कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म
सतीसर से कश्मीर
/ by डॉ० शिबन कृष्ण रैणा
कहते हैं कि मुग़ल बादशाह जहांगीर जब पहली बार कश्मीर पहुंचे तो उनके मुंह से सहसा निकल पड़ा: “गर फिरदौस बर रूए ज़मीन अस्त,हमीं असतो,हमीं असतो,हमीं अस्त”।अर्थात् “जन्नत अगर पूरी कायनात में कहीं पर है, तो वह यहीं है,यहीं है,यहीं है।“ भारत का मुकुटमणि,धरती का स्वर्ग, यूरोप का स्विट्ज़रलैंड, कुदरत की कारीगरी और अकूत ख़ूबसूरती का खजाना: पहाड़,झीलें,वनस्पति,हरियाली,महकती पवन… ऐसा […]
Read more »