। तीसरा विपक्ष के मुंह को ऐसा सिला दिया कि विरोध के शब्द तक ठीक से नहीं फूट सकें, उलट तेजतर्रारों को अपनी ही पार्टी की सदस्यता दिला गाल पर तमाचा मारा सो अलग, रहा सवाल कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ताओं का तो उन्हें उन्हीं के सेना नायकों द्वारा कुचला जा रहा है। गजब इस मामले में कि यहां चपरासी से लेकर अधिकारियों, मंत्रियों की तो बात ही नहीं है। सभी करोड़पति हैं, बिना नाखून के लोकायुक्त की दाद देनी होगी जिसे सरकार भ्रष्टों के खिलाफ चालन की अनुमति नहीं दे रही है, फिर वह घड़ाधड़ छापामार कार्यवाही में जुटा हुआ है। यहां यक्ष प्रश्न उठता है कि कौन कहता है कि ‘‘मप्र गरीब हैं’’ दूसरा मंत्रियों एवं अधिकारियों के खिलाफ लोकायुक्त में केस दर्ज होने के बावजूद प्रमोशनों की बंदरबांट जारी है। तीसरा ईमानदार मर रहा है। भ्रष्ट फल फूल रहा है। चौथा केन्द्र एवं राज्य की विभिन्न संचालित विभिन्न योजनाओं के भ्रष्टाचार में अधिकारी मंत्रियों के लिए दुधारू गाय नहीं बल्कि भैंस बने हुए हैं जो काली कमाई से न केवल खुद मोटे हो रहे हैं, बल्कि कई भैंसाओं को भी पाल रहे हैं। पांचवां शिक्षा के मंदिर, भ्रष्ट, निकम्मे, नाकारा कुलपतियों की वजह से कलंकित हो रहे हैं। राजनीति भी गजब से अछूति नहीं है, यहां भी कई यक्ष प्रश्न उठ खड़े होते है, जैसे जब विपक्ष में है तो सुविधाओं का विलाप क्यों? जनसेवा के लिये आये हैं या सुख भोगने के लिए? जो सुविधाएं संविधान में ही नहीं है, उन्हें मांगना कहां तक उचित? फिर बात चाहे गाड़ी, बंगला, स्टाफ या अन्य ही क्यों न हो? परिपाटी या परम्परा नजीर नहीं हो सकती और न ही इसकी दुहाई देना चाहिए।जनसेवकों को एक बात कभी नहीं भूलना चाहिए वे जनता की सेवा के लिए राजनीति के माध्यम से आये है न कि शासक या अधिकारी। बल्कि होना तो यह चाहिए कि पक्ष या विपक्ष कोई भी सुविधाएं कम से कम वे ‘‘आम आदमी’’ ही लगे विशेष नहीं। होना तो यह भी चाहिए कि इनके वेतन भत्ते जो सरकारी खजाने से पाते हैं, के लिए कर्मचारियों की तरह ‘‘वेतन भत्ता के लिए आयोग’’ होना चाहिए। सुविधाएं केवल उधार का सिन्दूर है जो जनता के पैसे का है उस पर इतराना या अधिकार जताना कहां तक उचित हैं? जीतहमेशा पुरूषार्थ करने वालों की होती है भीख मांगने से नहीं? कुछ चीजें राजा रावण से भी सीखने की है फिर बात चाहे दृढ़ निश्चय, कठोरतप, तपस्या से अर्जित शक्तियों की हो, राजनीति की हो, अपने बन्धु-बांधव, कुटुम्ब को तारने की हो, तभी तो राजा राम ने रावण केअंतकाल में लक्ष्मण को शिक्षा लेने को कहा। विगत 10 वर्षों में विपक्ष केवल अपने कबीलाईयों के युद्वों में ही मशगूल रहा, उससे ऊपर ही नहीं उठा, जिससे जनता केमुद्दे गौण हो गए, जिसके परिणाम स्वरूप जनता से चुनाव की अग्नि परीक्षा में एक सिरे से नकार दिया। भाजपा को बात-बात पर कोसने वाला विपक्ष सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के मामले में सरकार की गोद में ही जा बैठी एवं […] Read more » Madhya Pradesh MP Shivraj Singh Chauhan एमपी अजब है लोग गजब हैं
धर्म-अध्यात्म अजब बाबाओं का गजब धर्मयुद्ध April 30, 2012 | 1 Comment on अजब बाबाओं का गजब धर्मयुद्ध डॉ. शशि तिवारी भारत प्रारंभ से ही साधु-संत फकीर, ऋषि मुनियों की भूमि रहा है! अध्यात्म-ज्ञान के क्षेत्र में भारत का पूरे विश्व में एक अलग ही स्थान है, फिर बात चाहे भगवान राम, कृष्ण महावीर ही क्यो न हो, पूरे विश्व में हर एक शांति की खोज में लगा हुआ है! निःसंदेह आत्मिक शांति […] Read more » अंधविश्वास
राजनीति न लोक ही बचा न तंत्र January 26, 2012 / January 26, 2012 | Leave a Comment डॉ. शशि तिवारी लोक का स्थान स्वयं ने ले लिया और तंत्र का स्थान परिवादवाद ने, बची-कुची कसर जातिवाद के तंत्र ने कर दी। बढ़ते लम्पट तंत्र एवं गिरते राजनीतिक तंत्र से कहीं न कहीं नुकसान गणतंत्र को अवश्य ही हुआ है। गुलाम भारत को स्वतंत्र कराने में जिन नेताओं ने अपनी जवानी न्यौछावर कर […] Read more » Democracy न लोक ही बचा न तंत्र
विश्ववार्ता ड्रैगन के बढ़ते कदम November 14, 2011 / December 3, 2011 | Leave a Comment डॉ. शशि तिवारी अविभाजित हिन्दुस्तान का कभी अभिन्न अंग रहा पाकिस्तान धर्म के आधार पर विभाजित हो कट्टरता के चलते आज स्वयं के ही बुने जाल में दिनों दिन सुलझने की जगह और उलझता ही जा रहा है। कभी आतंकियों को दूध पिला, कभी भाड़े के लोगों का उपयोग कर पड़ोसियों के घर में अशांति […] Read more » चीन ड्रैगन
राजनीति अन्ना की माला के बिखरते मोती October 31, 2011 / December 5, 2011 डॉ. शशि तिवारी जीवन के तट पर कर्मों की ऊर्जा की लहरों के निरंतर टकराहट से ही जीवन स्पंदित होता रहता है, क्रियाशील रहता है, कर्म ही जीवन की ऊर्जा एवं शक्ति है और जहां शक्ति होती है वहां कर्म होता है। नियंगित एवं दिशायुक्त शक्ति ही लक्ष्य को भेद सकती है। जरा सा भटकाव, […] Read more » Anna Hazare अन्ना की माला के बिखरते मोती
विविधा मिलावट के इस दौर में असली बचा न कोय October 15, 2011 / December 5, 2011 | Leave a Comment डॉ. शशि तिवारी व्यक्ति की पहचान पहले उसके नाम से बाद में उसके कार्यों से होती है। कार्यों के गुण-दोषों के ही आधार पर लम्बे समय के बाद उसकी छबि बनती एवं असावधानी से बिगड़ती भी रहती है। अर्थात् आदमी को हर पल सजग रहने की आवश्यकता रहती है। वही संस्थाओं की छवि उसकी विचारधारा […] Read more » sophistication मिलावट
हिंद स्वराज नौटंकी छोड काम करें October 9, 2011 / December 5, 2011 | 1 Comment on नौटंकी छोड काम करें डॉ. शशि तिवारी शरीर स्थूल होता है अतः इसमें होने वाली हर हल-चल, गतिविधि को आसानी से पकड़ा जा सकता है। शरीर प्रायः माता या पिता की ही झलक देता है, फिर वह चाहे हिन्दू हो या मुसलमान लेकिन मन थोड़ा बारीक, तरल, अस्थाई एवं चंचल होता है, जो पल-पल बदलता ही रहता है। मन […] Read more » terrorism आतंकवाद
लेख चिलमन को जलाता सूचना का अधिकार October 4, 2011 / October 4, 2011 | 3 Comments on चिलमन को जलाता सूचना का अधिकार डॉ. शशि तिवारी चिलमन न केवल कुरूपता को ढंकता है बल्कि रहस्यों को भी छिपाता है, जिसके परिणामस्वरूप उत्सुकता की प्यास भी और भी बढ़ती है। चिलमन अर्थात् पर्दा पारदर्शी या अपारदर्शी भी हो सकता है। पर्दा कभी भी हकीकत से रूबरू नहीं होने देता और राज, राज ही रहता है, कभी-कभी तो ये राज […] Read more » RTI सूचना का अधिकार
लेख पत्रकारों की बदलती दिशा और दशा September 29, 2011 / December 6, 2011 | 2 Comments on पत्रकारों की बदलती दिशा और दशा डॉ. शशि तिवारी शब्दों में वो ताकत होती है जो बन्दूक की गोली, तोप के गोले एवं तलवार में नहीं होती है। अस्त्र-शस्त्र से घायल व्यक्ति की सीमा शरीर होता है जो देर-सबेर ठीक हो ही जाता है लेकिन, शब्द से मानव की आत्मा घायल होती है, इस पीड़ा को जीवन-पर्यन्त तक नहीं भुलाया जा […] Read more » journalist पत्रकारों की बदलती दिशा और दशा
विविधा दादागिरी: मनमानी करने की September 3, 2011 / December 6, 2011 | Leave a Comment डॉ0 शशि तिवारी जिस देश में भ्रष्टाचार को ले ऐतिहासिक आन्दोलन चल रहा हो, केन्द्र सरकार की भद्द पिट रही हो, केन्द्र के मंत्री जनता से हठयोग, अभिमानयोग कर रहे हों, इसी बीच खेल मंत्री अजय माकन द्वारा प्रस्तुत ‘‘ राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक ’’ का अपने ही कबीने के वरिष्ठ मंत्रियों द्वारा औंधे मुँह […] Read more » Corruption भ्रष्टाचार