Category: शख्सियत

प्रसिद्ध व्यक्तित्व का परिचय

शख्सियत समाज

जयप्रकाश नारायण और नानाजी देशमुख – एक तुलनात्मक विश्लेषण

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नानाजी अक्सर राजा राम की तुलना में वनवासी राम की अधिक प्रशंसा करते थे । उनका कहना था कि राजा के रूप में राम इसलिए अधिक सफल हुए, क्योंकि उन्होंने वन में रहते हुए गरीबी को जाना, समझा | इसीलिए नानाजी ने भी राजनीति से विराम लेकर गरीब वर्गों के उत्थान के लिए अपना जीवन खपाने का निर्णय लिया । दीन दयाल शोध संस्थान भी बनाया तो चित्रकूट में, जहाँ वनवास के दौरान भगवान राम ने अपना समय व्यतीत किया । अपने चित्रकूट प्रवास के दौरान नानाजी ने वहां के पिछड़ेपन, अशिक्षा और अंधविश्वास में डूबी जनता का मूक रुदन अनुभव किया ।

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राजनीति शख्सियत

ईमानदार और साफसुथरी छवि वाले: लालबहादुर ‘शास्त्री’

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मत है कि शास्त्रीजी की मृत्यु हार्ट अटैक से नहीं बल्कि जहर देने से ही हुई। पहली इन्क्वायरी राज नारायण ने करवायी थी, जो बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गयी ऐसा बताया गया। इण्डियन पार्लियामेण्ट्री लाइब्रेरी में आज उसका कोई रिकार्ड ही मौजूद नहीं है। यह भी आरोप लगाया गया कि शास्त्रीजी का पोस्ट मार्टम भी नहीं हुआ। 2009 में जब यह सवाल उठाया गया तो भारत सरकार की ओर से यह जबाव दिया गया कि शास्त्रीजी के प्राइवेट डॉक्टर आर०एन०चुघ और कुछ रूस के कुछ डॉक्टरों ने मिलकर उनकी मौत की जाँच तो की थी परन्तु

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शख्सियत समाज

कलियुग के अग्रदूत – महाराजा अग्रसेन 

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महाराजा अग्रसेन एक इतिहास पुरुष थे, वह पिता बल्लभसेन के एक सच्चे अग्र आर्य पुत्र थे। महाभारत काल के दौरान हुई हिंसा में समाप्त हो रही आर्य अग्र वैश्य जाति की दयनीय स्थिति को देख विचलित हो उठे, क्योंकि महाभारत के युद्ध में लगे पैसे से व्यापारी वर्ग प्रायः समाप्त हो चला था। चारों ओर पैसे के अभाव में गरीबी, भुखमरी, लड़ाई-झगड़े, अशांति का माहौल पैर पसार रहा था। इस बात को उन्होंने विचारा और संकल्प किया कि पुनः इस खोयी हुई गरिमा को वापिस लाकर ही दम लूँगा। पिता बल्लभसेन तो पांडवों के साथ लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गए थे|

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