विविधा वेलेंटाइन डे का सच February 12, 2011 / December 15, 2011 | 12 Comments on वेलेंटाइन डे का सच विजय कुमार बाजार भी बड़ी अजीब चीज है। यह किसी को भी धरती से आकाश या आकाश से धरती पर पहुंचा देता है। यह उसकी ही महिमा है कि भ्रष्टाचारी नेताओं को अखबार के पहले पृष्ठ पर और समाज सेवा में अपना जीवन गलाने वालों को अंदर के पृष्ठों पर स्थान मिलता है। बाजार के […] Read more » Valentine Day वेलेंटाइन
विविधा उत्साह और उल्लास का पर्व: वसंत पंचमी February 9, 2011 / December 15, 2011 | Leave a Comment विजय कुमार बसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। हर दिन नयी उमंग से सूर्योदय होता है और नयी चेतना प्रदान कर अगले दिन फिर आने का आश्वासन देकर चला जाता है। यों तो माघ का यह पूरा मास ही उत्साह देने […] Read more » Basant Panchami वसंत पंचमी
धर्म-अध्यात्म आगे देखने से परहेज February 4, 2011 / December 15, 2011 | 1 Comment on आगे देखने से परहेज विजय कुमार भारत में सेक्यूलर नाम की एक प्रजाति है, जिसके लोग अनेक राजनीतिक दलों और सामाजिक, सांस्कृतिक संस्थाओं में पाए जाते हैं। इन लोगों का मत है कि भारत में मुसलमानों की सामाजिक और आर्थिक दुर्दशा के लिए यहां के हिन्दू जिम्मेदार हैं। केन्द्र की सत्ता में बैठी मैडम कांग्रेस ने इसके लिए रंगनाथ […] Read more » आगे देखने से परहेज
विविधा राजपथ से रामपथ पर: आचार्य गिरिराज किशोर February 4, 2011 / December 15, 2011 | Leave a Comment विजय कुमार विश्व हिन्दू परिषद के मार्गदर्शक आचार्य गिरिराज किशोर का जीवन बहुआयामी है। उनका जन्म 4 फरवरी, 1920 को एटा, उ.प्र. के मिसौली गांव में श्री श्यामलाल एवं श्रीमती अयोध्यादेवी के घर में मंझले पुत्र के रूप में हुआ। हाथरस और अलीगढ़ के बाद उन्होंने आगरा से इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की। आगरा में […] Read more » Rajpath rampath आचार्य गिरिराज किशोर
संगीत देश राग के सर्वोत्तम स्वर: पंडित भीमसेन जोशी January 28, 2011 / January 28, 2011 | 2 Comments on देश राग के सर्वोत्तम स्वर: पंडित भीमसेन जोशी विजय कुमार 1985 में दूरदर्शन पर अनेक कलाकारों को मिलाकर बना कार्यक्रम‘देश-राग’ बहुत लोकप्रिय हुआ था। सुरेश माथुर द्वारा लिखित गीत के बोल थे,‘‘मिले सुर मेरा तुम्हारा, तो सुर बने हमारा।’’ उगते सूर्य की लालिमा, सागर के अनंत विस्तार और झरनों के कलकल निनाद के बीच जो धीर-गंभीर स्वर और चेहरा दूरदर्शन पर प्रकट होता […] Read more » पं. भीमसेन जोशी
प्रवक्ता न्यूज़ बंगाल की प्रथम शाखा के स्वयंसेवक: कालिदास बसु January 26, 2011 / December 16, 2011 | Leave a Comment विजय कुमार कोलकाता उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता तथा पूर्वोत्तर भारत में संघ कार्य के एक प्रमुख स्तम्भ श्री कालिदास बसु (काली दा) का जन्म 1924 ई0 की विजयादशमी पर फरीदपुर (वर्तमान बांग्लादेश) में हुआ था। 1939 में कक्षा नौ में पढ़ते समय उन्होंने पहली बार श्री बालासाहब देवरस का बौद्धिक सुना, जो उन दिनों […] Read more » West Bengal कालिदास बसु
राजनीति व्यंग्य वामपंथियों की उल्टी दुनिया January 17, 2011 / December 16, 2011 | 3 Comments on वामपंथियों की उल्टी दुनिया विजय कुमार अयोध्या प्रकरण पर सत्य के पक्ष में निर्णय आने पर कुछ दिन चुप रहकर अपनी आदत से मजबूर वामपंथी फिर वही उल्टा बाबरी राग गाने लगे। तब से मैं इनकी जन्मकुंडली का अध्ययन कर रहा हूं। बचपन में जब मेरा परिचय कम्यूनिस्ट शब्द से हुआ, तो मैं इन्हें पशु समझता था; पर फिर […] Read more » Left वामपंथ
विविधा व्यंग्य: गांधी जी का चश्मा January 11, 2011 / December 16, 2011 | 1 Comment on व्यंग्य: गांधी जी का चश्मा विजय कुमार जब समाचार पत्र अरबों-खरबों रुपये के घोटालों से भरे हों, तो एक चश्मे की चोरी कुछ अर्थ नहीं रखती। इसलिए इस पर किसी का ध्यान नहीं गया कि दिल्ली में अति सुरक्षित राष्ट्रपति निवास के पास स्थित ग्यारह मूर्ति से गांधी जी का चश्मा चोरी हो गया। यह दिल्ली का एक प्रसिद्ध स्थान […] Read more » Mahatma Gandhi महात्मा गांधी
राजनीति कांग्रेस का नया संविधान January 5, 2011 / December 18, 2011 | 2 Comments on कांग्रेस का नया संविधान विजय कुमार 25 साल में एक पीढ़ी बदल जाती है। पुरानी पीढ़ी वाले नयों को अनुशासनहीन मानते हैं, तो नये लोग पुरानों को मूर्ख। हजारों साल से यही होता आया है और आगे भी होता रहेगा। पर बात जब 25 की बजाय 125 तक पहुंच जाए, तो वह गंभीर हो जाती है। 125 साल में […] Read more » Congress कांग्रेस
विविधा अंग्रेजी नववर्ष का भारतीयकरण December 29, 2010 / December 18, 2011 | 3 Comments on अंग्रेजी नववर्ष का भारतीयकरण विजय कुमार कुछ दिन बाद फिर एक जनवरी आने वाली है। हर बार की तरह समाचार माध्यमों ने वातावरण बनाना प्रारम्भ कर दिया है। अतः 31 दिसम्बर की रात और एक जनवरी को दिन भर शोर-शराबा होगा, लोग एक दूसरे को बधाई लेंगे और देंगे। सरल मोबाइल संदेशों (एस.एम.एस) के आदान-प्रदान से मोबाइल कंपनियों की […] Read more » New Year नव वर्ष
व्यंग्य पैसे की भाषा December 25, 2010 / December 18, 2011 | Leave a Comment विजय कुमार इन दिनों शादी-विवाह का मौसम है। जिधर देखो उधर ‘आज मेरे यार की शादी है’ की धुन पर नाचते लोग मिल जाते हैं। कुछ लोगों को इस शोर या सड़क जाम होने से परेशानी होती है; पर वे यह सोच कर चुप रहते हैं कि अपनी जवानी में उन्होंने भी यही किया था। […] Read more » Money पैसे
व्यंग्य व्यंग्य: वर्तमान परिदृश्य December 24, 2010 / December 18, 2011 | Leave a Comment विजय कुमार बहुत पुरानी बात है। एक रानी के दरबार में राजा नामक एक मुंहलगा दरबारी था। रानी साहिबा मायके संबंधी किसी मजबूरी के चलते गद्दी पर बैठ नहीं सकीं। बेटा छोटा और अनुभवहीन था, इसलिए उन्होंने अपने एक विश्वासपात्र सरदार को ही गद्दी पर बैठा दिया। वे उस राज्य को महारानी की कृपा समझ […] Read more » vyangya व्यंग्य