तेरे दर पै आया हूँ राधा, सुन लो मेरी अरदास
बार बार मोहि दीजिये, बरसाने को वास (श्री चरनों में वास)|
जब जब मै कोई जनम है पाऊं, बरसाने में ही मै आऊ- 2
नितदिन तेरे दर्शन करके, तेरी ही महिमा गाउ
तेरे भजनों से मिट जाये-2, मेरी जनम जनम की प्यास
बार बार मोहि………….
चाहे मानव जनम मिले, या मिले कोई पशु-पक्षी का -2
चाहे किट-पतंगा बनू , या धुल बनू बृज मंडल का
(या धुल बनू तेरे चरणों का)
उड़ उड़ लिपट् तेरे मुखड़े से-2, हरदम रहू तेरे पास
बार बार मोहि………….
मोर-पपीहा मृग बनकर, वर्षाने में ही भ्रमण करू -2
मधुर-मधुर अपनी बोली से, तेरा ही पल-पल गान करू
एसी कृपा हो जाये -2, हो सब पापो का नाश
(मेरी पुरी हो अरदास)
बार बार मोहि………….
नन्दों भईया चरणों का चेरा, राकेश ने है तुमको हेरा -2
डोर हमारी बंधी रहे, श्याम-सुन्दर के साथ
अपने भक्तो को मैया-2, करती नहीं कभी निराश
बार बार मोहि………….