मध्‍य प्रदेश में आयुर्वेद और शिवराज सरकार

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डॉ. मयंक चतुर्वेदी

भारत की ज्ञान परम्‍परा अद्भुत है, जिसने इस ज्ञान की थाह लेना चाही, वास्‍तव में वही कुछ पा सका है। विद्वानों ने ज्ञान प्राप्‍ति‍ के लिए जो सबसे अधिक आवश्‍यक बताया है वह है जिज्ञासा का होना और न सिर्फ इसका होना बल्‍कि समय-समय पर इसका प्रकटीकरण और उसे जिसके प्रति जिज्ञासा है, उसे जानने की चाह में लगातार प्रयत्‍नशील बने रहना अति आवश्‍यक है । भारत का बहुत सा प्राचीन ज्ञान आज भी पुन: अपनी खोज के लिए प्रतीक्षारत है, ऐसे में महत्‍वपूर्ण हो जाता है किसी सरकार का आगे आना और इस प्रकार की समस्‍त ज्ञान राशि की  खोज अपने संसाधनों के माध्‍यम से करवाकर उसे निस्‍वार्थभाव से जनता को समर्प‍ित कर देना । मध्‍य प्रदेश मे शिवराज सरकार इस दृष्टि से आयुर्वेद के क्षेत्र में जो नवाचार कर रही है, वास्‍तव में वह स्‍तुत्‍य हैं।

मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अनेक अवसरों पर सहज जीवन और सरल जीवन की बातें करते हुए नजर आते हैं। कैसे प्रत्‍येक मनुष्‍य का जीवन सुखमय और आनन्‍दमय बनाया जा सकता है, इसके लिए वे लगातार एक के बाद एक सकारात्‍मक प्रयास कर रहे हैं। जब आनन्‍द विभाग अस्‍तित्‍व में आया तब उनका विजन स्‍पष्‍ट था-नागरिकों की खुशहाली एवं परिपूर्ण जीवन के लिए आंतरिक तथा बाह्य सकुशलता आवश्‍यक है। सिर्फ भौतिक प्रगति व सुविधाओं से अनिवार्य रूप से प्रसन्‍न रहना संभव नहीं है। राज्‍य का पूर्ण विकास नागरिकों की मानसिक, शारीरिक एवं भावनात्‍मक उन्‍नति तथा प्रसन्‍नता से ही संभव है। अत: नागरिकों को ऐसी विधियां तथा उपकरण उपलब्‍ध कराने होंगे, जो उनके लिए आनंद का कारक बनें। इस उदद्देश्‍य से राज्‍य सरकार द्वारा आनंद संस्‍थान का गठन किया गया। जिसके कि आज उसके सुखद परिणाम राज्‍य में दिखाई देने लगे हैं।

वस्‍तुत: इसी प्रकार से हमने देखा कि कैसे कोरोना काल में भारतीय प्राचीन चिकित्‍सा पद्धति को मुख्‍यमंत्री शिवराज अपनी इच्‍छा शक्‍ति से चिकित्‍सा की मुख्‍यधारा में लाने में सफल रहे। कल तक जिस एलोपैथी के भरोसे ही बहुतायत में चला जा रहा था, शिवराज सरकार ने आम जनता को बताया कि आप वैकल्‍पिक चिकित्‍सा, आयुर्वेद, युनानी, होम्‍योपैथी चिकित्‍सा के माध्‍यम से भी अपने को स्‍वस्‍थ्‍य बनाए रख सकते हैं। कोरोना से प्रभावित मध्य प्रदेश में लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार ने जीवन अमृत योजना शुरू की। योजना के अंतर्गत आयुष विभाग के सहयोग से मध्‍य प्रदेश लघु वनोपज संघ द्वारा काढ़े के पैकेट्स तैयार किए गए और ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में एक करोड़ से अधि‍क लोगों को ये निशुल्‍क वितरित किया गया।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तत्‍कालीन समय में कहा भी कि हम ऐसे प्रयास करें, जिससे कोरोना हो ही नहीं। और ऐसा हुआ भी। मध्‍य प्रदेश की जनता ने अपनी अपने सीएम के कहे अनुसार इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर दिया। देखा जाए तो इसका ही परिणाम था कि कोरोना के महाभंयकर काल में जितनी जनहानि संभावित थी, उसकी तुलना में बहुत कम जनहानि राज्‍य में हुई। आगे राज्‍य में आयुष को बढ़ावा देने और उसे रोजगार से जोड़ने के लिए सरकार ने ”देवारण्य” योजना बनाई । इसके लिए मुख्‍यमंत्री शिवराज का कहना यही रहा है कि अधिक से अधिक लोगों को आयुर्वेद के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ मिले और प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को रोजगार उपलब्‍ध हो सके। हमारे जंगलों में जहां औषधियों का खजाना है, वहीं जनजातीय बन्‍धु इनका महत्व और उपयोग समझते हैं। हमें एक ओर इस औषधियों के खजाने को बचाना है वहीं जनजातीय वर्ग के इस पारंपरिक ज्ञान को आगे बढ़ाकर लोगों तक इसका फायदा पहुंचाना है।

वस्‍तुत: मध्‍य प्रदेश में देवारण्य योजना के माध्यम से आयुष औषधियों के उत्पादन की एक पूरी वैल्यू चेन का विकास किया गया है।  इस काम में स्व-सहायता समूहों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। अनेक विभाग मिलकर मिशन मोड में काम कर रहे हैं। मुख्‍यमंत्री शिवराज के प्रयास आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए यहीं नहीं रुकते वे इसके आगे बढ़कर मध्य प्रदेश में वेलनेस टूरिज्म की बात करते हैं । उसे हकीकत में बदलने के लिए और संपूर्णता से बढ़ावा देने के लिए आगे आते हैं। वे कहते भी हैं कि इसके लिए गांवों की सुंदर वादियों में औषधीय पौधों की खेती की जा रही है । आयुष एवं पर्यटन को साथ-साथ लाया गया है ।  

राज्‍य में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए आयुष सुपर स्पेशिलिटी अस्पतालों का निर्माण हो रहा है। प्रदेश में अब तक अनेक नए आयुष हेल्थ और वेलनेस सेंटर्स स्‍थापित हुए हैं और आयुर्वेदिक और यूनानी औषधालयों का उन्नयन किया जा रहा है।  इसके साथ ही आयुर्वेद के सर्वांगीण विकास के लिये राज्य टॉस्क-फोर्स का गठन किया गया है। सरकार ने  ”वैद्य आपके द्वार योजना” आरंभ की है ।  आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सक टेलीमेडिसिन के जरिये मरीजों की मदद कर रहे हैं। वीडियो कॉल के जरिये काउंसलिंग करने के साथ परामर्श  दिया जा रहा है। आयुषक्योर मोबाइल ऐप के माध्यम से लोगों को घर बैठे आयुष चिकित्सक की सेवाएं मिल रही हैं। मुख्‍यमंत्री शिवराज कह भी रहे हैं कि हमने हर जिला चिकित्सालय में आयुर्वेद के माध्यम से चिकित्सा की व्यवस्था कर दी है। हमने तय किया है कि मध्यप्रदेश के सभी जिला चिकित्सालयों में आयुष विभाग अलग से स्थापित कर उसमें आयुर्वेदिक चिकित्सा की व्यवस्था की जाए। इसकी शुरुआत की जा रही है। इसमें पंचकर्म जैसे चिकित्सकीय उपाय भी शामिल कर दिए हैं।

अब शिवराज सरकार ने राजधानी भोपाल के पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेदिक संस्थान में देश का पहला पंचकर्म सेंटर खोलकर यह सिद्ध कर दिया है कि वह आयुर्वेद चिकित्‍सा के समग्र विकास के लिए समर्प‍ित है। वस्‍तुत: देश का यह पहला पंचकर्म सेंटर अपने आप में इसलिए भी खास है क्‍योंकि इसमें फाईव स्टार होटल जैसी फैसिलिटी उपलब्ध हैं। केरल के थैरेपिस्ट पंचकर्म का कार्य में लगाए गए हैं । पहाड़ी पर बने होने से प्रकृति की सामीप्‍यता हरियाली और डेम की नजदीकता से जलतरंगों का आनन्‍द मरीजों को सहज रूप से यहां उपलब्‍ध है।

निश्‍चित तौर पर इस प्रयास के लिए कहा जा सकता है कि इससे न सिर्फ मध्‍य प्रदेश मे आयुर्वेद के प्रति लोगों की जिज्ञासा बढ़ेगी बल्‍कि इससे देश के अन्‍य राज्‍य भी अपने यहां कुछ नया करने के लिए प्रेरित होंगे। अंत में यही कि शिवराज सरकार को उसके आयुर्वेद को बढ़ावा देनेवाले प्रयासों के लिए बहुत साधुवाद है।

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