भारत : बलोचिस्तान के लोगों के हित में आवाज़ उठायें

कूटनीति के क्षेत्र में भारतीय नेतृत्व द्वारा की गई अनेक भूलों में से एक भूल है बलोचिस्तान| यदि समय रहते हमने बलोचिस्तान की मदद की होती और 26 मार्च 48 को पाकिस्तान को इस स्वतंत्र तथा संप्रभु राष्ट्र को हथियाने से रोक दिया होता तो हम दक्षिण एशिया में कहीं अधिक मजबूती से खड़े होते तथा आज हमारी आर्थिक व् सामरिक स्थिति बेहतर होती| जिन्ना से लेकर आज तक पाकिस्तान में जो भी नेतृत्व की कमी रही उसका सर्वाधिक असर बलोचिस्तान को ही सहना पड़ा| 1 अप्रैल 1948 से यानि जब से पाक ने बलोचिस्तान को फौजी कार्यवाही करके कब्जाया तभी से बलोचिस्तान में मानवता को शर्मसार कर देने वाला शोषण बदस्तूर जारी है| पिछले 10 वर्षों में 30 हजार से ज्यादा बच्चे, महिलाएं और पुरुष लापता हो चुके हैं। पाकिस्तानी सेना ने 20000 से अधिक लोगों को अवैध रूप से जेलबंद किया हुया है| सेना द्वारा हर दिन अनेक लोगों को मार कर उनकी क्षत विक्षत शरीरों को इधर उधर फेंक दिया जाता है|बलोचिस्तान पाकिस्तान की कुल भूमि 44 है तथा इसकी आबादी पाकिस्तान की कुल आबादी का 7 प्रतिशत यानि 1.3 करोड़ है| बलोचिस्तान में प्राकृतिक संपदा जैसे सोना, तांबा व गैस के अकूत स्रोत हैं और पाकिस्तान चीन के साथ मिलकर इसका दोहन कर रहा हैं| इसके दोहन से अधिक लाभ के लिए चीन ने इस क्षेत्र में CPEC सड़क मार्ग बनाया हैं| इस कॉरिडोर से जहाँ एक ओर चीन बलोचिस्तान की अकूत प्राकृतिकसंपदा का दोहन कर सकता है वहीं सामरिक दृष्टि से भारत की उत्तरी तथा पश्चिमी सीमा पर भी अपनी सैन्य उपस्थिती बनाये रख सकता है जो भारत के लिए बड़ा खतरा है| इस मार्ग के प्रयोग से चीन लगभग पूरे दक्षिण व् पश्चिम एशिया में समुद्र के प्रयोग के बिना सड़क मार्ग के प्रयोग से संपर्क साध सकता हैं और व्यापार कर सकता है| इस मार्ग से वो ईरान और अफगानिस्तान की सीमा पर अपनी सेना को तैनात कर सकता है|वस्तुतः अपनी सामरिक तथा आर्थिक महत्ता के कारण बलोचिस्तान के समाज को गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है|

भारत का कर्त्तव्य बनता हैं कि वह बलोचिस्तान के लोगों के हित में आवाज़ उठायें| भारत विश्व की उभरती हुई सबसे प्रमुख शक्ति हैं अतः उसे जहाँ कहीं भी मानवाधिकारों का हनन होता दिखायी दे वहां तथा साम्राज्यवादी शक्तियों के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद करनी चाहिए|

15 अगस्त 16 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से आवाज़ बुलंद करके ये स्पष्ट सन्देश दे दिया है कि भारत बलोचिस्तान की संप्रभुता और मानव अधिकारों की रक्षा के पक्ष में है| इसके बाद पाकिस्तान व चीन की बैचेनी अपने चरम पर है तथा वे हर प्रकार से भारत को उलझा कर उसका मनोबल तोड़ने पर उतारू है|

सरकार के साथ-साथ भारत के नागरिकों का भी कर्तव्य बनता है कि बलोच समाज के हितों की रक्षा करें|बलोचिस्तान से हमारे सम्बन्ध बहुत पुराने तथा करीबी हैं| हमारे अनेक मराठा परिवार वहाँ के समाज का हिस्सा है और लगभग 5 लाख बलोच भारत मैं रहते है| यदि बलोचिस्तान आज़ाद होता है तो बलोचों के बाद यह स्थान भारतीयों का दूसरा घर होगा तथा दोनों समाजों की आर्थिक उन्नति के लिए भी असंख्य रास्ते खुल जायेंगे |

“हिन्द बलोच फोरम” ऐसी ही एक नागरिक पहल है | इसके निर्देशक मंडल में स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती, बलोच नेता प्रो. नायला कादरी बलोच, कर्नल आर. एस. एन. सिंह, वरिष्ठ पत्रकार श्री पुष्पेन्द्र जी शामिल हैं | श्रीगुरु पवन सिन्हा इसके अध्यक्ष हैं | श्री गोविन्द जी संयोजक, श्री विनय तिवारी जी महासचिव हैं| श्री अंकित तथा श्रीमती रेशमा सिंह इसकी कार्यकारिणी के प्रमुख सदस्य हैं | ‘फोरम’ की लगातार हो रही बैठको में मिलने वाले समर्थन तथा बलोच समाज के इस ‘फोरम’ से लगातार जुड़ने के कारण पाकिस्तान बुरी तरह बौखलाने लगा है| पाकिस्तान मीडिया इसे भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान को तोड़ने का षड्यंत्र करार देने लगा है| स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती जी, श्रीगुरु पवन सिन्हा व कुलभूषण जाधव के नाम इस प्रकार उछाले जा रहे हैं जैसे ये बलोचिस्तान में उपद्रव करा के पाकिस्तान तोड़ने का प्रयास कर रहें है|

पाकिस्तान कितना भी क्यों न बौखलाये परन्तु भारत के नागरिकों की ये पहल अर्थात “हिन्द बलोच फोरम” अपना कार्य शांति पूर्वक करती रहेगी एवं बलोच समाज के मानव अधिकारों एवं संप्रभुता के मुद्दों को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय तक लेकर जाएगी|

7 अगस्त 17 को प्रो. नायला कादरी नेतृत्व में बलोच बहनें, ‘हिन्द बलोच फोरम’ के पदाधिकारियों तथा भारतीय नागरिकों को राखी बांधकर सभी भारतियों से बलोच समुदाय के लिए सहायता मांगने आ रहीं हैं | यह कार्यक्रम कांस्टिट्यूशन क्लब के उपसभापति हॉल में प्रातः 11 बजे से होगा| ‘हिन्द बलोच फोरम’ ने इन बहनों को मिलवाने के लिए प्रधानमंत्री जी से भी समय माँगा है|
इस कार्यक्रम के उपरांत भोपाल, लखनऊ, गाज़ियाबाद, जम्मू एवं काश्मीर में भी बलोच समाज के लिए जागरूकता सभाएं आयोजित की जा रही हैं जिससे भारतियों को एक ओर पाक-चीन के खतरनाक इरादों के बारे में समझाया जा सके तथा दूसरी और बलोच समुदाय के लिए सहायता व स्नेह एकत्र किया जा सके |

आज पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था आतंकवाद, ड्रग्स और चीन पर निर्भर होकर रह गयी है| पाकिस्तान के हरे रंग के नीचे चीन का लाल रंग हर क्षेत्र में दिखने लगा है| इसका सीधा असर भारत भी पडा है अतः भारत की सरकार और नागरिकों को एकजुट होकर भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा करनी होगी|

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