भारत खो गया-भारत मिल गया

LEAD Technologies Inc. V1.01राकेश कुमार आर्य

15 अगस्त 1947 को जब स्वतंत्र हुआ तो उससे पूर्व 14 अगस्त को भारत का विभाजन हो चुका था, और पाकिस्तान नाम का एक नया देश विश्व मानचित्र पर उभर आया था। भारत से प्रेम करने वाले लोगों को देश का यह विभाजन बहुत ही कष्टकर प्रतीत हुआ। इस कष्ट को मिटाने के लिए हमारे इतिहास के साथ गंभीर छेड़छाड़ की गयी, जिसके परिणामस्वरूप हम अपने आर्यावत्र्तकालीन वास्तविक भारत से काट दिये गये। इस आजादी का सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण पक्ष यही है कि आजादी के 70वें स्वाधीनता दिवस के आ जाने तक भी हमें अपने आर्यावत्र्तकालीन वास्तविक भारत के गौरवबोध से वंचित रखा गया है।

हमें महर्षि मनु महाराज ने आर्यावत्र्त का चित्र बनाकर दिया है, जिसे विश्व के अधिकांश विद्वानों ने सही माना है। इस चित्र के अनुसार आर्यावत्र्त आज के भूमध्यसागर तक फैला हुआ था। इस प्रकार भूमध्यसागर से इस ओर के सभी देश आर्यावत्र्त के अंतर्गत आते थे। इस अभिप्राय यह हुआ कि आज का ईरान, इराक, तर्की, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, जार्जिया, रूस, चीन सहित तिब्बत, नेपाल, बर्मा, जावा, सुमात्रा, बोर्नियो, कंबोडिया, इंडोनेशिया इत्यादि देश कभी हमारे ही भाग हुआ करते थे। हम आज तक पाकिस्तान के अलग बन जाने के दर्द को तो अनुभव करते हैं-परंतु इतने सारे देशों के अलग होने की दर्दभरी कहानी को हम अनुभव नही करते। क्या कारण है-क्या हमें इतिहास बोध नही है? या हमें इतिहासबोध होने नही दिया गया है। भारत को खोजना था और भारत को खोजने के लिए-उसे पूर्णता में प्राप्त करने के लिए ही हमने अपना संघर्ष जारी किया था। पर जब हमें आजादी मिली तो हमारा वास्तविक भारत हमसे खो गया और वह भारत हमें मिल गया जिसके बारे में हम आज तक कुछ नही जानते।

जानते हैं, , शक, चीन (छोटा), यवन कांबोज, तुषार (तुखार), पारद, पल्लव, बर्बर (ईरान का भाग), दार्व (=दारी, ईरान की जाति) दरद, गांधार, किरात, द्राविड़ (=द्रमिड़=तामिल), शबर (भिल्ल,=भील?), उशीनर, आरट्ट, उष्ट्र, मद्रक, गुर्जर, पुलिंद, आंध्र, कलिंद, किष्किंधक (वानर), कोलिसर्प (कोल), सिंहल, नीरग, काच आदि इन सब जातियों के पूर्वज ब्राह्मण और क्षत्रिय थे। ये सारी की सारी जातियां आज भी कभी के आर्यावत्र्त के उपरोक्त देशों में आज भी फैली पड़ी हैं। ये सारी जातियां संस्कृत बोलती थीं और आर्यावत्र्त के अपना देश मानती थीं। कभी इनके भीतर भी इस संपूर्ण आर्यावत्र्त को अपना देश कहकर इसके लिए सिर झुकाने में गर्व की अनुभूति हुआ करती थी। परंतु मजहब नाम के एक शत्रु ने इनके भीतर पैर पसारने आरंभ किये और वह राक्षस भीतर ही भीतर इतना पल गया कि भारत मां को अनचाहे कई बार अपना विभाजन होते देखना पड़ा। इतिहास की इस दर्द भरी कहानी को समझकर ही वीर सावरकर इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि-”धर्मांतरण से मर्मांतरण और मर्मांतरण से राष्ट्रांतरण होता है।” सावरकरजी का यह सूत्रवाक्य आर्यावत्र्त के इतिहास के पन्नों में छिपे दर्द की कहानी को वर्णित कर सकता था, परंतु लेखनी का सौदा करने वाले चाटुकार इतिहास लेखकों ने हमें ना तो सावरकर जी के इस कथन के मर्म को ही समझने दिया और ना ही भारत की खोज के कार्य को संपन्न होने दिया। फलस्वरूप आज की पीढ़ी 14 अगस्त 1947 को जन्मे पाकिस्तान को ही भारत का अंतिम विभाजन मानती है। उसे नही पता कि 1904 तक नेपाल इसी देश का एक अंग था, 1912 तक श्रीलंका इसी देश का एक अंग था, 1936 तक बर्मा इसी देश का एक अंग था, 1876 का अफगानिस्तान इसी देश का एक भाग था। इसी प्रकार पिछले 1250 वर्ष के इतिहास को खोजते हैं तो इस श्रंखला में इराक, तर्की और उपरोक्त लिखित अन्य बहुत से देश भी सम्मिलित हो जाते हैं। कौन लिखेगा और कौन खोजेगा इन देशों के हमसे अलग होने की तिथियों को?

मिस्र के लोग आज तक मेनेस अर्थात मनु को अपना पूर्वज मानते हैं, वह उसे अपना पहला राजा भी मानते हैं। सुमेर आदि में हिरण्यकशिपु, प्रहलाद, विरोचन और बलि का राज्य था। रक्षाबंधन के समय वहां पर आज भी संस्कृत के पुराने श्लोक पढ़े जाते है। असुर देश अर्थात असीरिया का एक राजा सारागोन था। जो कि स्पष्टत: इक्ष्वाकु कुल के सगर राजा के नाम का अपभ्रंश है। ईरान में कभी सुग्धी, पारसी, पल्लव आदि अवांतर जातियां थीं जो भारत की प्राचीन क्षत्रिय जातियों की परंपरा में थीं। ईरान का पहला राजा यिम विवध्वन्त अथवा यम वैवस्वत था। जो कि वैवस्वत मनु का भाई था।

यहूदी जाति पहले मिस्र में रहती थी। मूसा इनका प्रमुख पुरूष था। वह ज्ञान विज्ञान में निपुण था। कुछ कारणों से बाद में ये लोग सीरिया में आकर बस गये। मूसा का वृतांत पुरानी बाईबिल में है, जिसमें सारा अध्याय ब्राह्मण ग्रंथों का अनुवाद मात्र है। जिसे पढऩे से स्पष्ट होता है कि सृष्टि उत्पत्ति के प्रकरण को लेकर वेद, ब्राह्मण ग्रंथ और भारतीय संस्कृति की बातों को ही दोहरा दिया गया है। वेद में इलिबिश नामक एक अंतरिक्षस्थ असुर वर्णित है। बाईबिल में इसको इबलीस कहकर पुकारा गया। वेद में यह्व शब्द का अर्थ ‘महान’ से लिया गया है। जबकि बाईबिल में इसे जिह्वा कहा गया है। मनु महाराज के यम-नियम के दस उपांगों को मूसा ने दस उपदेश कहकर लोगों के सामने प्रस्तुत किया-इस सारी बातें स्पष्ट कर रही हैं कि हमारा इतिहास क्या था और हम क्या थे?

यवन कभी यूनानी लोगों के लिए कहा जाता था। यह भी एक शुद्घ संस्कृत का शब्द है। शक लोग कभी महाराज सगर के राज्य में उपद्रव करने के कारण दंड के पात्र बने थे। उन लोगों के आर्य संस्कार निम्न थे, इसलिए उनका कार्य व्यवहार और व्यापार भी प्रशंसनीय नही था। यह भारत की प्राचीन परंपरा है कि दुष्ट और राक्षस प्रवृत्ति के लोगों से दूरी बनाकर रहा जाए, इसके लिए राजा कई बार ऐसे लोगों को दूर देशों में बसाने के लिए देश निकाला भी दे दिया करता था, जिससे कि जन सामान्य के जीवन को ये लोग इसी प्रकार से कष्ट न दे सकें। देश निकाले की यह परंपरा हमारे यहां पर कथा कहानियों में बहुत सुनी जाती है। इसका बार-बार का उल्लेख होना यह बताता है कि कभी दंड की यह परंपरा बड़ी कठोरता से व्यवहार में पालन भी की जाती रही होगी। ऐसी परिस्थितियों में शक जाति के लोगों को भारत में हेय दृष्टि से देखा जाता रहा था, और उन्हें दूर रखने में ही भला समझा जाता था। बाद में ये लोग सक्षम होकर भारत की ओर आक्रामक के रूप में आये, तो हमने उनका विरोध किया। हमने चीन को बौद्घिक ज्ञान और राजनीतिक नेतृत्व दिया, स्वर्ण भी, कंबोज (कंबोडिया) श्री विजय (सुमात्रा), यवद्वीप (जावा) बोर्नियो (वराहउपद्वीप) बाली आदि सीधे-सीधे संस्कृत नाम हैं, जो हमारे अतीत के उज्ज्वल पृष्ठों के स्मारक हैं।

आज जब हम अपना 70वां स्वाधीनता दिवस मना रहे हैं तो पाकिस्तान के अलग हो जाने की कहानी को लेकर दुख प्रकट करने की आवश्यकता नही है, अपितु आज अपने आपको खोजने की आवश्यकता है, आज के दिन में हमें जो भारत मिला था, वह भारत हमें उस भारत को खोजने के लिए मिला था, जो हमसे कहीं खो गया था। हम उसी खोये हुए भारत को पाने के संकल्प से अपने आपको ऊर्जान्वित करें, और इस दिवस को एक संकल्प दिवस के रूप में मनायें, सचमुच आनंदानुभूति और गौरवानुभूति होगी।

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,715 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress