राजनीति साम्प्रदायिकता को मोदी विरोध तक केन्द्रित कर देने के खतरे October 4, 2011 / October 4, 2011 | 1 Comment on साम्प्रदायिकता को मोदी विरोध तक केन्द्रित कर देने के खतरे वीरेन्द्र जैन जब से श्री नरेन्द्र मोदी ने जय श्री राम कोयाद करने की जगह ‘गाड इस ग्रेट’ कहते हुए उपवास किया है तभी से उनके खिलाफ लेखों और टिप्पणियों की बाढ आ गयी है। उन्होंने अपनी परम प्रसन्नता में यह उपवास प्रदेश में सद्भावना के नाम पर तब किया जब 2002 में गुजरात में […] Read more » Narendra Modi साम्प्रदायिकता
लेख श्रीलाल शुक्ल और रागदरबारी September 29, 2011 / December 6, 2011 | 4 Comments on श्रीलाल शुक्ल और रागदरबारी वीरेन्द्र जैन इसमें कोई सन्देह नहीं कि हिन्दी व्यंग्य के भीष्मपितामह हरिशंकर परसाई ही माने जाते हैं किंतु गत शताब्दी के सातवें दशक में अपने व्यंग्य उपन्यास रागदरबारी के प्रकाशन के बाद श्रीलाल शुक्लजी ने अपनी कुर्सी परसाई जी के बगल में ही डलवा ली थी। यह बिल्कुल वैसा ही था जैसे कि मतभेद निराकरण […] Read more »
राजनीति भाजपा में विरासत की लड़ाई तेज हो रही है September 28, 2011 / December 6, 2011 | Leave a Comment वीरेन्द्र जैन भाजपा ने यह भ्रम फैलाया हुआ था कि वह एक अलग तरह की पार्टी है जिसे अंग्रेजी में ‘पार्टी विथ ए डिफ्रेंस’ कहा गया था। बाद में जैसे जैसे उसके झगड़े सड़क पर आते रहे थे तो अंग्रेजी अखबारों ने उसे ‘पार्टी विथ डिफ्रेंसिज’ कह कर मजाक उड़ाया था। प्रारम्भिक भ्रम यह भी […] Read more » Bhajpa भाजपा
राजनीति मोदी को जनता की ओर से उनके पत्र का उत्तर September 16, 2011 / December 6, 2011 | 13 Comments on मोदी को जनता की ओर से उनके पत्र का उत्तर वीरेन्द्र जैन प्रिय मोदीजी मुख्यमंत्री, गुजरात राज्य महोदय, आपका पत्र मिला। आपके ऊपर लगे आरोपों की सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को यह कहते हुए वापिस कर दिया है कि इसकी सुनवाई वहीं स्थानीय कोर्ट में ही होगी। इस फैसले से आप फूले नहीं समा रहे हैं, यहाँ तक कि आपने अन्ना हजारे […] Read more » Narendra Modi गुजरात नरेन्द्र मोदी साम्प्रदायिकता
राजनीति अडवाणीजी की रथयात्रा : बहुत देर कर दी मेहरबां आते-आते September 15, 2011 / December 6, 2011 | 5 Comments on अडवाणीजी की रथयात्रा : बहुत देर कर दी मेहरबां आते-आते वीरेन्द्र जैन वैसे तो अडवाणीजी पार्टी संगठन या सदन में किसी पद पर नहीं हैं, पर अटलजी को भुला दिये जाने, व मुरली मनोहर जोशी को हाशिये पर कर दिये जाने के बाद वे भाजपा के सुप्रीमो बन गये हैं। अध्यक्ष कोई भी बना रहे पर उनकी उपेक्षा करके भाजपा में कुछ भी नहीं हो […] Read more » advaniji अडवाणीजी की रथयात्रा
साहित्य अन्ना का आन्दोलन एक आकार लेता जा रहा है August 22, 2011 / December 7, 2011 | 4 Comments on अन्ना का आन्दोलन एक आकार लेता जा रहा है वीरेन्द्र जैन पिछले दिनों से विभिन्न सूचना माध्यमों और राजनीतिक व गैरराजनीतिक सम्वादों में अन्ना हजारे का आन्दोलन छाया रहा है। हमारा समाज अवतारवाद में विश्वास करने वाले लोगों का समाज है जो अपनी समस्याओं के हल किसी अतिमानवीय किस्म की शक्ति में देखते हैं और किसी विशिष्ट जन के अवतरण की प्रतीक्षा करते रहते […] Read more » Anna Hazare अन्ना हजारे
विविधा अन्ना हजारे के नाम खुला खत August 18, 2011 / December 7, 2011 | 9 Comments on अन्ना हजारे के नाम खुला खत आदरणीय हजारे जी सादर प्रणाम दरअसल यह खत आपकी टीम के नाम है जिनकी सलाह से आपके वक्तव्य सामने आते हैं, किंतु किसी भी संस्था को जब कोई पत्र दिया जाता है तो वह संस्था के प्रमुख को सम्बोधित किया जाता है जैसे कि ठेकों के टेंडर तक सम्बन्धित बाबू को नहीं अपितु राष्ट्रपति भारत […] Read more » Anna Hazare अन्ना हजारे
विविधा अपमान को पुनर्परिभाषित करने की जरूरत August 9, 2011 / December 7, 2011 | 4 Comments on अपमान को पुनर्परिभाषित करने की जरूरत वीरेन्द्र जैन यह परम्परा सी बन गयी है कि प्रति वर्ष स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के बाद हर क्षेत्र से दो एक समाचार ऐसे आते हैं जिनमें राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का समाचार होता है। यह अपमान शाम को झंडा न उतारने या झंडे को उल्टा फहराये जाने से सम्बन्धित होता है। इस खबर […] Read more » अपमान को पुनर्परिभाषित
राजनीति क्या येदुरप्पा की कुर्बानी से भाजपा के पाप धुल जायेंगे August 4, 2011 / December 7, 2011 | 5 Comments on क्या येदुरप्पा की कुर्बानी से भाजपा के पाप धुल जायेंगे वीरेन्द्र जैन श्री येदुरप्पाजी के जीवनवृत्त पर निगाह डालने के बाद उनके प्रति पहले श्रद्धा और फिर सहानिभूति ही पैदा होती है। पिछले दिनों पूरी दुनिया ने देखा कि कैसे लोकायुक्त की रिपोर्ट में वे दोषी पाये गये और उनकी पार्टी ने शरीर में पैदा हो गये गेंगरीन के जग जाहिर होते ही रोगग्रस्त अंग […] Read more » Karnatak कर्नाटक भाजपा येदियुरप्पा
साहित्य वे हिन्दुस्तानी के लेखक थे और पक्षधर भी July 30, 2011 / December 7, 2011 | 3 Comments on वे हिन्दुस्तानी के लेखक थे और पक्षधर भी प्रेमचन्द की जयंती पर वीरेन्द्र जैन जब समाज को बांटने वाली शक्तियां अपना काम कर रही होती हैं तो वे उसे कई स्तरों पर बांटती हैं। दूसरी ओर समाज को एकता के सूत्र में बांधने वाली शक्तियां उसे सभी स्तरों पर बंटने से रोकती हैं हमारे देश के संदर्भ में मुंशी प्रेमचन्द समाज को एकता […] Read more » Premchand प्रेमचन्द
लेख आज बैंक राष्ट्रीयकरण दिवस है July 19, 2011 / December 8, 2011 | Leave a Comment वीरेन्द्र जैन उन्नीस जुलाई वह तिथि है, जिसने वर्ष 1969 में न केवल राजनीति के क्षेत्र में अपितु आर्थिक, सामाजिक क्षेत्र में भी अपने निशान छोड़े है, यह वह दिन था जब देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने संसद में अपना बहुमत बनाने के लिए वामपंथी दलों से समर्थन प्राप्त करने हेतु 14 […] Read more » Bank Natinalism Day बैंक राष्ट्रीयकरण दिवस
विविधा आतंकी हमले और धर्मनिरपेक्ष समाज July 16, 2011 / December 8, 2011 | 13 Comments on आतंकी हमले और धर्मनिरपेक्ष समाज वीरेन्द्र जैन मुम्बई में हुए दुखद बम विस्फोटों पर संघ परिवारियों की बाछें खिल गयीं हैं, और उनके बयान वीरों ने ही नहीं अपितु इंटरनैटियों ने भी अपने अपने हिस्से की राजनीति खेलना शुरू कर दी। लाशों पर राजनीति करने वाले इन बयानबाजों ने गोयबल्स के सिद्धांत के अनुसार बहुत जोर शोर से वे कहानियां […] Read more » terrorism आतंकवाद धर्मनिरपेक्षता