कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म लेख वर्त-त्यौहार अपने पूर्वजों को जल देने का भारतीय विधान सिर्फ कर्मकांड नहीं, विज्ञान भी ! September 17, 2024 / September 17, 2024 by मयंक चतुर्वेदी | Leave a Comment – डॉ. मयंक चतुर्वेदी भारतीय ऋषियों ने अपने किए गए तमाम शोधों में से एक अनुसंधान देह की समाप्ति (मृत्यु) के बाद के दूसरे संसार पर भी किया है, जिसे हम आत्माओं का घर भी कहते हैं। जिस प्रकार मनुष्य अनेकानेक जीवाणुओं और विषाणुओं को अपनी खुली आंखों से देख नहीं सकता, किंतु उनका अस्तित्व […] Read more »
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म लेख वर्त-त्यौहार विघ्नहर्ता, शुभकर्ता गणेशजी बहुआयामी देवता हैं September 7, 2024 / September 7, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment गणेश चतुर्थी – 7 सितम्बर, 2024 पर विशेष -ललित गर्ग- गणेश भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। प्राचीन काल से हिन्दू समाज कोई भी कार्य निर्विघ्न सम्पन्न करने के लिए उसका प्रारम्भ गणपति की पूजा से ही करता आ रहा है। प्रतिकूल, अशुभ, अज्ञान एवं दुःख से परेशान मनुष्य के लिये गणेश ही तारणहार है। […] Read more » Ganesha is a multidimensional deity. गणेश चतुर्थी - 7 सितम्बर
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म लेख वर्त-त्यौहार श्रीकृष्ण हैं सृष्टि के महानायक एवं मैंनेजमेंट गुरु August 22, 2024 / August 22, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव-जन्माष्टमी- 26 अगस्त 2024 पर विशेष-ललित गर्ग –भगवान श्रीकृष्ण हमारी संस्कृति के एक अद्भुत एवं विलक्षण महानायक एवं मैंनेजमेंट गुरु हैं। श्रीकृष्ण का चरित्र एक प्रभावी एवं सफल मैंनेजमेंट गुरु वाले लोकनायक का चरित्र है। वह द्वारिका के शासक भी है किंतु कभी उन्हंे राजा श्रीकृष्ण के रूप में संबोधित नहीं किया जाता। […] Read more » Shri Krishna is the great hero and management guru of the universe. जन्माष्टमी- 26 अगस्त श्रीकृष्ण हैं सृष्टि के महानायक
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार लेख वर्त-त्यौहार भाई-बहिन के रिश्तों में नवीन ऊर्जा का पर्व है रक्षाबंधन August 19, 2024 / August 19, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment रक्षाबंधन- 19 अगस्त, 2024 पर विशेष-ललित गर्ग – भाई और बहन के रिश्ते को फौलाद-सी मजबूती देने वाला एवं सामाजिक और पारिवारिक एकबद्धता एवं एकसूत्रता का सांस्कृतिक एवं मानवीय मूल्यों का अनूठा पर्व है रक्षाबंधन। ऐसा माना जाता है कि राखी के रंगबिरंगे धागे भाई-बहन के प्यार के बन्धन को मजबूत करते हैं और सुख-दुख […] Read more » रक्षाबंधन- 19 अगस्त
कला-संस्कृति लेख साहित्य मेरे मानस के राम : अध्याय 25 August 16, 2024 / August 16, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment रावण की मंत्रणा उधर रावण भी अब भली प्रकार यह समझ गया था कि जिस राम को वह केवल एक वनवासी मान कर चल रहा था वह कोई हल्का-फुल्का व्यक्ति नहीं है। उसके पास आध्यात्मिक शक्ति भी है, साथ ही साथ बौद्धिक शारीरिक और सैनिक बल में भी वह कम नहीं है। उसके द्वारा भेजे […] Read more » Ram of my mind
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म राजनीति सनातन हिंदू संस्कृति का पूरे विश्व में फैलना आज विश्व शांति के लिए आवश्यक है June 24, 2024 / June 24, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment यूरोप में हाल ही में सम्पन्न हुए चुनावों में दक्षिणपंथी कहे जाने वाले दलों की राजनैतिक ताकत बढ़ी है। हालांकि सत्ता अभी भी वामपंथी एवं मध्यमार्गीय नीतियों का पालन करने वाले दलों की ही बने रहने की सम्भावना है परंतु विशेष रूप से फ्रान्स एवं जर्मनी में इन दलों को भारी नुक्सान हुआ है। इटली की देशप्रेम से ओतप्रोत दल की मुखिया जोरजीया मेलोनी को अच्छी सफलता हासिल हुई है। कुल मिलाकर यूरोपीय देशों के नागरिकों में देशप्रेम का भाव धीमे धीमे लौट रहा है एवं वे अब अपने अपने देश में अवैध रूप से रह रहे प्रवासियों का विरोध करने लगे हैं। विशेष रूप से यूरोप के आस पास के मुस्लिम बहुल देशों से भारी संख्या में मुस्लिम नागरिक अवैध रूप से इन देशों में शरण लिए हुए हैं एवं अब वे इन देशों की कानून व्यवस्थ के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बन गए हैं। जर्मनी एवं फ्रान्स ने मुस्लिम नागरिकों को मानवीय आधार पर अपने देश में बसाने में शिथिल नीतियों का पालन किया था और अब ये दोनों देश इस संदर्भ में विभिन्न समस्याओं का सबसे अधिक सामना कर रहे हैं। आज जब कई मुस्लिम देश शिया एवं सुन्नी सम्प्रदाय के नाम पर आपस में ही लड़ रहे हैं तो उनका ईसाई पंथ को मानने वाले नागरिकों के साथ सामंजस्य किस प्रकार रह सकता है, अतः यूरोपीयन देशों के नागरिकों को अब अपने किए पर पश्तावा होने लगा है। ब्रिटेन में भी आज मुस्लिम समाज की आबादी बहुत बढ़ गई है एवं यहां का ईसाई समाज अपने आप को असुरक्षित महसूस करने लगा है क्योंकि मुस्लिम समाज द्वारा ईसाई समाज पर कई प्रकार के आक्रमण किया जाना आम बात हो गई है। ब्रिटेन के कई शहरों में तो मेयर आदि जैसे उच्च प्रशासनिक अधिकारियों के पदों पर भी मुस्लिम समाज के नागरिक ही चुने गए है अतः इन नगरों में सत्ता की चाबी ही अब मुस्लिम समाज के नागरिकों के हाथों में है, जिसे ईसाई समाज के नागरिक बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। इसी प्रकार, इजराईल (यहूदी समुदाय) एवं हम्मास (मुस्लिम समुदाय) के बीच युद्ध लम्बे समय से चल रहा है। ईरान (शिया समुदाय) – सऊदी अरब (सुन्नी समुदाय) के आपस में रिश्ते अच्छे नहीं है। पाकिस्तान में तो अहमदिया समुदाय एवं बोहरा समुदाय को मुस्लिम ही नहीं माना जाता है एवं इनको गैर मुस्लिम मानकर इन पर सुन्नी समुदाय द्वारा खुलकर अत्याचार किए जाते हैं। कुल मिलाकर, मुस्लिम समाज न केवल अन्य समाज के नागरिकों (यहूदी, ईसाई, हिंदू आदि) के साथ लड़ता आया है बल्कि इस्लाम के विभिन्न फिर्कों के बीच भी इनकी आपसी लड़ाई होती रही है। इसके ठीक विपरीत, सनातन हिंदू संस्कृति का अनुपालन करते हुए कई भारतीय मूल के नागरिक भी अन्य देशों में रह रहे हैं एवं लम्बे समय से स्थानीय स्तर पर ईसाई समाज एवं अन्य धर्मों के अनुयायियों के साथ मिल जुलकर रहते आए हैं। इन देशों में भारतीय मूल के नागरिकों एवं स्थानीय स्तर पर अन्य धर्मों के अनुयायियों के बीच कभी भी बड़े स्तर पर आक्रोश उत्पन्न होता दिखाई नहीं दिया है, क्योंकि सनातन हिंदू संस्कृति में “वसुधैव कुटुम्बकम” एवं “सर्वे भवंतु सुखिन:” का भाव हिंदू नागरिकों में बचपन से ही भरा जाता है। इसी प्रकार के भाव का संचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी पिछले 99 वर्षों से अपने स्वयंसेवकों में जगाता आया है। संघ चाहता है कि संसार में सद्गुणों का बोलबाला हो। 27 सितम्बर 1933 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक पूजनीय डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार, शस्त्र पूजा समारोह में अपने उदबोधन में कहते हैं कि “संघ एक हिंदू संगठन है। संसार के सभी धर्मों में हिंदू धर्म ही एकमात्र ऐसा धर्म है, जिसका मुख्य गुण सद्गुण है और जो ‘आत्मवत् भूतेषु’ (सभी प्राणियों में अपने को देखना) की भावना से सभी जीवों के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करना सिखाता है। यह धर्म संसार में व्याप्त हिंसा और अन्याय को स्वीकार नहीं करता। इसलिए स्वाभाविक है कि प्रत्येक हिंदू ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाना चाहता है। लेकिन केवल उपदेश देने से संसार का स्वभाव नहीं बदलेगा। जब संसार को लगेगा कि हिंदू समाज सुसंगठित और सशक्त हो गया है, तो हमारे प्रति जो अनादर का भाव सर्वत्र दिखाई देता है, वह समाप्त हो जाएगा और संसार हमारी बात सुनेगा। हिंदू धर्म अनादि काल से यही करता आ रहा है और ऐसे पवित्र धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए ही संघ की शुरुआत हुई है।” “आजकल हिंदू समाज बहुत अव्यवस्थित हो गया है। संघ का एकमात्र उद्देश्य हिंदू समाज को इस तरह संगठित करना है कि हिंदू, हिंदुस्तान में गर्वित हिंदू के रूप में खड़े हो सकें और दुनिया को यह विश्वास दिला सकें कि हिंदू कोई ऐसी जाति नहीं है जो मरणासन्न अवस्था में हो। संघ चाहता है कि संसार में सद्गुणों का बोलबाला हो। संघ का लक्ष्य मानव जाति में व्याप्त राक्षसी प्रवृत्ति को दूर करना और उसे मानवता सिखाना है। संघ का गठन किसी से घृणा करने या उसे नष्ट करने के लिए नहीं हुआ है।” हाल ही में जारी की गई प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट में ‘धार्मिक अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी का देशभर में विश्लेषण’ नामक विषय के माध्यम से बताया गया है कि बहुसंख्यक हिंदुओं की आबादी 1950 और 2015 के बीच 7.82% घट गई है। जबकि मुस्लिमों की आबादी में 43.15% की वृद्धि हुई है। मुस्लिमों की 1950 में 9.84% रही आबादी 14.09% पर पहुंच गई है। ईसाई धर्म के लोगों की आबादी की हिस्सेदारी 2.24% से बढ़कर 2.36% हुई है। ठीक ऐसे ही सिख समुदाय की आबादी 1.24% से बढ़कर 1.85% हो गई है। भारत में सद्गुणों से ओतप्रोत हिंदू नागरिकों की जनसंख्या यदि इस प्रकार घटती रही तो यह भारत के साथ पूरे विश्व के लिए भी अच्छा संकेत नहीं है क्योंकि अल्पसंख्यक के नाम पर मुस्लिम आबादी (जो कि अपने धर्म के प्रति एक कट्टर कौम मानी जाती है तथा अन्य धर्मों के लोगों के प्रति बिलकुल सहशुण नहीं है और वक्त आने पर अन्य समाज के नागरिकों का कत्लेआम करने में भी हिचकिचाते नहीं है) में बेतहाशा वृद्धि होना, पूरे विश्व के लिए एक अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता है। यह बात ध्यान रखने वाली है कि ईरान कभी आर्यों का अर्थात पारसियों का देश था। इराक, सऊदी अरब ,पश्चिम एशिया के समस्त मुस्लिम देश 1400 वर्ष पूर्व भारतीय संस्कृति और सभ्यता को मानने वाले देश थे। तलवार के बल पर 57 देश इस्लाम को स्वीकार कर चुके हैं इनमें से कोई भी ऐसा देश नहीं है जो 1400 वर्ष पहले से अर्थात सनातन की भांति सृष्टि के प्रारंभ से मुस्लिम देश था। 1398 ईसवी में ईरान भारत से अलग हुआ, 1739 में नादिरशाह ने अफगानिस्तान को अपने लिए एक अलग रियासत के रूप में प्राप्त कर लिया, बाद में 1876 में यह एक स्वतंत्र देश के रूप में अस्तित्व में आ गया,1937 में म्यांमार बर्मा अलग हुआ, 1911 में श्रीलंका अलग हुआ और 1904 में नेपाल अलग हुआ। सांप्रदायिक आधार पर देश विभाजन का यह सिलसिला यहीं नहीं रुका इसके पश्चात 1947 में पश्चिमी एवं पूर्वी पाकिस्तान देश बना। पूर्वी पाकिस्तान आज बांग्लादेश के रूप में मानचित्र पर उपलब्ध है। आज एक बार पुनः भारत के भीतर जहां-जहां इस्लाम को मानने वाले लोगों की संख्या बहुलता को प्राप्त हो गई है, वहां वहां पर अनेक प्रकार की सामाजिक विसंगतियां, दमन और शोषण के नए-नए स्वरूप देखे जा रहे हैं। केरल, कश्मीर, पूर्वोत्तर भारत, बंगाल जहां जहां उनकी संख्या बहुलता में है, वहां -वहां दूसरे धर्म और जाति के लोग परेशान हैं। उपस्थित तथ्यों से सत्य को समझना चाहिए। इन आंकड़ों के आलोक में हमें समझना चाहिए कि हमारी बहू, बेटियां, महिलाओं की इज्जत कब तक सुरक्षित रह सकती है? निश्चित रूप से तब तक जब तक कि भारतवर्ष सनातनी हिंदुओं के हाथ में है। हमें इतिहास से शिक्षा लेनी चाहिए कि अब हम सांप्रदायिक आधार पर देश का पुनः विभाजन नहीं होने दें। नोवाखाली जैसे नरसंहारों की पुनरावृत्ति अब हमारे देश में नहीं होनी चाहिए। भारत-पाकिस्तान के विभाजन के समय जिस प्रकार लाखों करोड़ों लोगों को घर से बेघर होना पड़ा था, उस इतिहास को अब दोहराया नहीं जाना चाहिए। भारत में आंतरिक स्थिति ठीक नजर नहीं आती है परंतु विश्व के कई अन्य देशों में सनातन संस्कृति को तेजी से अपनाया जा रहा है, तभी तो कहा जा रहा है कि विश्व में आज कई समस्याओं का हल केवल हिंदू सनातन संस्कृति को अपना कर ही निकाला जा सकता है। प्रहलाद सबनानी Read more » सनातन हिंदू संस्कृति का पूरे विश्व में फैलना आज विश्व शांति के लिए आवश्यक है
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म वर्त-त्यौहार उन्नत जीवन का आधार है हनुमान भक्ति April 22, 2024 / April 20, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment हनुमान जयन्ती- 23 अप्रैल 2024 पर विशेष– ललित गर्ग – भगवान हनुमानजी को हिन्दू देवताआंे में सबसे शक्तिशाली माना गया है, वे रामायण जैसे महाग्रंथ के सह पात्र थे। वे भगवान शिव के ग्यारवंे रूद्र अवतार थे जो श्रीराम की सेवा करने और उनका साथ देने त्रेता युग में अवतरित हुए थे। उनको बजरंग बलि, […] Read more » Hanuman devotion is the basis of advanced life हनुमान भक्ति
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार लेख उन्नत जीवन का आधार है हनुमान भक्ति April 22, 2024 / April 22, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment हनुमान जयन्ती- 23 अप्रैल 2024 पर विशेष– ललित गर्ग – भगवान हनुमानजी को हिन्दू देवताआंे में सबसे शक्तिशाली माना गया है, वे रामायण जैसे महाग्रंथ के सह पात्र थे। वे भगवान शिव के ग्यारवंे रूद्र अवतार थे जो श्रीराम की सेवा करने और उनका साथ देने त्रेता युग में अवतरित हुए थे। उनको बजरंग बलि, […] Read more » हनुमान भक्ति
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म राजनीति सृष्टि चक्र का शाश्वत सनातन संवाहक भारतीय नवसम्वत्सर April 9, 2024 / April 9, 2024 by कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल | Leave a Comment ~ कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि भारतीय संस्कृति में अपना विशिष्ट महत्व रखती है। यह तिथि नवसम्वत्सर – हिन्दू नववर्ष के उत्साह पर्व की तिथि है। यह तिथि भारतीय मेधा के शाश्वत वैज्ञानिकीय चिंतन – मंथन के साथ – साथ लोकपर्व के रङ्ग में जीवन के सर्वोच्च आदर्शों से एकात्मकता स्थापित […] Read more » Indian Nava Samvatsara the eternal conductor of the cycle of creation
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार वर्त-त्यौहार स्वागत करें ज्ञान एवं सौभाग्यरूपी उजालों का February 13, 2024 / February 13, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment बसंत पंचमी- 14 फरवरी, 2024-ललित गर्ग – मन की, जीवन की, संस्कृति की, साहित्य की, प्रकृति की असीम कामनाओं का अनूठा त्योहार है बसंत पंचमी, जो हर वर्ष माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन मनाया जाता है। दूसरे शब्दों में बसंत पंचमी का दूसरा नाम सरस्वती पूजा भी है। बसंत पंचमी […] Read more »
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म पर्व - त्यौहार लेख वर्त-त्यौहार संतों की ऋतु है बसंत February 12, 2024 / February 12, 2024 by डॉ शंकर सुवन सिंह | Leave a Comment डॉ. शंकर सुवन सिंह बसंत ऋतु नवीनता का प्रतीक है। नवीनता उल्लास को जन्म देती है। उल्लास सुख समृद्धि का द्योतक है। सुख शांति का वास ज्ञान में है। इस ऋतु में प्रकृति अपना नया रूप दिखती है। बसंत पंचमी ज्ञान की देवी सरस्वती को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सरस्वती का अवतरण […] Read more » Spring is the season of saints
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म लेख विधि-कानून विश्व की एकमात्र पाप-नाशिनी है नर्मदा जिसका कंकड़ भी नर्मदेश्वर शिवलिंग बन जाता है। January 29, 2024 / January 29, 2024 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव समूचे विश्व में जो दिव्य व रहस्यमयी है तो वह नर्मदा। नर्मदा का वर्णन चारों वेदों की व्याख्या में विष्णु के अवतार वेदव्यास जी ने स्कन्द पुराण के रेवाखंड में किया है। रामायण और महाभारत में भी नर्मदा का उल्लेख मिलता है। कालिदास ने नर्मदा को सोमप्रभवा कहा है और रघुवंश में […] Read more » पाप-नाशिनी नर्मदा